वाराणसी में बीएचयू को छोड़कर किसी भी सरकारी अस्पताल में जले मरीजों के लिए सुविधा नहीं
Varanasi news वाराणसी के एकमात्र सरकारी अस्पताल में मंडलीय चिकित्सालय ही लोगों के लिए स्थापित है लेकिन प्लास्टिक सर्जन न होने से गंभीर मरीजों को रेफर करना ही एकमात्र विकल्प बन जाता है। फिर भी स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव नहीं किया जा रहा है इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शहर में बीएचयू को छोड़ किसी भी सरकारी अस्पताल में जले मरीजों के लिए सुविधा नहीं है। जिले के एकमात्र सरकारी अस्पताल में मंडलीय चिकित्सालय ही लोगों के लिए स्थापित है, लेकिन प्लास्टिक सर्जन न होने से गंभीर मरीजों को रेफर करना ही एकमात्र विकल्प बन जाता है। फिर भी स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव नहीं किया जा रहा है।
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वाराणसी के स्वास्थ्य ढांचे में गंभीर कमियों के चलते मरीजों को उचित चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बीएचयू के अलावा जिले में कोई अन्य सरकारी अस्पताल नहीं है, जहां जले हुए मरीजों का उपचार किया जा सके। मंडलीय चिकित्सालय, जो कि जिले का एकमात्र सरकारी अस्पताल है, वहां भी प्लास्टिक सर्जन की कमी है। इस स्थिति के कारण गंभीर रूप से जलने वाले मरीजों को अन्य स्थानों पर रेफर करना पड़ता है, जो कि समय और संसाधनों की बर्बादी है।
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शनिवार की रात मंदिर में हादसा होने के बाद प्रभावितों को बीएचयू ही रेफर करना पड़ा। मरीजों को उचित उपचार के लिए दूर -दूर तक भेजा जाना, न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह उनके परिवारों पर भी आर्थिक बोझ डालता है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि वाराणसी में एक समर्पित प्लास्टिक सर्जरी विभाग की स्थापना की जाए, ताकि मरीजों को त्वरित और प्रभावी चिकित्सा मिल सके।
स्वास्थ्य सेवाओं की इस कमी के बावजूद, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। स्थानीय नेताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा, स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
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इस संदर्भ में देर रात का हादसा एक नजी है कि इस गंभीर समस्या का समाधान करना अधिक जरूरी है। जले हुए मरीजों के लिए उचित चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए न केवल प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति आवश्यक है, बल्कि अस्पतालों में अन्य चिकित्सा सुविधाओं का भी विस्तार किया जाना चाहिए।
अंततः, वाराणसी में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह न केवल मरीजों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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