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    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम: तीन वर्ष में पहुंचे 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालु, गोवा जैसे बड़े पर्यटन स्थल को भी छोड़ा पीछे

    Updated: Thu, 12 Dec 2024 11:22 AM (IST)

    वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ने अपनी नव्यता के तीन वर्ष पूरे करने के पूर्व ही 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। यह धाम न केवल पर्यटन का केंद्र बन गया है बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए भी वरदान साबित हुआ है जिनके व्यापार में 30 गुना तक वृद्धि हुई है। व्यापार में 30 गुना तक उछाल आया है।

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    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। जागरण

    शैलेश अस्थाना, जागरण वाराणसी। ‘धर्मो रक्षति रक्षित:’ अर्थात् "रक्षित धर्म, रक्षक की रक्षा करता है", इसे सिद्ध कर रहा है श्रीकाशी विश्वनाथ धाम। अपने नव्य-भव्य स्वरूप में आने के बाद धाम के कारण पर्यटकों की संख्या में हुई आशातीत वृद्धि से काशी ने देश में गोवा जैसे सबसे बड़े पर्यटन स्थल को भी पीछे छोड़ दिया।

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    केवल बाबा धाम की बात करें तो कल शुक्रवार को अपनी नव्यता के तीन वर्ष पूर्ण करने के पूर्व ही धाम में अब तक 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच कर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के चरणाें में अपनी श्रद्धा निवेदित कर चुके हैं। पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से यहां के व्यापारियों के व्यापार में 30 गुना तक उछाल आया है।

    13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य-भव्य स्वरूप को लोकार्पण पूरे सनातनी विधि-विधान से किया। तब सनातन के इस करवट बदलते इतिहास को पूरे विश्व ने देखा और अनुभव किया। इसके बाद यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ना आरंभ हुई तो प्रतिवर्ष रिकार्ड टूटते गए। धाम के निर्माण के बाद पुरातनता के साथ आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाती विश्व की सबसे प्राचीनतम नगरी काशी अपनी धरोहरों व सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के साथ पर्यटन का बड़ा केंद्र बनती जा रही है।

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    पहले ही वर्ष में गोवा को छोड़ दिया पीछे

    धाम निर्माण का पहला वर्ष बीतते-बीतते काशी ने पर्यटकों की संख्या में गोवा का रिकार्ड तोड़ दिया और सर्वाधिक पर्यटकों के आगमन वाला शहर बन गया। राज्य स्तर पर बात करें तो वर्ष 2022 तक मथुरा 6.5 करोड़ पर्यटकों के साथ प्रदेश की सूची में सबसे ऊपर था। इसके बाद ताज नगरी आगरा को यह स्थान मिलता रहा।

    वहां सबसे अधिक संख्या विदेशी पर्यटकों की रही। 2019 तक कोविड के पूर्व यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या करीब 68 लाख थी। कोविड के दौरान 2020 में यह दस लाख से भी कम हो गई थी। लेकिन धाम बनने के बाद 2022 में ही लगभग 7.2 करोड़ पर्यटक वाराणसी पहुंच गए। अब तक कुल 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालु तो केवल मंदिर में दर्शन करने पहुंच चुके हैं।

    बढ़े श्रद्धालु तो सनातन की सेवा के संकल्प ने लिया आकार

    मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि मंदिर की ओर से धर्म, संस्कृति, कला और संस्कार की उन्नति व विकास के लिए अनेक प्रकल्प आरंभ किए गए। सभी सनातन पर्वों पर बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

    शास्त्रीय आयोजनों के साथ सांस्कृतिक मंच से कलाकारों को अपनी प्रतिभा विकास का अवसर दिया जा रहा है। प्रत्येक प्रदोष को नंदी महोत्सव व पूजन, जन्माष्टमी, श्रीरामनवमी, एकादशी, गंगा सप्तमी, गंगा दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा व नवरात्र में भी विशेष उत्सवों के आयोजन किए गए।

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    4041 बटुकों को वस्त्र, भोजन, पुस्तकें तो नित्य 1300 लोगों को नित्य भोजन प्रसाद

    विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि मंदिर न्यास से लोक सेवा की ओर कदम बढ़ाए तो 51 संस्कृत विद्यालयों के 3059 बटुकों को पाठ्य पुस्तकें, 23 विद्यालयों के 4041 बटुकाें को कुर्ता, धोती, उत्तरीय के दो-दो सेट, 30 संस्कृत विद्यालयों के लिए वाद्य यंत्रों की व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त 14 संस्कृत विद्यालयोें के लगभग 750 छात्र-छात्राओं तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय व होमी जहांगीर भाभा कैंसर अस्पताल लहरतारा के मरीजों के लगभग 550 स्वजनों के लिए भोजन प्रसाद पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

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