UP News: बनारस से गाजीपुर तक गंगा में बचाएंगे डॉल्फिन का घरौंदा, मुश्किल में हैं राष्ट्रीय जलीय जीव
गंगा नदी में रहने वाली राष्ट्रीय जलीय जीव गंगेय डॉल्फिन के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। प्रदूषण और शिकार के कारण इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। इनके संरक्षण के लिए बनारस और गाजीपुर में 11 डॉल्फिन मित्रों की नियुक्ति की गई है। इनकी अगुवाई में अभियान शुरू हुआ है। आठ बिंदुओं पर एक्शन प्लान बना है। कई टीमें धरातल पर उतर चुकी हैं।

संग्राम सिंह, जागरण, वाराणसी। देश की राष्ट्रीय जलीय जीव ‘गंगेय डॉल्फिन’ का कुनबा मुश्किल में है। गंगा में इन्हें अपने अस्तित्व के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। बढ़ता प्रदूषण और शिकारियों की वक्रदृष्टि से उनका घरौंदा खतरे में है। जिले में कैथी के निकट ढकवां गांव में 55 ‘गंगेय डॉल्फिन’ की मौजूदगी है, अब इनके संरक्षण का प्रयास शुरू हुआ है।
जनवरी से जून इनका प्रजनन काल होता है, अब इन्हें सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की ओर से बनारस और गाजीपुर में 11 डॉल्फिन मित्रों की विशेष नियुक्ति की गई है। इनकी अगुवाई में अभियान शुरू हुआ है। आठ बिंदुओं पर एक्शन प्लान बना है। कई टीमें धरातल पर उतर चुकी हैं, क्योंकि नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाने में इस जलीय जीव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने भी कई प्रयास शुरू किए हैं। गंगा के किनारे गांवों में चौपाल लग रही हैं। हर उम्र के लोगों को इस मछली के फायदे गिनाए जा रहे हैं। मछुआरों को विशेष रूप से सजग किया जा रहा है। नदी के प्रदूषण को कम करने का प्रयास होगा और इनके आवासों का संरक्षण किया जाएगा।
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डॉल्फिन के शिकार पर प्रतिबंध लगेगा, साथ ही संरक्षण के लिए शिक्षा और जागरूकता पर जोर दिया जाएगा। नदी के किनारे ग्रामीणों को संदेश जारी हुआ है। अगर डॉल्फिन जाल में फंस जाती है तो उसे मारे नहीं बल्कि जाल काटकर छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, इसके बदले में वन विभाग उन्हें क्षतिग्रस्त जाल के स्थान पर नया जाल सुलभ कराएगा।
इसके अलावा स्कूल व कालेज के छात्रों को सारनाथ गंगा दर्पण देखने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, क्योंकि इस स्थान पर डॉल्फिन सहित धरती मां, नदियों, मछलियों, कछुआ व मगरमच्छ समेत विभिन्न जलीय जीवों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, इससे लोगों में जलीय जीवों प्रति संवेदनशीलता आएगी।
कैथी के निकट गंगा में डॉल्फिन। -जागरण
पर्यावरण संरक्षण में डॉल्फिन की महत्वपूर्ण भूमिका है। गंगा और सहायक नदियों में यह मिलती हैं। डॉल्फिन नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में शिकारी और शिकार के रूप में कार्य करती है, यह दूसरे जलीय जीवों को भी नियंत्रित करने में मदद करती है। नदी के प्रदूषण का पता लगाने में भी मदद मिलती है क्योंकि वे प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होते हैं। - दुर्गनाशिनी, गाजीपुर प्रभारी, डॉल्फिन मित्र टीम।
डॉल्फिन मित्रों की जिम्मेदारी
- शोर को कम करने के लिए नाव में साइलेंसर का उपयोग करने को बढ़ावा देना। इससे डॉल्फिन को अपने वातावरण में रहने में मदद मिलेगी।
- स्कूलों-कालेजों में जागरूकता, किशोर ही सर्वश्रेष्ठ हैं जो समाज को गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए संदेश दे सकते हैं।
- ग्रामीणों, मछुआरों व उनके परिवारों, पर्यटकों को घाटों, नदी किनारे स्वच्छता बनाने के लिए जागरूक करना।
- गंगा डॉल्फिन की उपस्थिति देखने के लिए आसपास के घाटों का पता लगाएंगे, इससे इस नई प्रजाति के अनुकूलन को देखने में मदद मिलेगी।
- डेटा संग्रह और विश्लेषण, इस बारे में नई जानकारी एकत्र करना कि कैसे संरक्षण में तेजी लाई जा सकती है और डॉल्फिन को गंगा में बेहतर तरीके से जीवित रहने में मदद मिलेगी।
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कुल डॉल्फिन | 3,500-5,000 |
लंबाई | 7-8.9 फीट |
वैज्ञानिक नाम | प्लैटनिस्टा गैंगेटिका गोंगेटिका |
जीवनकाल | 18-22 वर्ष |
डॉल्फिन की विशेषता
- इसका थूथन लंबा, पतला, पेट गोल, शरीर गठीला और पंख बड़े होते हैं और आंखों में लेंस नहीं होता, लेकिन गंदे पानी में भी मछली का शिकार करना आसान।
- स्तनधारी होने के कारण यह पानी में सांस नहीं ले सकती और उसे हर 30-120 सेकेंड में पानी की सतह पर आना पड़ता है।
- सांस लेते समय उत्पन्न होने वाली ध्वनि के कारण इसे ‘सुसु’ भी कहते हैं। वयस्क डॉल्फिन का वजन 70 से 90 किलोग्राम के बीच होता है।
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