Varanasi News: लकड़ी के खिलौनों के जादूगर पद्मश्री गोदावरी सिंह का निधन, अपने हुनर से दिलाई थी इसे पहचान
पद्मश्री गोदावरी सिंह जिन्होंने लकड़ी के खिलौनों और काष्ठ शिल्प को दुनियाभर में पहचान दिलाई का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। काशी के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) में शामिल लकड़ी खिलौना हस्त शिल्प के जादूगर गोदावरी सिंह दो महीने से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से हस्तशिल्प समाज शोकाकुल है। गोदावरी सिंह का लकड़ी के खिलौना कारोबार को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अपने हुनर से लकड़ी खिलौना (वुडेन लेकर वेयर) समेत काष्ठ शिल्प को देश-दुनिया में पहचान दिलाने वाले पद्मश्री गोदावरी सिंह का मंगलवार सुबह निधन हो गया। काशी के वन डिस्ट्रिक्ट व प्रोडक्ट (ओडीओपी) में शामिल लकड़ी खिलौना हस्त शिल्प के जादूगर 85 वर्षीय गोदावरी सिंह दो माह से अस्वस्थ चल रहे थे।
खोजवां-कश्मीरी गंज स्थित आवास से अंतिम यात्रा निकली। अंत्येष्टि हरिश्चंद्र घाट पर की गई। मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र दीपक सिंह ने दी। गोदावरी सिंह के निधन से हस्तशिल्प समाज शोकाकुल रहे। अंतिम विदाई देने के लिए घर से घाट तक लोग उमड़े रहे।
बनारस में लकड़ी के खिलौने (वुडेन लेकर वेयर) की बात हो तो गोदावरी सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। उन्होंने अभी 19 फरवरी को ही अपने जीवन का 85वां पड़ाव पार किया था। इस उम्र में भी वे पुरखों की थाती संजोने और नई पीढ़ी में भी यही भाव भरने का हौसला देते थे जो लोगों को उनका मुरीद बना देता था। प्रयोगधर्मी वृत्ति के चलते उन्होंने लकड़ी के एक से बढ़ कर एक बैग बनाए। इसकी बनारस में ओडीओपी से संबंधित आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूब सराहना की थी।
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पिछले साल मिला था पद्मश्री अवार्ड
गोदावरी सिंह की कला को प्रदेश से लेकर राष्ट्र स्तर तक पर पुरस्कृत किया गया। उन्हें 22 अप्रैल 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद्मश्री से अलंकृत किया गया। स्टेट अवार्ड से नवाजे जा चुके गोदावरी सिंह का लकड़ी के खिलौना कारोबार को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान है।
पद्मश्री गोदावरी सिंह। -फाइल फोटो
पिता व बड़े भाई से जानी हस्तशिल्प की बारीकियां
पद्मश्री गोदावरी सिंह का जन्म 19 फरवरी 1941 को हुआ था। उन्होंने लकड़ी खिलौना हस्तशिल्प की बारीकियां अपने पिता छेदी सिंह व बड़े भाई भगवान सिंह से सीखी। छह दशक से इस कारोबार में पूरी तल्लीनता से जुटे थे। उनके बनाए उत्पाद अमेरिका, जापान, रूस आदि देशों में निर्यात किए जाते थे।
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उनके सात बेटे-बेटियां हैं। चारों पुत्र योगेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह व दीपक सिंह उनकी हस्तशिल्प की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। नाती राजसिंह कुंदेर अपने नाना गोदावरी सिंह के साथ हमेशा सारथी बनकर रहते थे। उन्होंने बताया कि नाना सदा लकड़ी खिलौना हस्तशिल्प को ऊंचाई देने पर विचार करते रहते।
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