पूर्वांचल में हर उम्र को जकड़ा मोटापा, अब डॉक्टर दे रहे हैं ये सलाह
वाराणसी में मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुकी है। बीएचयू के शोध के अनुसार शहरी क्षेत्र में 38% और ग्रामीण क्षेत्र में 9% लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। खराब जीवनशैली और गलत खानपान इसके मुख्य कारण हैं। डॉक्टर सलाह देते हैं कि खान-पान में बदलाव योग और व्यायाम से मोटापा कम किया जा सकता है। वजन घटाने के लिए मरीजों को प्रेरित किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मोटापा जटिल स्वास्थ्य समस्या है, जो शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने से होती है। मोटापे का मतलब है शरीर में बहुत अधिक चर्बी होना। आप जितने मोटे होंगे, आपको स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा उतना ही अधिक रहेगा। पूर्वांचल में यह चिंता का विषय है। भले ही मोटापा के कारण कई है लेकिन इसका निवारण भी मुमकिन है।
बीएचयू के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। ग्रामीण क्षेत्रों में हुए शोध मेें शामिल वयस्क लोगों में 22.9 प्रतिशत का वजन अधिक मिला है, उनका बीएमआइ (बाडी मास इंडेक्स) 25 से अधिक था। नौ प्रतिशत लोग मोटापे से ग्रसित थे।
शहरी क्षेत्रों में 22.8 प्रतिशत लोग अधिक वजन वाले मिले जबकि 38.3 प्रतिशत मोटापे से ग्रस्त थे। महिलाओं में मोटापा पुरुषों की तुलना में अधिक था। खराब जीवनशैली, शारीरिक गतिविधि की कमी और अस्वस्थ आहार मोटापे का प्रमुख कारण है।
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बीएचयू के इंडोक्रोनोलाजी विभाग में दिसंबर 2024 से प्रत्येक शुक्रवार को मोटापा क्लिनिक संचालित किया जा रहा है, यहां पर शोध और उपचार किया जा रहा है। विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन चार से छह लोग केवल मोटापा से परेशान होकर आते हैं लेकिन उन्हें वजन घटाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
25 से 30 लोगों में मोटापा के साथ मुधमेह, रक्तचाप और थायरायड की बीमारी भी होती है। मोटापा से मधुमेह, रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल, हार्ट अटैक, लकवा, बच्चेदानी का कैंसर, पित्त की थैली की पथरी समेत कई समस्याएं होती हैं। ऐसे लोगों को वजन कम करने की आवश्यकता है, 23 से ऊपर बीएमआइ को मोटापे की शुरुआत माना जाता है।
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मोटापा के प्रमुख कारण
- उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, जैसे कि तले हुए भोजन, जंक फूड व मीठे पेय।
- बैठने वाली जीवनशैली, व्यायाम या शारीरिक गतिविधि की कमी और स्क्रीन टाइम में अधिकता।
- परिवहन के लिए पैदल चलने या साइकिल चलाने के बजाय वाहनों का अधिक उपयोग करना।
- आनुवंशिक प्रवृत्ति भी होती है, जो मोटापा विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील बनाती है।
- हाइपोथायरायडिज्म और पालीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के अलावा स्टेरायड भी वजन बढ़ाते हैं।
- पर्याप्त नींद न लेने से भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन में बदलाव, अधिक खाने की इच्छा होना।
विशेष क्लिनिक में चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य सहायता व जीवनशैली में बदलाव करने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्लिनिक में सौ से अधिक लोगों ने मोटापे को कम किया है। बहुतों ने मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से निजात पाई है। आहार-आधारित उपचार और दवाओं के माध्यम से वजन घटाने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों की टीम मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का प्रबंधन करने में मदद करती है। - डा. रितेश कुमार, इंडोक्रोनोलाजी, बीएचयू
मोटापा का निवारण
- मोटापा को रोकने और प्रबंधित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सा हस्तक्षेप और पर्याप्त पानी पीएं।
- फल, सब्जियां व साबुत अनाज लें। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ व उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
- प्रति सप्ताह न्यूनतम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक व्यायाम करें (जैसे तेज चलना, तैरना, साइकिल चलाना)।
- सप्ताह में दो या अधिक दिन शक्ति प्रशिक्षण व्यायाम शामिल करें, लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश करें।
- योग व ध्यान जैसे तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें, खाने की आदतों और प्रगति को ट्रैक करने के लिए फूड डायरी रखें।
- हर रात 7-9 घंटे की गुणवत्ता वाली नींद लें और डाक्टर वजन घटाने वाली दवाओं या बेरिएट्रिक सर्जरी जैसे चिकित्सा विकल्पों पर विचार करें।
खान-पान में बदलाव, योग और शारीरिक गतिविधि में वृद्धि से मोटापा कम कर सकते हैं। 10 प्रतिशत लोगों ने 20 किलोग्राम तक वजन कम भी किया है, लेकिन ओपीडी में अधिकांश लोग निराश होते हैं। डायटिशियन उनके आहार चार्ट में बदलाव करते हैं। व्यक्ति की उम्र, लंबाई और वजन के हिसाब से नया खान-पान चार्ट तय किया जाता है। इस समस्या से हर उम्र के लोग परेशान हैं। बच्चों और वयस्क लोगों के साथ साथ बूढ़े भी ग्रस्त हैं।-प्रो. नीरज अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, इंडोक्रोनोलाजी बीएचयू
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