यूपी के इस शहर में 823 करोड़ की लागत से बिछेगी नई सीवर लाइन, शासन ने दी हरी झंडी
जलनिगम पेयजल की नई पाइपलाइन बिछाने का भी प्रस्ताव तैयार करने में जुटा हुआ है। वहीं पाइपलाइन ट्रांस लेस विधि से बिछाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत गली के मोड़ाें पर गड्ढा कर पूरी गली में नई पाइप लाइन बिछाई जाएगी। निगम 18 पुराने वार्डों में सीवर के साथ-साथ पानी की भी पाइप लाइन बदलने के निर्णय लिया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नवशहरी क्षेत्र में जलनिकासी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। वहीं पुराने वार्डों में सीवर ओवरफ्लो की समस्या की समस्या है। वहीं गंगा घाटाें के किनारे के कई मोहल्लों में सीवर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। इसके कारण सीवर ओवरफ्लो स्थायी समस्या बनी हुई है।
इसे देखते हुए निगम ने प्रथम चरण में 18 पुराने वार्डों में 823 करोड़ रुपये की लागत से नई पाइप लाइन बिछाने का निर्णय लिया है। जल निगम से सर्वे कर गत माह इसका प्रस्ताव शासन को भेजा था। शासन ने जल निगम के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसकी प्रथम किश्त इसी माह में जारी होने की संभावना है। ऐसे में पुराने वार्डों में सीवर ओवरफ्लो की समस्या से मुक्ति मिलने की आस जगी है।
जलनिकासी के लिए शहर अब भी करीब 200 वर्ष पुराने ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम (शाही नाले) पर निर्भर है। ड्रेनेज व सीवरेज के लिए नगर निगम के पास शाही नाले का कोई विकल्प नहीं है। शाही नाला व ब्रिटिश के जमाने में बने ईंट के नाला बनारस का बैक बोन माना जाता है।
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पुराने मोहल्लों में अंग्रेजों के जमाने की सीवर पाइप लाइन होने के कारण जाम व ओवरफ्लो की समस्या बनी रहती है। खास तौर पर गंगा घाटोें के किनारे के मोहल्लों में अक्सर सीवर जाम रहता है। इसे देखते हुए नगर निगम ने 18 वार्डों में सीवर की पाइप लाइन बदलने का निर्णय लिया था।
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महापौर अशोक कुमार तिवारी के निर्देश पर जलनिगम ने इसका सर्वे कराया था। इसके आधार पर जल निगम ने विस्तृत डीपीआर शासन को भेजा था। शासन ने बनारस की सीवर व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल निगम के प्रस्ताव की स्वीकृति दे दी है। निगम 18 पुराने वार्डों में सीवर के साथ-साथ पानी की भी पाइप लाइन बदलने के निर्णय लिया है।
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वहीं अब आगामी 40 साल संभावित आबादी को देखते हुए सीवर व पानी की पाइप लाइन बदली जाएगी ताकि निकट भविष्य में किसी प्रकार की समस्या होने पर मरम्मत कराया जा रहा है। इससे करीब 100 मोहल्लाें के चार लाख से अधिक आबादी लाभांवित होगी।
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