वाराणसी की साहित्यकार नीरजा माधव को भारत सरकार द्वारा राजभाषा गौरव सम्मान
सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव को उनकी कृति भारत का सांस्कृतिक स्वभाव के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें हिंदी में मौलिक लेखन के लिए गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रदान किया गया। उनकी यह पुस्तक भारत की संस्कृति परंपरा और मूल्यों को उजागर करती है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। सुप्रसिद्ध साहित्यकार और राष्ट्रपति द्वारा "नारी शक्ति पुरस्कार 2021" से सम्मानित डॉ. नीरजा माधव को इस वर्ष का राजभाषा गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें 14 सितंबर को गुजरात के गांधीनगर में हिन्दी दिवस के अवसर पर गृह मंत्री, भारत सरकार, अमित शाह के हाथों दिया गया।
यह पुरस्कार संस्कृति, धर्म, कला और धरोहर को केंद्र में रखकर हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन हेतु दिया जाता है। डॉ. नीरजा माधव को यह पुरस्कार उनकी महत्वपूर्ण कृति "भारत का सांस्कृतिक स्वभाव" के लिए प्रदान किया गया है, जो 2024 में प्रलेक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई।
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ललित निबंध शैली में लिखी गई यह पुस्तक भारत की संस्कृति, परंपरा, पर्व-उत्सव, लोकजीवन के रंग और इन सब के पीछे छिपे माननीय मूल्यों के गूढ़ अर्थ को उजागर करती है। भारत के स्वभाव को समझने के लिए यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डॉ. नीरजा माधव को इससे पूर्व भी कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें मध्य प्रदेश शासन द्वारा राष्ट्रीय मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान, डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान, यशपाल पुरस्कार, राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान, राष्ट्र धर्म गौरव सम्मान, शैलेश मटियानी राष्ट्रीय कथा पुरस्कार और शंकराचार्य पुरस्कार शामिल हैं। उनकी अब तक 53 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, और उनके उपन्यास तथा कहानियां विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं।
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भारत में थर्ड जेंडर के अधिकारों और अस्तित्व पर आधारित पहला उपन्यास "यमदीप" लिखा गया, जिसने पूरे देश में एक विमर्श को जन्म दिया। इसके अलावा, तिब्बती शरणार्थियों की समस्याओं को केंद्र में रखकर उन्होंने कई उपन्यास और कविता संग्रह की रचना की है। "हिंदी साहित्य का ओझल नारी इतिहास" भी उनकी एक क्रांतिकारी कृति है, जो हिंदी साहित्य के इतिहास को एक नई दृष्टि प्रदान करती है।
डॉ. नीरजा माधव को राजभाषा गौरव पुरस्कार मिलने पर साहित्यकारों और प्रबुद्ध हिंदी सेवियों में हर्ष व्याप्त है। यह पुरस्कार न केवल उनके साहित्यिक योगदान को मान्यता देता है, बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति उनके समर्पण को भी दर्शाता है। उनके कार्यों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
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