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    Varanasi News: देश के पहले हिंदी साहित्य भाषा संग्रहालय की डिजाइन तैयार, शासन से मिली मंजूर

    Updated: Thu, 16 Jan 2025 03:37 PM (IST)

    काशी में बनने जा रहा है देश का पहला हिंदी साहित्य भाषा संग्रहालय। लगभग 25 करोड़ की लागत से बनने वाले इस संग्रहालय में हिंदी के ख्यात साहित्यकारों की रचनाओं तस्वीरों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संजोया जाएगा। संग्रहालय में एक एम्फीथियेटर और आडिटोरियम भी होगा जहां साहित्यकारों के जीवन और रचनाओं पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। काशी हिंदी साहित्य के निर्माण विकास और नवजागरण का गढ़ रहा है।

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    काशी में बनने वाले देश के पहले हिंदी साहित्य के भाषा संग्रहालय की डिजाइन।-राज्य हिंदी संस्थान

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, जागरण, वाराणसी। काशी में लगभग 25 करोड़ की लागत से बनने जा रहे देश के पहले हिंदी साहित्य के भाषा संग्रहालय की डिजाइन तैयार हो गई है। इस डिजाइन की शासन से स्वीकृति भी मिल चुकी है। हालांकि इंटीरियर डिजाइन के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दिए जाने पर कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद से शासन ने पूरी रिपोर्ट मांगी है। यह संग्रहालय वाराणसी स्थित राज्य हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश परिसर में बनने वाला है।

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    हाल के कुछ वर्षों में जिले में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कार्य हुए हैं। सरकार शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ ही आध्यात्मिक नगरी काशी को साहित्य व संस्कृति को बढ़ावा देने पर भी बेहतर कार्य कर रही है। इसी कड़ी में यहां बनने वाले इस संग्रहालय में हिंदी के ख्यात साहित्यकारों की रचनाओं व तस्वीरों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संजोया जाएगा।

    संग्रहालय में एक एम्फीथियेटर और आडिटोरियम भी होगा जहां साहित्यकारों के जीवन और रचनाओं पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। म्यूजियम में हिंदी साहित्य से जुड़ी हस्तियों की गैलेरी, उनकी प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। कारण कि काशी हिंदी साहित्य के निर्माण, विकास और नवजागरण का गढ़ रहा है।

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    काशी के साहित्य को कबीरदास, रैदास, तुलसी दास से लेकर आधुनिक युग के भारतेंदु हरिश्चंद्र, कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद ने और समृद्ध किया। यह संग्रहालय किसी भाषा को समर्पित देश का पहला संग्रहालय होगा।

    काशी में बनने वाले देश के पहले हिंदी साहित्य के भाषा संग्रहालय की डिजाइन। -राज्य हिंदी संस्थान


    इसमें प्रख्यात हिंदी विद्वानों की तमाम पुरानी पांडुलिपियां और पुस्तकें मौजूद रहेंगी। इसमें हिंदी साहित्यकारों की कृतियों के साथ-साथ उनके फोटोग्राफ और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज व साहित्य भी उपलब्ध रहेंगे। साथ ही हिंदी विद्वानों की प्रतिमाएं भी लगाई जाएंगी।

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    इस संग्रहालय का स्वरूप बहुत ही शानदार होगा। इसका मुख्य द्वार राज्य हिंदी संस्थान से अलग रहेगा ताकि इस संस्थान का कार्य भी प्रभावित न हो और साहित्य प्रेमियों को अनावश्यक अधिक दौड़ न लगानी पड़े। हालांकि संस्थान के अंदर से इस संग्रहालय का आपस में जुड़ाव रहेगा। यह संग्रहालय संस्थान के अधीन रहेगा।

    चंदना रामइकबाल यादव, निदेशक राज्य हिंदी संस्थान, वाराणसी।


    वाराणसी के राज्य हिंदी संस्थान की निदेशक चंदना रामइकबाल यादव ने बताया किहिंदी साहित्य भाषा संग्रहालय के डीपीआर की तो पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है। अब शासन से डिजाइन भी स्वीकृत हो चुकी है। इस इस संबंध में 24 दिसंबर को शासन में बैठक भी हो चुकी है। वित्त विभाग ने कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद से इंटीरियर डिजाइन प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया है। इसके बाद बजट जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। बजट जारी होते ही निर्माण शुरू हो जाएगा।