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    Holi 2025: काशी में होली के रंगों से सराबोर हो अपने धाम जाएंगे नागा संन्यासी, पढ़िए कब करेंगे प्रस्थान

    काशी में होली का पर्व नागा संन्यासियों के लिए विशेष महत्व रखता है। महाकुंभ के बाद वे काशी में होली खेलते हैं और फिर अपने धामों को प्रस्थान करते हैं। इस वर्ष जूना अखाड़े में पंचों का चुनाव हुआ और समष्टि भंडारा चल रहा है।17 मार्च को महानिर्वाणी अखाड़े के संत प्रस्थान करेंगे और 20 मार्च को निरंजनी अखाड़े के संन्यासी देवता को लेकर अपने मठों-मंदिरों के लिए प्रस्थान करेंगे।

    By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 14 Mar 2025 07:19 AM (IST)
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    चेतसिंह घाट पर होली खेलते युवा । जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। नागा संन्यासी प्रयागराज त्रिवेणी संगम में महाकुंभ का पुण्यामृत संचय करने के बाद से काशी में हैं। पेशवाई निकाल कर महाशिवरात्रि पर श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया भी किया। ज्योतिर्लंगाकार काशी की परिक्रमा की और अब होली पर रंगों से सराबोर होकर शुभ मुहूर्त में अपने धाम को जाएंगे।

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    इस बीच सबसे बड़े अखाड़ा जूना अखाड़े के अनेक पदाधिकारियों का चुनाव भी होना है। संतों की यह होली उनके अखाड़ों के भीतर ही होती है और वे आपस में ही होली खेलते हैं, बाहर कहीं जाकर या किसी बाहरी व्यक्ति के साथ वह होली नहीं खेलते।

    जूना में बदले गए पंच, चल रहा समष्टि भंडारा, अब 19 को करेंगे प्रस्थान

    सबसे बड़े अखाडे जूना अखाड़े में गुरुवार को पंचों का चुनाव किया गया। अनेक पंच बदले गए, कुछ पुराने बहाल रहे। चुनाव के पश्चात अभी यहां हनुमान घाट स्थित अखाडे में रह रहे श्रीपंच, पंच, सचिव, रमता पंच आदि के अतिरिक्त अन्य घाटों पर गंगा किनारे धूनी रमाए नागा साधु हैं। पिछले कई दिनों अखाड़े की तरफ से बैजनत्था स्थित आश्रम में समष्टि भंडारा चल रहा है। इसमें सभी अखाड़ों के साधू-संन्यासी तथा भक्तजन महाप्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।

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    अभी स्थानीय स्तर पर कुछ चुनाव होने शेष हैं जो होली के बाद 17 मार्च तक हो जाएंगे, इसके पश्चात अखाड़ों के साधु-संन्यासी अपने-अपने धाम, मठों, कंदराओं, उपत्यकाओं और हिमालय की गफाओं में तप-साधना के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।

    तुलसी घाट पर नागा संन्यासी साधु ध्यान लगाता। जागरण


    17 को प्रस्थान करेंगे महानिर्वाणी अखाड़े के संत

    शिवाला घाट स्थित महानिर्वाणी अखाड़े के अधिकांश साधु-संत व पदाधिकारी तो लगभग जा चुके हैं, फिर भी कुछ श्रीपंच, पंच सचिव सहित लगभग 100 संन्यासी अभी तक यहां रुके हुए हैं। इनके अतिरिक्त लगभग दर्जन भर संन्यासी गंगा किनारे घाटाें पर धूनी रमाए हुए हैं। ये सभी लोग शु्क्रवार को होली खेलने के बाद शुभ मुहूर्त में 17 मार्च को निकलेंगे। मां अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी महाराज ने बताया कि सभी साधु-महात्मा काशी में होली खेलकर 17 को सुबह सात बजे प्रस्थान करेंगे।

    देवता के साथ जाएंगे अखाड़ा

    निरंजनी अखाड़े के निवर्तमान महासचिव राधे गिरि बताते हैं कि कुंभ के बाद नागा अखाड़ों के संन्यासियों का काशी में होली खेलने की परंपरा काफी प्राचीन है। शुक्रवार को होली खेलने के बाद नागा साधू-संन्यासी 20 मार्च को शुभ मुहूर्त में देवता को लेकर ट्रेंपो ट्रैवेलर्स, छोटी गाड़ियों व हरिद्वार व प्रयागराज तथा देश के अन्य भागों में स्थित मठों-मंदिरों के लिए प्रस्थान करेंगे।

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    पांच-छह दिन बाद निकलेंगे आवाहन के संन्यासी

    दशाश्वमेध स्थित आवाहन अखाड़े के कुछ साधु-संन्यासी व बड़े पदाधिकारी जैसेे संरक्षक, महासचिव, श्रीमहंत आदि पूर्व में ही जा चुके हैं लेकिन अभी पंच वाले संन्यासी काशी में ही हैं। अखाड़े के पुरोहित पं. रामनिवास पाठक ने बताया कि इनमें बहुत से नागा संन्यासी घाटों पर धूनी रमाए हुए हैं तो अनेक सचिव, श्रीपंच, महंत, थानापति आदि काशी में रुके हुए हैं। सभी लोग होली खेलकर पांच-छह दिन बाद यहां से शुभ मुहूर्त देखकर अपने देवता के साथ प्रस्थान करेंगे।