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    कलयुग का असर: बुढ़ापे में बोझ बनी मां तो कानपुर से लाकर काशी में छोड़ा, Video वायरल के बाद उठाया ये कदम

    Updated: Thu, 17 Apr 2025 02:43 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां कलयुग का असर देखने को मिल रहा है। यहां एक महिला अपनी मां को कानपुर से लाकर वाराणसी में छोड़ दिया। इसके बाद इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद बेटी और दामाद को पछतावा हुआ तो वे मां को लेने बनारस पहुंचे। बदनामी से बचने के लिए बेटी-दामाद उन्हें वापस लेकर आएं।

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    मां को बोझ समझकर काशी में बेटी-दामाद ने छोड़ा। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी/कानपुर। बीमार और लाचार हुई मां को बोझ समझ पति संग मिलकर वाराणसी के घाट पर व्हील चेयर पर ले जाकर छोड़ने वाली बेटी इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित वीडियो के सामने आने के बाद उनको लेने वाराणसी पहुंच गई।

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    कानपुर के फीलखाना क्षेत्र के पटकापुर स्थित तपेश्वरी मंदिर के पास की रहने वाली इंद्रा के बारे में फीलखाना थाना प्रभारी रवीन्द्र प्रताप सिंह भी पता तलाशने में जुटे थे। आखिरकार खबर प्रकाशन और इंटरनेट मीडिया के प्रयास से बिटिया और दामाद अपनी मां को लेने बनारस आए।

    मणिकर्णिका घाट पर रविवार को स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग को घाट पर परिजनों के साथ देखा था। सुबह भी उसी जगह बुजुर्ग को देखा तो पूछताछ करने पर इंद्रावती रोने लगती थीं। इस दौरान लोगों के पूछने पर उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया। महिला सफाई कर्मी के अनुसार उनको स्नान कराने और कपड़े बदलने के दौरान उनके शरीद पर चोट के निशान भी मिले हैं।

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    कबीरचौरा के लावारिस वार्ड में भर्ती इंद्रावती को अपने पति के साथ लेने पहुंची रीता उर्फ रंजीता को अपनी गलती का पछतावा है। कानपुर में इंद्रावती की लाखों की संपत्ति है तो दुकान से कारोबार भी खूब होता है। अपनी सफाई में रंजीता ने बताया कि मां जिद करती हैं और अक्सर घर से निकल जाती हैं।

    इंद्रा को बेटी-दामाद ने काशी में छोड़ा। जागरण


    कई दिनों से खाना नहीं खा रहीं थीं और महाकाल के पास छोड़ने की बात कह रहीं थी तो आवेश में आकर उनको रविवार को वाराणसी लाकर छोड़ दिया था। बताया कि गलती का अहसास होने के बाद वह मां को लेने आई हैं।

    पति आदर्श के साथ रंजीता कबीरचौरा अस्पताल में लावारिस वार्ड संख्या चार में पहुंचकर मां से मुलाकात की। बताया कि मां के बीमार रहने के बाद भी उनकी काफी सेवा की है। उनकी सेवा के लिए अलग से व्यवस्था करने के बाद भी वह जिद करती रहती हैं और कोई बात नहीं सुनतीं। पापा के निधन के बाद मां के बीमार होने पर वह उनके साथ रह रही हैं।

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    बीमारी में दवा और भोजन भी नहीं करतीं तो मां के जिद करने पर उनको यहां छोड़ने का फैसला किया था। हालांकि गलती हुई है, इसका पछतावा है। वहीं, आदर्श ने बताया कि सास की जिद की वजह से वह ऐसा करने को विवश हुए लेकिन बदनामी होने और लोगों द्वारा गलत समझे जाने से उनको वापस ले जाकर उपचार कराने का फैसला किया है।