ज्ञानवापी में विशेष अधिवक्ता ने वजूखाने के सीलबंद कपड़े को बदलने की अदालत से की मांग
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में सुनवाई के दौरान सील किए गए कपड़ों को बदलने की मांग उठी क्योंकि उनके नुकसान पहुंचने की आशंका है। जिला जज जय प्रकाश तिवारी ने श्रृंगार गौरी मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की है। राज्य सरकार के वकील ने वजूखाने को सील करने वाले कपड़े बदलने का आदेश मांगा।

विधि संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी के लंबित मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एक अहम मांग उठाई गई। दरअसल सील किए गए कपड़ों के नुकसान पहुंचने की आशंका में अदालत में इस बाबत मांग की गई कि वहां पर सील किए गए कपड़ों को बदला जाए। हालांकि इस मामले में अदालत के रुख का आगे इंतजार रहेगा।
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जिला जज जय प्रकाश तिवारी ने मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की इजाजत देने को दाखिल मुकदमे समेत अन्य मामलों में अगली सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तिथि मुकर्रर की है। शुक्रवार को मुकदमे में पक्षकार बनाने के लिए चोलापुर निवासी जय प्रकाश रामचंद्र राजभर की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान जय प्रकाश रामचंद्र राजभर के उपस्थित न रहने पर अदालत ने अगली तिथि मुकर्रर कर दी।
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इस प्रार्थना पत्र पर वादिनि राखी सिंह की ओर से वकील मान बहादुर सिंह व चार अन्य महिलाओं की ओर से वकील सुधीर त्रिपाठी,सुभाष नंदन चतुर्वेदी द्वारा लिखित आपत्ति प्रस्तुत की जा चुकी है। मां श्रृंगार गौरी की नियमित दर्शन-पूजन की इजाजत देने को लेकर वर्ष 2022 में दाखिल मुकदमे में पक्षकार बनाने के लिए जयप्रकाश रामचंद्र राजभर ने 24 मई 2025 को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। इस प्रार्थना पत्र पर जिला जज ने पक्षकारों से आपत्ति प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशेष वकील राजेश मिश्रा ने कमीशन की कार्रवाई के दौरान वजूखाने को शील करने में लगे कपड़े के नष्ट होने के कारण बदलकर नए कपड़े से पुनः सील करने का आदेश देने की जिला जज से मांग की गई। इस मांग पर वादी हिंदू पक्ष के वकीलों ने कोई आपत्ति नहीं जताई जबकि प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए अदालत से समय मांगा। इस पर जिला जज ने आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए 22 अगस्त की तिथि मुकर्रर कर दी।
बता दें कि 16 मई 2022 को कमीशन की कार्रवाई के दौरान ज्ञानवापी परिसर में वजूखाने में मिले आकृति को (सिविल जज सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने सील करने का आदेश दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को जायज ठहराया था।
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