विश्व का सबसे बड़ा विवि बनेगा गोरखपुर का आयुष विश्वविद्यालय, जल्द होगा एमओयू
गोरखपुर का आयुष विश्वविद्यालय (Gorakhpur Ayush University) दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है। कुलपति प्रो. कुन्दुरु रामाचन्द्रा रेड्डी ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, वाराणसी। संस्कृत देववाणी है, संस्कृत भाषा में निहित अमृत तत्व में आयुर्वेद का अमृत तत्व भी छिपी है। यहां की दुर्लभ पांडुलिपियों में आयुर्वेद के ज्ञान तत्व हैं वर्तमान में पांडुलिपियों के संरक्षण के कार्य चल रहे हैं। इसके बाद उनके डिजिटलीकरण करके आयुर्वेद के विभिन्न आयामों शोध किया जाएगा। शनिवार को इन्हीं विषयों को लेकर आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. कुन्दुरू रामाचन्द्रा रेड्डी का आगमन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में हुआ।
प्रो. रेड्डी ने आयुर्वेद महाविद्यालय की चल रही परीक्षा का भी निरीक्षण किया। उनका स्वागत संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने किया। इस दौरान दोनों कुलपतियों ने यहां पर चल रहे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के द्वारा कराए जा रहे दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण कार्यों का भी निरीक्षण किया।
प्रो. रेड्डी ने कहा कि यहां संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों में चिकित्सा क्षेत्र के दुर्लभ ज्ञान तत्व निहित हैं, जिसका उपयोग जनहित में किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आयुर्वेद का विकास तेजी से हो रहा है।
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आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर। जागरण
गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जो आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी और होम्योपैथी जैसे विभिन्न प्रणालियों को समाहित करता है। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, जिसमें अद्वितीय सुविधाएं हैं जो अन्य विश्वविद्यालयों में नहीं हैं।
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उद्देश्य है कि सभी विश्वविद्यालयों को साथ लेकर प्रगति करें और आयुष पद्धति को आगे बढ़ाएं। इसके लिए काम चल रहा है और हमें विश्वास है कि हम इस क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे। शीघ्र ही संस्कृत विश्वविद्यालय से विभिन्न पहलुओं पर एमओयू किया जाएगा।
इस पर शोध कार्य करने हेतु विभिन्न आयाम तैयार हुआ है। इसके लिए आयुष विश्वविद्यालय विधिक तैयारी कर रहा है। इस मौके पर सुशील दुबे, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, अशोक कुमार चौधरी, डा. अमर चंद्र ठाकुर आदि उपस्थित थे।

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