Dev Deepawali 2022 : कार्तिक की सांझ, दीपों के साथ वाराणसी में गंगा घाटों पर उतरा पूनम का चांद
वाराणसी में सोमवार को कार्तिक मास की आखिरी सांझ शाम साढ़े पांच बजे पंचगंगा घाट का हजारा दीप स्तंभ आलोकित होते ही गंगा के घाटों पर असंख्य दीप एक साथ जल उठे। उत्तरवाहिनी गंगा का विस्तृत पाट जगमग होकर इठलाने लगा।

वाराणसी, भारतीय बसंत कुमार : कार्तिक मास की इस साल की आखिरी सांझ में एक ओर सूरज अस्ताचल को चले और गंगा तट पर असंख्य दीपमाला की रोशनी में भागीरथी की लहरें आह्लादित हो उठीं। आज त्रिपुर राक्षस पर देवों की विजय का पर्व देव दीपावली है। तभी तो देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सूरज के मद्धिम होते ही हर गली में स्वमेव आमंत्रित लोग भक्ति भाव में डूबे तेज कदमों से उत्सव का साक्षी बनने जाह्नवी तट की ओर भागे जा रहे हैं।
#WATCH उत्तर प्रदेश: देव दीपावली पर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर महागंगा आरती की जा रही है। pic.twitter.com/Lw7FpXQYkQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2022
शाम साढ़े पांच बजे पंचगंगा घाट का हजारा दीप स्तंभ आलोकित होते ही गंगा के घाटों पर असंख्य दीप एक साथ जल उठे। उत्तरवाहिनी गंगा का विस्तृत पाट जगमग होकर इठलाने लगा। उधर, रवि किरणें अस्त हुईं और इधर घनीभूत भारत गंगा तट पर परंपरा के दीपों की माला बनाए झूमने लगा।

घाटों पर मां गंगा की आज विशेष आरती हो रही है। दशाश्वमेध घाट का ²श्य है- बटुक और अर्चक मंत्रोच्चार कर रहे हैं। कन्याएं चंवर डोला कर सृष्टि की मंगल कामना के गीत गा रही हैं। घंटा-घडिय़ाल, डमरू-शंख, झाल-मृदंग समेत अन्य वाद्य यंत्रों की डमक-टनकार से दिशाएं गूंज रही हैं।
राजा चेतसिंह व अन्य घाटों पर लेजर शो की किरणें गंगा में इंद्रधनुष बना रही हैं। आज सुबह से ही एयरपोर्ट पर डमरू दल और अन्य लोक कलाकारों के अभिनंदन से बनारस आए मेहमान स्नेह सिंचित हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहली बार गंगधार से एकाकार हुआ है। इसके साथ ही बैकुंठ चतुर्दशी यानी काशी विश्वनाथ मंदिर प्रतिष्ठा दिवस का संयोग बना है। इससे उल्लास का आयतन और भी घना है।
#WATCH उत्तर प्रदेश: देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी के चेत सिंह घाट पर लोगों ने दीप जलाए। pic.twitter.com/uMT1ExzWZX
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2022
बाबा धाम 80 लाख रुपये के फूलों से सजधज कर सुवासित है। ठीक सामने रेती में संगीतमय इंद्रधनुष बाहें फैलाए हरित आतिशबाजी से गंगा के आकाशगंगा से मिलन का ओज भर रहा है। देश-दुनिया से पहुंचे लोग नदी में सजीं नावों और बैलून-फूलों से सजे बजड़ों से इस दृश्यावली को मन मंदिर में सहेज लेने को करीब सात किलोमीटर की कतार में लयबद्ध् हैं।
राजघाट पर निलेश-निकेश (मलिक ब्रदर्स) का शास्त्रीय गायन तो हर्षदीप कौर का सूफी अंदाज स्वर लहिरयों में घुल रहा है। असि घाट, केदारघाट, तुलसीघाट, मानसरोवर, जैन, जलासेन-ललिता समेत लगभग सभी घाटों पर मंत्रों का उद्घोष, शिव स्त्रोत और मां गंगा की आरती के जयघोष के बीच हर ओर बस रोशनी ही रोशनी और हर-हर महादेव का उद्घोष है।

मां गंगा के माथे पर 20 लाख दीपों का तिलक शोभायमान है। अबकी देव दीपावली में पहली बार लोगों ने नव निर्मित नमो घाट की आभा भी देखी है। दशाश्मेध घाट पर बनाया गया अमर जवान ज्योति का माडल भी लोगों को खूब लुभा रहा है।
बनारस में गंगा घाटों पर अर्ध चंद्राकार हैं। दीपों की सजावट से मानो गंगा के गले में चंद्रहार सजा है। वास्तव में यह लोक उत्सव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं रविवार को देव दीपावली की तैयारी का निरीक्षण किया था। एक लघु परंपरा का अब बना आकाशीय स्वरूप लोक में परंपरा के बचे होने की आश्वस्ति भी है।

पंचगंगा घाट पर हजारा दीपक स्तंभ में पहला दीप जलने के साथ ही गंगा घाटों पर इस पार और उस पार दीये जलने लगे। गंगा माता रोशनी में नहा उठती हैं। इस बार 20 लाख दीपक बातने की तैयारी साकार हुई। बनारस का सबसे विराट उत्सव पूरी तरह लोक सहभागिता से जुड़ा है। लाखों लाख हाथों ने मिलकर घाटों की सफाई की है और देखिए एक हाथ ने दीपक की बाती में लौ जलाई और नमो घाट से लेकर रविदास घाट तक अनगिन हाथों ने बाती बार ली।

देव दीपावली की परंपरा पौराणिक है। 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर के बनवाये पंचगंगा घाट पर हजारा दीपस्तंभ इसकी पुरातनता का गवाह है। यहां देव दीपावली पर कुछ दीये जलते थे। इस परंपरा को और घनीभूत किया काशी नरेश डाक्टर विभूति नारायण सिंह ने। उन्होंने इसी पंचगंगा घाट पर 1986 में देव दीपावली के लोक उत्सव को संपोषित किया। फिर उत्सव की लीला आगे बढ़ी और इस समय गंगा के घाटों के इस पार और उस पार दोनों ओर असंख्य दीपों से महोत्सव की माला गूंथी जाने लगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दो साल पूर्व अपने संसदीय क्षेत्र के इस विराट उत्सव में शामिल होकर इसकी भव्यता के साक्षी बने। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह इस बार देव दीपावली के मुख्य अतिथि थे।
.jpg)
मन तय नहीं कर पा रहा कि किस घाट की शोभा किससे कम है। अद्भुत, अलौकिक, अनुपम छटा जो संसार में बिरले ही दृश्यमान है, का साक्षी होना रोम-रोम को रोमांचित कर रहा है। पलकें बंद रखकर भी मन रोशनी से नहा रहा है। देह पर पूर्णिमा के चांद का प्रसाद बरस रहा है। हर मन पुलकित है, मन-मन हर्षित है। कारगिल युद्ध के बाद यहां की परंपरा में राष्ट्रधर्म जुड़ गया।

बलिदानियों की याद में आकाशदीप माह भर जलते हैं और उसका समापन आज दशाश्वमेध घाट पर होता है। बलिदानियों को भगीरथ शौर्य सम्मान दिया जाता है और उनके स्वजनों को सम्मानित भी किया जाता है। सृष्टि के श्रृंगार का यह महोत्सव बना रहे। मनुष्य मन का अमावस देव दीपावली के दिन पूर्णिमा का चांद हर ले। घाटों पर आए लोगों की यही तो मंगलकामना है।
यह भी पढ़ें : Dev Deepawali 2022 : वाराणसी में चंद्रहार-सी सुशोभित गंगा के साढ़े सात किलोमीटर लंबे तट की स्वर्णिम आभा
यह भी पढ़ें : Dev Deepawali 2022 : इन खास तस्वीरों में देखें वाराणसी में देव दीपावली, 84 घाटों पर रोशन हुए 21 लाख दीपक
यह भी पढ़ें : Dev Deepawali 2022 : पीएम मोदी ने देव दीपावली की कई तस्वीरें ट्वीट करते हुए आयोजन को अभिभूत करने वाला बताया

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।