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    Varanasi News: फर्जीवाड़ा करने के दोषी पूर्व ग्राम प्रधान समेत 13 दोषियों को सजा, 30 साल बाद कोर्ट का आया फैसला

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 10:33 AM (IST)

    वाराणसी की विशेष अदालत ने 30 साल पुराने जमीन घोटाले में पूर्व प्रधान विजय कुमार सिंह समेत 13 आरोपियों को दोषी ठहराया है। आरोपियों ने फर्जीवाड़ा कर ग्राम सभा की जमीन का पट्टा कराया था। विजय कुमार सिंह को 4 साल की सजा और 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। अन्य दोषियों को 3-3 साल की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है।

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    कोर्ट ने 13 आरोपितों को दोषी करार दिया है। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण वाराणसी। फर्जीवाड़ा कर ग्राम सभा की जमीन का पट्टा कराने के 30 साल पुराने मामले में गुरुवार को विशेष न्यायाधीश चतुर्थ (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रविन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने सोनभद्र जिला के बड़हर परगना के मूर्तिया गांव निवासी व पूर्व प्रधान विजय कुमार सिंह समेत 13 आरोपितों को दोषी करार दिया। अदालत ने विजय कुमार सिंह को चार साल के कारावास एवं 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर चार माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

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    इसी मामले में अदालत ने विजय के भाई इंद्र कुमार सिंह के अलावा अन्य दोषियों वीरेंद्र सिंह,महेंद्र सिंह,सतीश सिंह,राजकुमार सिंह, हरिश्चंद्र, भोलानाथ, मुनेश्वर, जगेश्वर, पंकज सिंह, सुशीला देवी एवं श्याम नारायण को तीन-तीन वर्ष के कारावास एवं दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर 30-30 दिन अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

    अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी संतोष कुमार तिवारी ने पैरवी की। अभियोजन पक्ष के अनुसार मूर्तिया गांव में ग्राम समाज व उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार की भूमि को पट्टे में दिए जाने के संबंध में अनियमितता और भ्रष्टाचार करने की शिकायत तत्कालीन विधायक रामलोटन सिंह व गांव के लोगों ने वर्ष 1995 में शिकायत की थी।

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    इसकी जांच की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार निवारण संगठन अपराध अनुसंधान विभाग वाराणसी को सौंपी गई। जांच के बाद तत्कालीन निरीक्षक देवेन्द्र प्रताप यादव ने आरोपितों के खिलाफ घोरावल थाना में फर्जीवाड़ा एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।

    विवेचना में फर्जीवाड़ा एवं भ्रष्टाचार करने की पुष्टि करते हुए विवेचनाधिकारी ने मूर्तियां गांव के प्रधान रहे विजय कुमार सिंह, क्षेत्रीय लेखपाल शिवनारायण लाल, कानूनगो त्रिभुवन राम चौबे समेत 19 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र प्रेषित कर दी।

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    आरोपपत्र में गलत नाम पता और फर्जीवाड़ा कर पट्टे पर जमीन अपने नाम कराने के साक्ष्य भी संलग्न किया गया था। आरोपपत्र में कहा गया कि उक्त लेखपालों,कानूनगो व नायब तहसीलदार ने पट्टों का जानबूझकर सही सत्यापन न करके पट्टीदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने में भरपूर सहयोग किया गया।

    मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की दलील थी कि अभियुक्तों ने साजिश रचकर सार्वजनिक संपत्ति का पट्टा पिता-पति का फर्जी नाम लिखकर जिस गांव के रहने वाले नहीं हैं वो भी उस गांव के निवासी बनकर,पट्टा प्राप्त कर लिए और खतौनी में नाम दर्ज कराकर भूमि पर काबिज हो गए।

    इसमें राजस्वकर्मी भी तत्कालीन प्रधान के साथ शामिल होकर भ्रष्टाचार किए। मुकदमे की सुनवाई के दौरान लेखपाल शिवनारायण, कानूनगो त्रिभुवन राम चौबे समेत छह आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है।