Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाराणसी में बैंक की सहायक प्रबंधक को CBI ने किया गिरफ्तार, म्यूल बैंक खाता खोलने में साइबर अपराधियों की मदद का आरोप

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 08:15 AM (IST)

    वाराणसी में सीबीआई ने एक बैंक की सहायक प्रबंधक को गिरफ्तार किया है। उन पर साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाता खोलने में मदद करने का आरोप है। यह गिरफ्ता ...और पढ़ें

    Hero Image

    सीबीआइ की गिरफ्त में बैंक शाखा प्रबंधक शालिनी सिंह (बाएं)। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाता खोलने और ठगी के रुपयों के लेन-देन में मदद करने के आरोप में सीबीआई ने केनरा बैंक की चितईपुर शाखा की सहायक प्रबंधक शालिनी सिन्हा को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। विशेष न्यायाधीश चतुर्थ (भ्रष्टाचार निवारण) रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत में पेश किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत की ओर से तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ दिल्ली ले गई। अदालत ने 26 दिसंबर दोपहर 12 बजे तक संबंधित क्षेत्राधिकार न्यायालय के समक्ष पेश करने और इस दौरान शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं करने का आदेश दिया है। अभियोजन अधिकारी श्याम सरोज दुबे ने अदालत में सीबीआई का पक्ष रखा।

    इस मामले में सीबीआई ने बीते अप्रैल माह में दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया था। उसके अनुसार जानकारी मिली थी कि कई बैंकों के कर्मचारी साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाते खोलने में मदद कर रहे हैं। इसके साथ ही साइबर ठगी से हासिल रुपयों को भी दूसरे खातों में ट्रांसफर कर रहे हैं।

    इस मामले में जांच के दौरान पता चला कि साइबर ठग तरह-तरह के तरीके अपनाकर लोगों को साथ ठगी कर रहे हैं। उनसे रुपये हासिल करने के लिए उन्हें म्यूल बैंक खातों की जरूरत होती है। जांच के दौरान जानकारी मिली कि पूरे भारत में 743 पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के बैंकों खाते खोले गए। हर बैंक में लगभग तीन सौ म्यूल खाते खोले गए। इस तरह पूरे भारत में 8.7 लाख म्यूल बैंक खाते खोले गए।

    इन खातों को खोलने और उसमें होने वाली रुपयों की लेन-देन के मामले में नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। इन बैंकों में खातों की निगरानी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों की भी अनदेखी की। इन म्यूल खातों में कुछ ही दिनों में काफी रुपये आए और निकाले गए लेकिन बैंकों ने इन्हें संदिग्ध खातों की सूची में नहीं डाला। खाते फर्जी कागजातों के आधार पर खोले गए।

    इसके लिए जिनके नाम-पता का इस्तेमाल किया गया बैंक की तरफ से उनके साथ किसी तरह का पत्राचार नहीं किया गया। उनके वेरीफिकेशन भी नहीं किया गया। बैंक खातों को खोलने में कई मध्यस्थ भी थे जिन्होंने बैंक कर्मचारियों, अधिकारियों को खाता खोलने के लिए राजी किया। इस तरह प्रथमदृष्टया ठगी में साइबर अपराधियों के साथ बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों के भूमिका भी मिली।

    इस तरह 16 ऐसे नाम सामने आए जिनके बैंक खातों में साइबर ठगी के रुपये आए। यह दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान के रहने वाले हैं। साइबर ठगों को म्यूल खाते उपलब्ध कराने वाले 18 बैंक कर्मचारियों, ई-मित्र आदि का भी नाम सामने आया। यह राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनमें यूको बैंक का कर्मचारी भी है।

    यह भी पढ़ें- वाराणसी में राजघाट पुल बंद, रामनगर - सामने घाट पुल और विश्व सुंदरी पुल पर उमड़ी अपार भीड़

    साइबर ठगों को बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले के संपर्क में थी शाखा प्रबंधक

    जांच के दौरान जानकारी मिली कि निरंजन गुप्ता गेमिंग एप, बेटिंग एप, साइबर ठगी के लिए म्यूल बैंक खाते खुलवाता है। उसके मोबाइल फोन के फोरेंसिक जांच में पता चला कि शालिनी सिंहा उससे लगातार संपर्क में थी। चितईपुर शाखा में आने से पहले वह पटना के एसके नगर शाखा में सहायक प्रबंधक थीं।

    वहां रहने के दौरान इनकी संस्तुति पर ही छह म्यूल बैंक खाते खोले गए जिनकी उपयोग साइबर ठगी के रुपये मंगाने के लिए किए गए। हर खाते में साइबर ठगी से हासिल एक करोड़ से अधिक की रकम पहुंची थी। व्हाट्सएप चैट के जानकारी मिली थी कि शालिनी सिंहा को निरंजन गुप्ता के साइबर ठगों के लिए फर्जी तरीके बैंक खाते खुलवाने की जानकारी थी।

    यह होता है म्यूल बैंक खाता

    म्यूल बैंक खाता वह होता है जिसका इस्तेमाल अपराधी अवैध धन के लेन-देन के लिए करते हैं। ये खाते अनजान व्यक्तियों द्वारा आसानी से रुपये कमाने के लालच में या फर्जी कागजात के आधार पर खोले जाते हैं। इन खातों का संचालन साइबर ठग ठगी से हासिल रुपयों के लिए करते हैं।