BHU में पीएचडी प्रवेश का गतिरोध दूर, कृषि में खुलेंगे रोजगार के अवसर
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने 17 साल पुराने एमएससी प्लांट बायोटेक्नोलॉजी कोर्स को बंद करने का फैसला किया है। यह कोर्स छात्रों को पीएचडी प्रवेश ...और पढ़ें

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू)। जागरण
संग्राम सिंह, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के करीब 17 साल से चलाए जा रहे दो वर्षीय डिग्री कोर्स एमएससी इन प्लांट बायोेटेक्नालाजी को बंद करने की सहमति मिली है। कारण कि यह कोर्स करने के बाद बाद विद्यार्थी विवि की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाते थे।
पाठ्यक्रम का स्वरूप प्लांट और बायोेटेक्नालाजी होने की वजह से अभ्यर्थी विज्ञान और कृषि संकायों के बीच दौड़ते थे। संबंधित विषय नहीं होने की वजह उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता था। उनके सामने रोजगार के अवसर भी सीमित रहते थे। देशभर से पांच सौ से अधिक छात्र यह कोर्स किए हैं। हर साल 30 सीटों पर दाखिला मिलता है। विवि प्रशासन की तरफ से समस्या का समाधान खोज लिया गया है।
अगले साल से यह डिग्री कोर्स संचालित नहीं किया जाएगा, इसे बंद किए जाने पर सहमति बनी है। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से एमएससी कृषि के छात्रों को मालिक्यूलर बायोलाजी एंड बायोटेक्नोलाजी में प्रवेश दिया जाएगा। यह दो वर्षीय पीजी पाठ्यक्रम शुरू करने की स्वीकृति मिली है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरफ से विवि प्रशासन को जारी विषयों की सूची में नए डिग्री कोर्स को शामिल किया गया है।
मीरजापुर के राजीव गांधी दक्षिण परिसर बरकछा में संचालन होगा। 30 सीटों पर दाखिला होगा, इससे पीएचडी के लिए कृषि व विज्ञान संकाय के विभागों में प्रवेश मिल सकेगा। इसके अलावा कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे। यह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम छात्रों को कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के उन्नत उपकरणों का उपयोग करने के लिए तैयार करेगा। प्रवेश सीयूईटी-पीजी के माध्यम से होगा।
पौधों की आनुवंशिकी और जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन हाेगा
यह पाठ्यक्रम कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, जिसमें मालिक्यूलर जेनेटिक्स में पौधों की आनुवंशिकी और जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन होगा। प्लांट बायोटेक्नोलाजी में ऊतक संवर्धन, आनुवंशिक इंजीनियरिंग और ट्रांसजेनिक पौधों का विकास पढ़ाया जाएगा। जीनोमिक्स और बायोइन्फार्मेटिक्स में डेटा का विश्लेषण और जीनोम अनुक्रमण होगा। बायोकेमिकल टेक्निक्स में प्रोटीन और एंजाइमों का अध्ययन किया जाएगा। साथ ही, रोग प्रतिरोधी और उच्च उपज वाली फसलों के लिए जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग भी बताया जाएगा।
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करियर की संभावनाएं
- सरकारी अनुसंधान संस्थान (आइसीएआर व सीएसआइआर), विश्वविद्यालयों और निजी बीज एवं जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों में वैज्ञानिक या शोधकर्ता के रूप में।
- कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य (एनईटी, एसईटी और पीएचडी के बाद) व कृषि-जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना स्टार्टअप शुरू करना।
- बीज उद्योग, उर्वरक कंपनियां, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और फार्मास्युटिकल व जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों में गुणवत्ता नियंत्रण, उत्पादन या विपणन भूमिकाएं।
आवश्यक योग्यता
बीएससी कृषि, बीएससी आनर्स कृषि, बीएससी वानिकी, बीएससी आनर्स वानिकी, बीएससी बागवानी, बीएससी आनर्स बागवानी और बीएससी आनर्स बायोटेक्नोलाजी की चार वर्षीय डिग्री होनी चाहिए। इसके अलावा विवि के कोर्स क्रेडिट सिस्टम के तहत न्यूनतम समग्र ग्रेड पाइंट एवरेज प्राप्त करना भी अनिवार्य होगा।
नए कोर्स के शुल्क निर्धारण में फेरबदल नहीं : प्रो. श्रवण
कृषि विज्ञान संस्थान की आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के अध्यक्ष प्रो. श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि प्रवेशित छात्रों को विभाग से जुड़ी आणविक प्रयोगशालाओं, जीनोमिक्स सुविधाओं और जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों के साथ कार्य करने का अवसर मिलेगा।
करीब 43 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर की दर से शुल्क लिया जाएगा, जबकि बंद किए गए कोर्स मेें भी यही शुल्क लिया जाता था। शुल्क निर्धारण में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सभी छात्रों को हास्टल की सुविधा दी जाएगी।

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