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    बीएचयू दुष्कर्म मामले की पीड़िता के साथी से जिरह जारी, अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 05:16 PM (IST)

    बीएचयू में आईआईटी छात्रा से दुष्कर्म मामले में अदालत में सुनवाई हुई। पीड़िता के साथी जीवी रितेश के बयान पर बचाव पक्ष के वकील अजय सिंह और राजीव सिंह ने जिरह की जो पूरी नहीं हो सकी। अदालत ने अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को तय की है। अभियोजन पक्ष ने पीड़िता समेत पांच गवाहों के बयान दर्ज कराए हैं।

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    2 नवंबर 2023 को बीएचयू परिसर में छात्रा के साथ यह घटना हुई थी।

    विधि संवाददाता, वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आईआईटी की एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में शुक्रवार को द्रुतगामी न्यायालय (प्रथम) के न्यायाधीश कुलदीप सिंह की अदालत में सुनवाई हुई।

    इस मामले में आरोपित कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल की ओर से वकील अजय सिंह और राजीव सिंह ने पीड़िता के साथी जीवी रितेश द्वारा दिए गए बयान के संबंध में जिरह की। जिरह की प्रक्रिया पूरी न होने के कारण अदालत ने इसे जारी रखते हुए अगली सुनवाई की तिथि छह अक्टूबर निर्धारित की।

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    सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी मनोज गुप्ता उपस्थित थे। इस चर्चित मामले में अभियोजन पक्ष ने पीड़िता समेत पांच गवाहों के बयान और उनसे जिरह की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

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    मामले के अनुसार, बीएचयू परिसर में दो नवंबर 2023 की रात को आईआईटी की छात्रा के साथ तीन युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। पीड़िता ने तीनों युवकों के खिलाफ लंका थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। घटना के समय पीड़िता का साथी जीवी रितेश मौके पर मौजूद था। विवेचना के दौरान नाम प्रकाश में आने पर लंका पुलिस ने तीनों आरोपित युवकों कुणाल पांडेय, आनंद चौहान और सक्षम पटेल को गिरफ्तार किया था। फिलहाल, तीनों आरोपित जमानत पर जेल से बाहर हैं।

    मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण और चश्मदीद गवाह जीवी रितेश का 31 जुलाई को अदालत में बयान दर्ज किया गया था। उन्होंने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अदालत को दी

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    इस मामले ने न केवल विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ती असुरक्षा की भावना को भी सामने लाया है। पीड़िता और उसके परिवार ने न्याय की उम्मीद में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

    अगली सुनवाई में अदालत में जिरह की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि क्या आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं या नहीं। इस मामले की सुनवाई को लेकर समाज में गहरी चिंता और चर्चा का माहौल है, और सभी की नजरें अदालत के फैसले पर टिकी हुई हैं।

    इस प्रकार, यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर प्रदान करता है।

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