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    Varanasi News: बीएचयू अस्पताल में फैकल्टी डॉक्टर ही करेंगे रेफर, ICU में घटाएंगे मृत्यु दर

    वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में अब आईसीयू में मरीजों को रेफर करने का निर्णय केवल फैकल्टी डॉक्टर ही लेंगे। जूनियर रेजिडेंट द्वारा रेफर करने से आईसीयू में बेड की कमी और मृत्यु दर बढ़ने की समस्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। अस्पताल प्रशासन का लक्ष्य है कि आईसीयू में भर्ती मरीजों में मृत्यु दर को कम किया जाए और 80% तक मरीजों को बचाया जा सके।

    By Sangram Singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 12 Apr 2025 11:58 AM (IST)
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    बीएचयू अस्पताल में फैकल्टी डाक्टर ही करेंगे रेफर, आइसीयू में घटाएंगे मृत्यु दर

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी में कुछ दिन पहले एक मरीज को भर्ती कराया गया। प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सा अधिकारियों ने उसे आइसीयू रेफर किया। इसी तरह चेस्ट वार्ड में भर्ती मरीज के आइसीयू का पर्चा जूनियर रेजिडेंट ने तैयार किया, इसकी खबर कंसल्टेंट डाॅक्टरों को नहीं थी।

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    दोनों मामलों में एनेस्थिसिया विभाग के मार्गदर्शन के बाद आइसीयू का निर्णय वापस हुआ और दोनों मरीजों का संबंधित वार्ड में ही उपचार किया गया। यह मामले तो सिर्फ बानगी भर है, आइसीयू के लिए रेफर पर अधिकांश बार रेजिडेंट ही निर्णय लेते हैं। फैकल्टी डाॅक्टरों को जानकारी ही नहीं होती। इन्हीं दिक्कतों के चलते आइसीयू में प्रतिदिन सौ से अधिक वेटिंग रहती है, क्योंकि एनेस्थिसिया विभाग की आइसीयू में सिर्फ 32 बेड हैं।

    ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए अस्पताल प्रशासन की तरफ से विभागों में अभियान चलाने की तैयारी है। रेजिडेंटों को प्रेरित करेंगे कि न्यूनतम मरीजों को ही आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) के लिए रेफर किया जाए क्योंकि काफी हद तक वार्ड में ही सुविधाएं उपलब्ध हैं। मरीजों को सही वक्त पर अस्पताल में इलाज शुरू कर दिया जाए। कंसल्टेंट डाक्टर की तरफ से ही रेफर की संस्तुति की जाए।

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    आइसीयू में भर्ती 50 प्रतिशत लोग बच पाते हैं :

    अभी तक जूनियर रेजिडेंट ही मरीज को रेफर करने का अंतिम निर्णय लेते हैं, जबकि अधिकांश बार वह 'गेंद' दूसरे के पाले में डालने की मंशा से ऐसा करते हैं। लोगों को बेड नहीं मिल पाता है। अब 80 प्रतिशत लोगों को बचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। हर महीने औसतन सवा सौ मरीजों को आइसीयू में भर्ती किया जाता है लेकिन 50 प्रतिशत लोग ही बच पाते हैं।

    आइसीयू में बेड बढ़ाने की फाइल धूल फांक रही है। कुछ माह पहले ही सर सुंदरलाल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में कायाकल्प परियोजना का कार्य पूर्ण होने के बाद दावा हुआ था कि बेड बढ़ाए जाएंगे, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई।

    बेड मिलने की समस्या जस की तस :

    सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक और पुरानी बिल्डिंग में पहले की तरह ही आज भी 32 बेड हैं। तीन महीने पहले पुरानी बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने पर 12 बेड यहीं शिफ्ट कर दिए गए। कर्मचारियों को भी यहीं स्थानांतरित कर दिया गया, ऐसे में गंभीर मरीजों को बेड मिलने की समस्या जस की तस बनी है।

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    प्रशासन को बेड के अनुपात में कर्मचारियों की तैनाती करनी चाहिए। हालांकि, एनेस्थिसिया विभाग के अलावा मेडिसिन विभाग के एसीयू 20 बेड, न्यूरोलाजी में 10, गैस्ट्रोइंटरोलाजी में छह और स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की आइसीयू में 16 बेड हैं।

    कंसल्टेंट डाॅक्टरों को ही आइसीयू के लिए पर्चा लिखना चाहिए। जूनियर रेजिडेंट इस पर निर्णय नहीं ले सकते हैं। इस संबंध में बैठक बुलाएंगे और विभागाध्यक्षों को चेतावनी देंगे। - प्रो. एसएन संखवार, निदेशक, आइएमएस बीएचयू।