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Gyanvapi Masjid case : 1993 में बैरिकेडिंग होने से पहले ज्ञानवापी मस्जिद में नियमित होता था श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन, पढ़ें...

Gyanvapi Masjid in Varanasi सरकारी दस्‍तावेजों में ऐसे कोई साक्ष्‍य दर्ज नहीं हैं कि दर्शन पूजन प्रतिबंधित करने के लिए बैरिकेडिंग लगाने का आदेश दिया गया हो। लेकिन हिंदू पक्ष के अनुसार 1993 में बैरिकेडिंंग लगाकर श्रृंगार गौरी का नियमित दर्शन पूजन बाधित कर दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 03:35 PM (IST)
ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन 1993 में बैरिकेडिंग लगाकर बाधित करने का आरोप है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत आज 12 सितंबर को तमाम तारीखों की सुनवाई के बाद इस बात पर फैसला ले लिया कि अदालत को इस मामले में सुनवाई का अधिकार है और आगे भी सुनवाई की जाती रहेगी। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से तमाम दस्‍तावेज और साक्ष्‍य अदालत को सौंपे गए हैं। इसमें औरंगजेब की संपत्ति होने की जानकारी के साथ ही वक्‍फ की संपत्ति होने का दावा करते हुए अदालत को सुनवाई का अधिकार न होने की मांग की थी। हालांकि, 1993 के पहले ज्ञानवापी मस्जिद में नियमित श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन होता था और बाद में बैरिकेडिंग कर दी गई थी। 

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इस बाबत वादी पक्ष का दावा है कि बिना किसी आदेश के मां श्रृंगार गौरी का दर्शन- पूजन रोक दिया गया था।ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में वादी पक्ष की ओर से नियिमत दर्शन-पूजन की मांग की गई है। इसके लिए वादी पक्ष ने अपना तर्क भी अदालत में दिया था। वादी संख्या एक राखी सिंह के वकील मानबहादुर सिंह ने अदालत के सामने कहा था कि मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन वर्ष 1993 से पहले तक नियमित होता था। इसके बाद मस्जिद की बैरिकेडिंग की गई। इससे मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा भी बैरिकेडिंग के अंदर ही आ गई। इसके चलते दर्शनार्थियों को वहां जाकर दर्शन-पूजन करने से रोक दिया गया।

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जबकि बैरिकेडिंग कहां से आ गई? इस बारे में किसी तरह का कोई लिखित आदेश आज तक मौजूद नहीं है। वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश में जब प्रदेश के चुनाव हुए तो दिसंबर माह में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उस समय केंद्र में पीवी नरसिंह राव की कांग्रेस सरकार थी। मगर, बैरिकेडिंग किसके आदेश पर हुई और मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन किसने आदेश से रोका गया यह जानकारी किसी को नहीं है। मगर, आज लगभग तीन दशक बाद भी बैरिकेडिंग पर सवाल बरकरार है। 

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अब केस नए सिरे से खुला है तो हौजखास नई दिल्ली निवासी राखी सिंह, सूरजकुंड लक्सा वाराणसी की लक्ष्मी देवी, सरायगोवर्धन चेतगंज वाराणसी की सीता साहू, रामधर वाराणसी की मंजू व्यास, हनुमान पाठक वाराणसी की रेखा पाठक वादी के तौर पर अदालत में सवाल बनकरर खड़े हैं। तो दूसरी ओर चीफ सेक्रट्ररी के माध्‍यम से उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी वाराणसी, पुलिस कमिश्नर वाराणसी, ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है। 

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