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    Nepal Protest: बंदी से सीमाई क्षेत्र में मंदी, व्यापार ठप और सब्जियों के दाम आसमान पर

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:02 PM (IST)

    नेपाल में जेन-जी आंदोलन के चलते कर्फ्यू लगने से सीमाई कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बढ़नी और कृष्णानगर में प्रतिदिन का कारोबार 30-35 करोड़ रुपये तक घट गया। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से सब्जियों और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं जिससे आम जनता परेशान है। प्रशासन स्थिति सामान्य करने का प्रयास कर रहा है।

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    तीन दिन की बंदी से भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में डेढ़ अरब का कारोबार प्रभावित

    जागरण संवाददाता, बढ़नी। नेपाल में जेन-जी आंदोलन के चलते तीन दिनों तक जारी कर्फ्यू और प्रतिबंधों ने सीमाई क्षेत्र की स्थिति पूरी तरह बदल दी। काठमांडू, बीरगंज और पोखरा सहित कई शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू अब भी लागू है। दिन में ढील के बावजूद कृष्णानगर, मरजादपुर और आसपास के कस्बों में रौनक लौटने का इंतजार है। मगर तीन दिनों की बंदी ने सीमा व्यापारियों को गहरा आर्थिक झटका दिया है।

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    व्यापारियों का कहना है कि सामान्य दिनों में बढ़नी और कृष्णानगर में प्रतिदिन 30–35 करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जबकि खुनुवा और मरजादपुर में 15–20 करोड़ रुपये। इन चारों कस्बों की पांच हजार से अधिक दुकानों पर ताले लटकने से तीन दिन में करीब डेढ़ अरब का कारोबार प्रभावित हुआ।

    सबसे बड़ी मार आम नागरिकों पर पड़ी है। कृष्णानगर बाजार में सब्जियों और फलों के दाम अचानक दोगुने-तिगुने हो गए। आलू 40 रुपये किलो और टमाटर 150 रुपये किलो बिक रहे हैं। अन्य सब्जियों के भाव भी तेजी से बढ़े हैं। ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग किचन चलाने तक को मोहताज हो रहे हैं।

    देश में विदेशी ताकतों ने हालात बिगाड़ दिए हैं। आंदोलन से खाद्यान्न, फल और सब्जियों की गाड़ियां बार्डर से नहीं आ पा रहीं। पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों का जीविकोपार्जन प्रभावित हो रहा है। उम्मीद है हालात जल्द सामान्य होंगे।

    -विष्णु प्रसाद मुस्कान, सभापति कांग्रेस, अर्घाखांची, नेपाल

    हमारा फल और सब्जी का निर्यात ठप है। 13 ट्रकों में 40 लाख रुपये से अधिक का माल फंसा है। कस्टम शुल्क जमा होने के बावजूद गाड़ियां रोकी गई हैं। अगर जल्दी नहीं छोड़ा गया तो भारी नुकसान होगा।”

    -विमल गुप्ता, सिंह एंड विमल ट्रेडर्स, कृष्णानगर

    व्यापारियों की सुरक्षा और हित को देखते हुए दुकानों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है। आंदोलनकारियों और प्रशासन से समन्वय बैठकों के बाद उम्मीद है कि व्यापारिक गाड़ियां नेपाल में प्रवेश कर सकेंगी और नुकसान से बचा जा सकेगा।”

    -रितेश शर्मा, अध्यक्ष, उद्योग वाणिज्य संघ, कृष्णानगर

    विजयदशमी नेपाल का बड़ा त्योहार है। इस मौके पर नेपाली नागरिक बढ़नी और अन्य भारतीय बाजारों में जमकर खरीदारी करते हैं। आंदोलन से पूरा व्यापार चौपट हो गया है। उम्मीद है कि स्थिति जल्द बहाल होगी और कारोबार पटरी पर लौटेगा।

    -राजेंद्र सिंह बिल्लू, कपड़ा व्यवसायी, बढ़नी

    प्रशासन की सख्ती और सतर्कता

    सिद्धार्थनगर प्रशासन पूरी तरह चौकस है। मंडलायुक्त अखिलेश कुमार और पुलिस उप महानिरीक्षक संजीव त्यागी ने ककरहवा-अलीगढ़वा बार्डर का दौरा कर हालात का जायजा लिया। गुरुवार को जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. और पुलिस अधीक्षक डा. अभिषेक महाजन ने बढ़नी एसएसबी कैंप पर बैठक की।

    यह भी पढ़ें- नेपाल हिंसा में फंसे भारतीयों के लिए राहत भरी खबर, विहिप ने जारी किए Helpline number

    इसमें एसएसबी, पुलिस, कस्टम और सीमावर्ती थानों के अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने सीमा का निरीक्षण किया, पैदल गश्त की और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए। नेपाल प्रहरी के साथ वार्ता कर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने और आपसी समन्वय पर जोर दिया गया।

    तीन दिन का सन्नाटा

    कर्फ्यू हटने के बाद गुरुवार सुबह छह बजे उम्मीद थी कि बाजारों में चहल-पहल लौट आएगी, लेकिन दोपहर तक कस्बों में सन्नाटा पसरा रहा। धीरे-धीरे लोग आवश्यक कार्यों से बाहर निकले और बाजारों में हल्की चहल-पहल दिखाई दी। तीन दिनों की बंदी ने सीमाई व्यापार और आम लोगों दोनों को झकझोर दिया है। जहां व्यापारी भारी आर्थिक नुकसान से जूझ रहे हैं, वहीं आम लोग महंगाई और जरूरी सामान की कमी से परेशान हैं। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि हालात कब तक पूरी तरह सामान्य हो पाते हैं।