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    Nepal Protest: तीन दिन बाद खुली भारत-नेपाल सीमा, अलीगढ़वा बाजार में उमड़े खरीदार

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:20 PM (IST)

    अलीगढ़वा सीमा पर तीन दिन की सख्ती के बाद ढील दी गई जिससे नेपाली नागरिकों को राहत मिली। हजारों लोग जरूरत का सामान खरीदने उमड़े क्योंकि साप्ताहिक बाजार भी था। नेपाल से 30 किमी दूर के गांवों से लोग आए और राशन सब्जी दाल-चावल की खरीदारी की। लोगों ने बताया कि सीमा बंद होने से राशन खत्म हो गया था जिससे जीवन मुश्किल हो गया था।

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    थोड़ी सी मिली ढील तो अलीगढ़वा में सामानों की खरीदारी के लिए उमड़े नेपाल के लोग। जागरण

    सीताराम यादव, कपिलवस्तु। तीन दिन की सख्ती के बाद गुरुवार को अलीगढ़वा सीमा पर थोड़ी नरमी दिखाई गई। सीमा खुलते ही हजारों की संख्या में नेपाली नागरिक अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए उमड़ पड़े। गुरुवार को साप्ताहिक बाजार का दिन भी था, लिहाज़ा सीमा पर खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी। नेपाल के 30 किलोमीटर दूर तक के गांवों से लोग यहां पहुंचे और तीन दिनों की कमी को पूरा करने के लिए जमकर खरीदारी की।

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    बाजार में भीड़ का आलम यह रहा कि लोग थोक में राशन, सब्जी, दाल-चावल और घर-गृहस्थी का सामान खरीदते नजर आए। हर किसी के चेहरे पर राहत झलक रही थी, मानो तीन दिन से रुकी हुई जिंदगी अब वापस पटरी पर लौट आई हो। सीमा पार करने वालों की भीड़ इतनी थी कि एसएसबी जवान लगातार पहचान पत्र मिलान कराते रहे।

    43वीं वाहिनी के डिप्टी कमांडेंट जसवंत सिंह ने बताया कि लोगों की परेशानी देखते हुए पहचान पत्र चेक कर प्रवेश दिया जा रहा है। जवान पूरी सतर्कता में हैं। नेपाल प्रशासन की ओर से भी माहौल शांत होने का संकेत दिया गया है। थाना चाकर चौड़ा प्रभारी महेश पंत ने कहा कि अभी कर्फ्यू आगे बढ़ाने की कोई सूचना नहीं है। हालात सामान्य करने की कोशिश जारी है।

    तीन दिन बाद खुली सीमा, लोगों ने बांटी अपनी पीड़ा

    अलीगढ़वा से नेपाल के करीब 25 किलोमीटर दूर फुल्का से बाजार करने आये हरिद्वार ने कहा कि तीन दिन की बंदी ने घर का राशन खत्म कर दिया था। बच्चे भूख से परेशान थे। आज जब बाजार खुला तो थोड़ी राहत मिली और उम्मीद है अब हालात सुधरेंगे।

    अलीगढ़वा से 16 किलोमीटर माया देवी गांव पालिकादूर से चलकर आये ओमप्रकाश अहीर ने बताया कि हम रोजमर्रा के सामान के लिए भारत पर निर्भर हैं। सीमा बंद होने से बच्चों को तकलीफ हुई। तीन दिनों तक दाल, सब्जी और आटा जुटाना मुश्किल था। आज जाकर चैन की सांस मिली।

    अलीगढ़वा से आठ किलोमीटर दूर तितरखा गांव से चलकर आये बीरेंद्र ने कहा कि सीमा बंद होते ही महंगाई अचानक बढ़ गई थी। बचे-खुचे सामान से गुजारा चलाना पड़ा। अगर आंदोलन और लंबा खिंचता तो खाने तक की बड़ी समस्या खड़ी हो जाती। अब हालात सामान्य होने की उम्मीद है।

    यह भी पढ़ें- Nepal Protest: बंदी से सीमाई क्षेत्र में मंदी, व्यापार ठप और सब्जियों के दाम आसमान पर

    अलीगढ़वा से सात किलोमीटर दूर रहने वाले पकड़ी के नजरे आलम ने कहा कि बीमारी में दवा लेने निकले थे, लेकिन सीमा से वापस लौटा दिया गया। बच्चों का इलाज भी अधर में लटक गया। आज राहत है कि अब बाजार से दवाएं और जरूरी सामान मिल पाएंगे।

    अलीगढ़वा से छह किलोमीटर दूर गांव धुपही के चंद्रवती कुर्मी ने कहा कि तीन दिन की बंदी में बच्चों की परीक्षा तक रद्द हो गई। पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा। घर का कामकाज भी थम गया। अब जब हालात सुधर रहे हैं तो भविष्य को लेकर उम्मीद जगी है।