श्रावस्ती में नदी के तटवर्ती गांवों के किसानों ने बाढ़ के डर से छोड़ी खेती, खेत होने के बावजूद भूमिहीन बने हैं सैकड़ों किसान
श्रावस्ती जिले में राप्ती नदी के किनारे बसे किसानों की हालत बाढ़ के कारण खस्ताहाल है। हर साल आने वाली बाढ़ से फसलें बर्बाद हो रही हैं जिससे किसान परेशान हैं। इकौना तहसील के रमनगरा और कल्याणपुर गाँव में लगभग 200 बीघे कृषि भूमि खाली पड़ी है क्योंकि किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है। वर्ष 2022 से लगातार बाढ़ आने से किसानों की कमर टूट गई है।

प्रमोद मिश्र, जमुनहा (श्रावस्ती)। राप्ती नदी के किनारे बसे गांवों के किसानों का बाढ़ व खेतों में रेत पट जाने से खेती-किसानी से मोहभंग हो गया है। नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ किसानों की फसल को नष्ट कर देती है। ऐसे में इकौना तहसील क्षेत्र के रमनगरा व कल्यानपुर गांव के किसानों ने खेतों में फसल लगाना ही छोड़ दिया है। इससे कछार में लगभग 200 बीघे कृषि योग्य भूमि खाली पड़ी है। लोगों के पास खेत तो है, लेकिन उनकी स्थिति भूमिहीन किसानों जैसी बनी है।
राप्ती नदी जमुनहा तहसील के सागर गांव के पास जिले में प्रवेश करती है। नदी में आने वाली बाढ़ जिला मुख्यालय समेत अन्य क्षेत्र में तबाही मचाती थी। नदी के उत्तर-पूर्वी तट पर परसा डेहरिया-तिलकपुर व खजुहा झुनझुनिया-अंधरपुरवा तक तटबंध बना है। तटबंध बनने के बाद जमुनहा व इकौना क्षेत्र के लोगों को प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषका झेलनी पड़ती है। वर्ष 2022 से प्रतिवर्ष बाढ़ आती है। वर्ष 2022 व 2023 में किसानों की तैयार फसल बाढ़ में बह गई थी या नदी की रेत से पट गई थी। बाढ़ ने दो वर्षों में किसानों की कमर तोड़ दी। इससे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के किसानों ने खेतों में फसल लगाना ही छोड़ दिया।
इकौना क्षेत्र के रमनगरा गांव के किसान गोरखनाथ मिश्र का 22 बीघे, रामकुमार, संतोष कुमार, कंधई, नरायन व हरिशंकर का पांच- पांच बीघे, विभाष मिश्र व विशाल मिश्र का 14 बीघे, ओंकार नाथ मिश्र का 40 बीघे, भगवाने का सात बीघे, वीरेंद्र नाथ मिश्र का 40 बीघे, धर्मराज का 15 बीघे, प्रेम सागर का आठ बीघे, बंशीलाल का दो बीघे, जवाहिर लाल मिश्र का 32 बीघे, नामू का दो बीघे, सुरेश वर्मा का 14 बीघे, रामध्यान मिश्र का नौ बीघे, बाबूलाल का चार बीघे, रामकरन का आठ बीघे, चौधरी का दो बीघे, राजेंद्र मिश्र का 30 बीघे तथा कल्यानपुर गांव के घनशयाम मिश्र का 10 बीघे, बाड़ू का सात बीघे खेत बाढ़ व रेत पटने से खाली पड़ा है।
इसमें कुछ किसानों के खेतों में रेत की मोटी परत जमा है। इसी प्रकार नदी के उत्तरी छोर पर स्थित जमुनहा तहसील क्षेत्र के लखाही खास में सैकड़ों बीघे खेतों में रेत जमा होने अथवा बाढ़ के भय से किसान फसल नहीं लगाते हैं।
रेत पटे खेतों का निरीक्षण कर कार्रवाई की जाएगी। बेरोजगार को रोजगार के लिए ऋण देने की व्यवस्था है। कोई रोजगार चाहता है, तो वह संपर्क करे। संबंधित विभाग से रोजगार के लिए ऋण दिलाया जाएगा।- पीयूष जायसवाल, एसडीम, इकौना।
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