शाहजहांपुर में बड़ा हादसा: 10 मिनट का शार्टकट अपनाने में बाइक सवार पांच लोग गरीब रथ ट्रेन से कटे
शाहजहांपुर में गरीब रथ एक्सप्रेस से टकराकर एक दंपती, उनके दो बच्चों सहित पांच की मौत हो गई। रोजा जंक्शन के पास शॉर्टकट के चक्कर में रेल पटरी पार करते ...और पढ़ें

हादसे के बाद रेलवे ट्रैक पर पड़ा बाइक का टुकड़ा
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। बेहद दर्दनाक ...! नियमों के उल्लंघन के कारण दंपती, उनके दोनों बच्चे और रिश्तेदार के शरीर क्षणभर में टुकड़ों में बदल गए। बुधवार को वे सभी एक ही बाइक पर रोजा बाजार से घर जा रहे थे। उन्हें ओवरब्रिज होकर जाना चाहिए था मगर, 10 मिनट बचाने के चक्कर में बाइक चला रहे हरिओम ने रोजा जंक्शन के पास पटरी पर बाइक चढ़ा दी।
वह कुछ देख-सोच पाते, इससे पहले धड़धड़ाती आई गरीब रथ एक्सप्रेस सभी के शरीर को क्षत-विक्षत करती गुजर गई। 200 मीटर दूर तक उनके शरीर के टुकड़े बिखर गए, इंजन में फंसी बाइक के परखचे आधा किमी दूर तक जा गिरे। एक परिवार को खत्म कर देने वाली यह घटना नसीहत भी है... कृपया जिंदगी को दांव पर लगाकर कोई शार्टकट न अपनाएं।

लखीमपुर खीरी के बनका गांव निवासी हरिओम बुधवार दोपहर को माता मायादेवी के साथ रोजा कस्बा की मठिया कालोनी आए थे। यहां उनके दूसरे मकान में पिता लालाराम रहते हैं। स्वजन के अनुसार, हरिओम के निगोही निवासी साढ़ू सेठपाल अपनी पत्नी पूजा, पांच वर्षीय बेटे सूर्यांश व डेढ़ वर्षीय बेटी निधि के साथ वहां आए थे।
कुछ देर बातचीत के बाद हरिओम अपनी बाइक से सेठपाल व उनकी पत्नी, बच्चों को बुध बाजार ले गए। वहां खरीदारी के बाद शाम को पांचों लोग बाइक से मठिया कालोनी लौट रहे थे। उन्हें ओवरब्रिज, फिर मुख्य रास्ता पकड़कर कालोनी की ओर बढ़ना चाहिए था, भीड़-भाड़ वाली एक किमी की यह दूरी 10 मिनट में पूरी हो जाती है। इसके बजाय हरिओम ने शार्टकट अपनाया।

वह ओवरब्रिज के नीचे से होकर रोजा जंक्शन के पास वरिष्ठ खंड अभियंता रेल पथ कार्यालय के सामने पटरियों पर पहुंच गए। उतने हिस्से पर पटरियों के बीच पत्थर नहीं, बल्कि सीमेंटेड है। इसका उपयोग रेल पार्सल की ट्राली आदि के आवागमन के लिए किया जाता है। शाम 6.15 बजे हरिओम ने उसी पर अपनी बाइक बढ़ा दी, इतने में अमृतसर से सहरसा जा रही गरीब रथ एक्सप्रेस आ गई।
यह ट्रेन रोजा जंक्शन पर नहीं रुकती है, इसलिए पूरी गति से थी। ट्रेन की भीषण टक्कर में पांचों लोगों की मौत हो गई, उनके अवशेष 200 मीटर घिसटते हुए दूर जा गिरे। रेल पटरी पर अवैध रूप से आवागमन रोकने की जिम्मेदारी आरपीएफ की होती है मगर, उस समय कोई सिपाही तक मौजूद नहीं था।

घटना के बाद आरपीएफ व जीआरपी के जवान पहुंचे मगर, किसी शवों के अवशेष पहचान पाना संभव नहीं था। घटनास्थल से 200 मीटर दूर मठिया कालोनी तक पांच लोगों के ट्रेन से कटने की सूचना पहुंची तो लालाराम का माथा ठनका। शाम सात बजे वह शव देखने पहुंचे पूजा की शाल व हरिओम के कपड़ों के टुकड़े देखकर शिनाख्त की।
बाद में बाइक की नंबर प्लेट मिली, उससे भी पुष्टि हुई कि हरिओम व अन्य चारों लोग ट्रेन के चपेट में आए हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि मठिया कालोनी के लोग अक्सर जान जोखिम में डालकर पटरी पार कर दूसरी ओर पहुंचते हैं। ऐसे लोगों पर जीआरपी या आरपीएफ ने भी कभी कार्रवाई नहीं की। इस पर कोई रेल अधिकारी जवाब देने से बचता रहा।

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