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    Mango farming: आम के बौर चट कर जाएंगे कीट, बचाव के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

    Updated: Sun, 09 Feb 2025 10:56 PM (IST)

    आम के बौर को कीटों से बचाव के लिए कृषिविभाग ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें किसानों को दवाओं के छिड़काव के साथ ही अन्य सावधानी भी बरतने की सलाह दी गई है। ...और पढ़ें

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    आम के पेड़ों पर बौर पर नहीं लगेंगे कीटे। जागरण

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। कुछ दिन में आम के पेड़ों पर बौर आने वाला है। इसके साथ ही रोगों का खतरा भी मंडराने लगा है, जिसको देखते हुए वन विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिसमें आम उत्पादकों को दवाओं के छिड़काव के साथ ही अन्य सावधानी भी बरतने ककी सलाह दी है, जिले में आम के बागों की संख्या कम है।

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    इसकी वैरायटी सीमित हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में रकबा बढ़ा है। फरवरी आम की फसल बौर आने से पहले कीट का खतरा लग रहा है। इसको देखते हुए उद्यान विभाग की ओर से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। बौर पर आने वाले खतरे के लिए बचाव के उपाय दिए जा रहे हैं।

    जिला उद्यान अधिकारी पुनीत कुमार पाठक ने बताया आम के तना भेदक के अतिरिक्त आम के बौर व पत्ते पर झुलसा, गुजिया, पुष्प गुच्छ मिज व भुनगा का अटैक हो सकता है। उन्होंने बताया कि पुष्प गुच्छ मिज अत्यंत हानिकारक कीट है। इसका प्रभाव जनवरी के अंत से जुलाई तक कोमल तनों व पत्तियों पर होता है। समय से उपचार न किए जाने पर फसल को नुकसान हो सकता है।

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    43 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन

    गत वर्ष जिले में 2123 हेक्टेयर आम के बाग से फसल हुई थी। जिसमें 43 हजार 918 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। अब तक किसानों की संख्या 1500 थी। इस वर्ष 24 नए किसान जोड़ने के साथ ही 24 हेक्टेयर रकबा भी बढ़ा है। अच्छे उत्पादन के लिए गत वर्ष लखनऊ के राजभवन में हुए किसान सम्मान समारोह में यहां के किसान खालिक उज्जमा को सम्मानित भी किया गया था।

    आम के बौर की रखवाली के लिए एडवाइजरी जारी। जागरण


    काले धब्बे के रूप में दिखाई देता है कीट

    पुष्प गुच्छ मिज बौर के शुरुआती दौर में नुकसान करता है। सर्वाधिक क्षति बौर व नन्हे फलों पर देखी जाती है। यह बौर के डंठल, पत्तियों की शिराओं या तने पर कत्थई व काले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। धब्बे के मध्य भाग में छोटा सा छेद होता है। प्रभावित बौर व पत्तियों की आकृत्ति टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। प्रभावित स्थान से आगे के बौर सूख भी सकता है।

    बचाव के उपाय

    इस कीट के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट (30 प्रतिशत सक्रिय तत्व) 2.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इसी तरह गुजिया कीट भी बौर और पत्तियों तक पहुंच गया हो तुरंत निदान करना चाहिए। पेड़ के तने के पास भूमि तल पर कीट नाशक डालें। यदि कीट बौर और पत्तियों तक पहुंच गया हो तो कार्बोसल्फान 25 ईसी का 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।

    झुलसा से गिर सकता अविकसित फल

    आम के बौर में झुलसा रोग से फूलों और अविकसित फलों के गिरने की स्थिति उत्पन्न करता है। इस रोग का प्रकोप वायु में 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता या वर्षा होने पर नमी बढ़ने से अधिक होता है ऐसी स्थिति में अगेती बौर को बचाने के लिए मेन्कोजेब कार्बेन्डाजिम के .2 प्रतिशत घोल 20 ग्राम प्रति लीटर पानी या ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन टेयूकोनाजोल का पानी मे मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

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    प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करता है भुनगा कीट

    भुनगा कीट बौर, कलियों व मुलायम पत्तियों पर एक-एक करके अंडे देते हैं और शिशु अंडे से एक सप्ताह में बाहर आ जाते है। बाहर आने के बाद शिशु व वयस्क कीट पुष्पगुच्छ (बौर), पत्तियों व फलों के मुलायम हिस्सों से रस को चूस लेते हैं। इससे पेड़ पर बौर नष्ट हो जाता है। परिणामस्वरूप फल अविकसित अवस्था में गिर जाते है। भारी मात्रा में भेदन व रस चूसने के कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं।

    प्रभावित ऊतक सूख जाते हैं

    सूटी मोल्ड यानी काली फफूंद का प्रभाव होता है, जिससे पत्तियों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कम हो जाती है।