शाहजहांपुर में विवेचक ने दिया गलत संदेश, पुलिस सर्वशक्तिमान
यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। क्योंकि जांच अधिकारी ने समाज में गलत संदेश दिया है कि पुलिस सर्वशक्तिमान है। अपराधियों व हत्यारों को निर्दोष बनाने में पूरी तरह सक्षम है। पुलिस एक निर्दोष और असहाय आदमी को हत्यारा बना सकती है
जेएनएन, शाहजहांपुर : यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। क्योंकि जांच अधिकारी ने समाज में गलत संदेश दिया है कि पुलिस सर्वशक्तिमान है। अपराधियों व हत्यारों को निर्दोष बनाने में पूरी तरह सक्षम है। पुलिस एक निर्दोष और असहाय आदमी को हत्यारा बना सकती है। जांच अधिकारी की ओर से दिया गया यह संदेश बड़े पैमाने पर समाज को बताता है कि शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस के पास आने से पहले सावधान रहें। यह टिप्पणी है अपर सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या 43 सिद्धार्थ कुमार वागव की। जिन्होंने फांसी की सजा का आदेश लिखते समय इसके कारण भी बताए हैं।
उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि इससे पहले भी कई जघन्य हत्या के मामले हो चुके हैं। यह नया या अलग नहीं है। हत्या के हर एक मामले में पीड़ितों के साथ बर्बरता देखी जाती है। लेकिन जो बात इस मामले को दुर्लभतम मामला बनाती है। वह यह है कि पुलिस ने असली हत्यारों की मिलीभगत से एक निर्दोष पिता को झूठा फंसाया और उसे कातिल बना दिया। दोषियों के साथ आपराधिक मिलीभगत कर पिता को उसकी ही बेटियों का हत्यारा बना दिया। उन्हें गवाह दिनेश कुमार का पूरा समर्थन था। वो तीन छोटी लड़कियां एक दिन बड़ी होकर किसी की पत्नियां, किसी की मां, किसी की बहू बनतीं। इस घटना से एक पल में परिवार तबाह हो गया। जांच अधिकारी का अपराधियों को पूरा समर्थन मिला। कर्तव्य के खिलाफ चला गया विवेचक
उन्होंने कहा कि इससे पहले कई मुकदमों में सजा सुनाई, लेकिन यह उनसे अलग मुकदमा था। तीन मासूम बच्चियों की मां के सामने क्रूरतम हत्या कर दी गई। जिस पुलिस अधिकारी का कर्तव्य था कि वह निर्दोष की रक्षा करे। अपराधी को दंडित करे, लेकिन वह उस कर्तव्य के खिलाफ चला गया। गवाह के मनगढ़ंत बयान लिखे और जांच में उसे शामिल किया। यहां पुलिस ने एक पीड़ित, असहाय, निर्दोष पिता को ही अपराधी बना दिया। उन्होंने कहा कि इसमें विवेचक को भी न्यायलय सख्त से सख्त सजा देगा।