'जिंदा भी यहीं, मरेंगे भी यहीं': संभल में पैमाइश के बीच स्थानीय लोगों का बड़ा ऐलान, कहा- हमारे पास हैं पुश्तैनी कागजात
संभल जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान भूमि की पैमाइश तेज। स्थानीय लोगों ने जमीन को पुश्तैनी बताते हुए कहा, 'जिंदा भी यही, मरेंगे भी यही'। भारी पुलिस बल, ...और पढ़ें

संभल में जामा मस्जिद के पास स्थित कब्रिस्तान की पैमाइश करती राजस्व विभाग की टीम। जागरण
जागरण संवाददाता, संभल। जिन लोगों के जामा मस्जिद के पास मकान और दुकानें बनी हुई हैं। उनसे भी बातचीत की गई है। कुछ लोगों ने इस भूमि को पुश्तैनी बताया है तो कुछ ने खरीदने की बात कहीं है। कुछ ऐसे भी सामने आए हैं, जिन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिंदा भी यही हैं और हमको को मरने के बाद भी यही पर रहना है।
बोले, इस जमीन से जुड़े कागजात उनके पास भी है। जो, प्रशासन को उपलब्ध कराएंगे। पुलिस अधीक्षक ने भी इन लोगों से बातचीत करने के बाद सीओ आलोक भाटी को निर्देश दिए कि वह संबंधित सभी लोगों से बातचीत करके उनके अभिलेख जुटाए और राजस्व विभाग को सौंपते हुए आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
दरवाजे खटखटाती रहीं टीम, कुछ ने खोला तो कुछ ने किया अनसुना
पैमाइश के दौरान राजस्व कर्मी रास्ते में सभी दुकान, मकान व गोदाम की नापजोख कर रहे थे। जहां दुकान व घर स्वामी से उसका पूरा ब्यौरा भी टीम में शामिल कर्मचारी ले रहे थे। जिससे आगे की प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो और मौके पर मौजूद वास्तविक व्यक्ति के बारे में जानकारी रहे।
इस दौरान कुछ घर भी थे। जिनके दरवाजे टीम में शामिल कर्मचारी खटखटाते रहे। लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इस बीच एक ब्यूटीपार्लर भी था। जिसके बाहर खड़े होकर कर्मचारी काफी देर तक उसके स्वामी के नाम की जानकारी करने को आवाज लगाते रहे। मगर अंदर से किसी भी कर्मचारी ने कोई जवाब नहीं दिया।
इस पर टीम में शामिल प्रभारी निरीक्षक रेनू उस ब्यूटी पार्लर में गईं तो वहां पर काम कर रही एक महिला कर्मी ने उस भवन स्वामी के मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी दी। जबकि दुकानों पर पूछताछ के दौरान आसानी से सभी भवन स्वामी के नाम व मोबाइल नंबर राजस्व कमियों को आसानी से मिल गए थे।
नौ थाने की पुलिस, एक कंपनी पीएसी और आरआरएफ की कंपनी रही मुस्तैद
कब्रिस्तान की भूमि के सीमांकन के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। जिसमें कोतवाली के अतिरिक्त आठ थाना प्रभारी निरीक्षक, तीन निरीक्षक, 25 उप निरीक्षक, 70 कांस्टेबल, एक कंपनी पीएसी व एक कंपनी आरआरएफ की तैनाती के साथ ही महिला पुलिस बल को भी जामा मस्जिद के चारों ओर विभिन्न स्थान पर तैनात किया गया था।
साथ ही सुरक्षा चक्र को और सख्त करने के लिए वहां स्थित घरों की छतों पर भी पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। जिसमें जामा मस्जिद के पीछे की ओर स्थित घर की छत के साथ ही सत्यव्रत पुलिस चौकी की छत पर तैनात पुलिस कर्मी वहीं से दूरबीन द्वारा दूर तक की स्थिति पर नजर बनाते हुए निगेहबानी किए हुए थे। वहीं सभी जवान बाडी प्रोटेक्टर से लैस दिखाई दिए।
पुलिस कर्मियों को संचार सुविधा के रूप में वायरलेस सेट से लैस किया गया था। जिससे वह अधिकारियों के साथ संपर्क में रहें। एएसपी कुलदीप सिंह व सीओ आलोक भाटी भी जामा मस्जिद व उसके आसपास विभिन्न प्वाइंट पर तैनात पुलिस टीम के पास जाकर स्थिति के बारे में जानकारी व जायजा ले रहे थे। इस दौरान अमरोहा जनपद के थाना आदमपुर, रहरा व सैदनगली के साथ ही मुरादाबाद जनपद से भी पुलिस बल को यहां तैनात किया गया था।
हमारा परिवार यहां पर पीढ़ियों से रह रहा है। पैमाइश के काम को हमारा पूरा सहयोग शासन प्रशासन के साथ है। नापजोख के बाद ही सही बात पता लग सकेगी। हमारे भवन का नक्शा बने होने के साथ ही यहां पर 1973 से पानी का कनेक्शन भी है। मेरे दादा, पिता व मेरा वोट यहां पर है और सभी ने यहीं से वोट दिया। इसलिए हमें नोटिस देकर हमारा पक्ष भी सुना जाए और उसके बाद जो भी वैद्यानिक कार्रवाई होगी वह हमें मंजूर है। हम तो जिंदा भी यही हैं और मरने के बाद भी यही रहेंगे। - डा. फिरोज खान
हमने 1993 में जमीन खरीदी थी। इसके बाद नक्शा बनवाकर यहां पर मकान बनवाया। जहां नीचे दुकान है और उपर हमें परिवार के साथ रहते हैं। हमें इस पैमाइश के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं दी गई थी। हमारे पास इसके पूरे कागजात हैं। - साजिद हुसैन
वर्ष 2011 में इस भवन को खरीदा था। जिनसे हमने इसे दीपासराय के रहने वाले एहसान से खरीदा था। हमारे पास सिर्फ इस भूमि का बैनामा है। इसी हालत में उन्होंने भी किसी और से खरीदा था, जिसे बाद में हमने खरीद लिया। - सालिम खां

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