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    संभल में 'दहशत' की पैमाइश: छतों पर दूरबीन, गलियों में बूटों की धमक और 60 साल पुराने कब्जे पर कड़ा प्रहार!

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 03:15 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है। 24 नवंबर की हिंसा के बाद से शहर ...और पढ़ें

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    संभल में जामा मस्जिद के पास कब्रस्तिान की पैमाइश के दौरान मुस्तैद महिला पुलिस। जागरण

    सौरव प्रजापति, जागरण, संभल। मंगलवार का दिन, सुबह 11 बजे का वक्त। स्थान-जामा मस्जिद के पास चर्चित बना कब्रिस्तान। कोहरे की धुंध और सर्द हवा के झोकेें ठिठुरन बढ़ा रहे थे। सड़कों पर अलाव थे मगर, माहौल प्रशासनिक कार्रवाई से गर्माया हुआ था। यहां पर न सिर्फ चेहरों पर खौफ दिखा बल्कि लोगों की जुबां पर ताला भी लगे रहे।

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    ये बदलाव यूं ही नहीं बल्कि हिंसा के बाद हुई सख्त कार्रवाई की वजह से माना जा रहा है। चर्चा है कि जो, लोग कभी पुलिस का खुलकर सामना करते थे वो, अब दायरे में रखकर अपनी बात रखते हैं। हालांकि पुलिस की तैयारियां भी पूरी रही। एक दिन पहले से ही क्षेत्र में पैदल गश्त करते हुए आपसी सौहार्द का संदेश दिया गया था।

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    इस बार सतर्कता इसलिए भी अधिक रही क्योंकि 24 नवंबर 2024 को यही पर हिंसा हुई थी। दरअसल, संभल शहर एक बार फिर सुर्खियों में आया है। इस बार अवैध कब्जे को लेकर सख्ती बरती जा रही है। खास बात यह है कि यह कार्रवाई इसलिए भी ज्यादा चर्चित मानी जा रही है, क्योंकि जामा मस्जिद के चारों तरफ ही अवैध दुकानें और मकान बने हुए हैं।

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    यूं तो 60-65 साल से यह कब्जे बताए जा रहे हैं लेकिन, प्रशासनिक की कार्रवाई के स्तर को देखकर महसूस हो रहा है कि जल्द ही इसमें कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है। मंगलवार को जब प्रशासन, पुलिस और राजस्व की टीम पैमाइश के लिए सड़कों पर उतरी तो माहौल एकदम बदल गया।

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    यहां न सिर्फ संभल की पुलिस थी बल्कि अमरोहा व मुरादाबाद जिले के पुलिस कर्मियों की निगाहें भी माहौल भांप रही थीं। पैदल मार्च के दौरान जवानों के बूटों की आवाज से हिंसा का याद ताजा हो रही थी। हिंसा में जहां वाहन जलाए गए थे, वहां पर मंगलवार को अधिकारी फीता डालकर जमीन नाप रहे थे। घर बंद थे और दुकानें खुलीं।

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    बाजार में भीड़भाड़ भी रही मगर, माहौल जुदा सा था। जबकि न कोई विवाद और न ही कोई फसाद था। इक्का-दुक्का को छोड़कर राह चलने वाले अधिकांश लोगों की जुबां पर ताला लगा हुआ था। घरों की छत पर दूरबीन से पुलिस कर्मी सुरक्षा करते दिखे तो ड्रोन कैमरा भी अपनी नजर में सबकुछ कैद करते हुए नजर आया।

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    इलाका पूरी तरह से छावनी में तब्दील रहा। इतना ही नहीं वहां पर मीडिया के द्वारा बनाई जा रही वीडियो-फोटो से भी लाेग खुद को बचाते हुए नजर आए। क्योंकि जब हिंसा हुई थी तो पुलिस ने वीडियो-फोटो के आधार पर ही उपद्रवियों की पहचान की थी। तभी से लोग खुद को कैद होने से बचाते हुए नजर आते हैं।

    इंटरनेट मीडिया पर छाया संभल, अलग-अलग प्रतिक्रियाएं

    हिंसा के बाद से समय-समय पर संभल चर्चाओं में रहा है। कभी यहां पर कुएं की खोदाई का किस्सा सामने आया तो कभी चंदौसी की बावड़ी छाई रही। इसी क्रम में अब कब्रिस्तान की भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया तो फिर से शहर का नाम उछल गया है। इंटरनेट मीडिया पर मीडिया चैनलों की खबर, अन्य पोस्टों पर लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

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