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    फर्जी एनकाउंटर मामला: आदेश की कॉपी न मिलने से 12 पुलिसकर्मियों पर नहीं हो सकी FIR, आरोपी निकला डिप्टी एसपी!

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 02:09 PM (IST)

    संभल में फर्जी एनकाउंटर मामले में आदेश की कॉपी न मिलने के कारण 12 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। इस मामले में आरोपी डिप्टी एसपी निकला है ...और पढ़ें

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    यूपी पुल‍िस

    संवाद सहयोगी, जागरण, बहजोई। जेल में निरुद्ध व्यक्ति को फर्जी मुठभेड़ और झूठी विवेचना के जरिए लूट के मामले में जेल भेजने के प्रकरण में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से तत्कालीन बहजोई थाना प्रभारी सहित 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिया था। इस आदेश के दायरे में आए कई अधिकारी और कर्मचारी वर्तमान में जनपद संभल में तैनात नहीं हैं।

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    वहीं पुलिस को गुरुवार शाम तक न्यायालय के आदेश की प्रति न मिल पाने के कारण इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। तत्कालीन बहजोई थाना प्रभारी निरीक्षक पंकज लवानिया का इस दौरान डिप्टी एसपी पद पर प्रमोशन हो चुका है और वह पहले प्रयागराज स्थानांतरित हुए थे जबकि वर्तमान में मेरठ में भवाना सर्कल में सीओ के पद पर तैनात हैं।

    मामले की विवेचना करने वाले तत्कालीन अपराध निरीक्षक राहुल चौहान वर्तमान में बदायूं स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में तैनात हैं। वहीं तत्कालीन वरिष्ठ उप निरीक्षक नरेश कुमार सिंह का भी निरीक्षक पद पर प्रमोशन हुआ था और वह जनपद के कई थानों में प्रभारी निरीक्षक रहने के बाद पिछले वर्ष बदायूं स्थानांतरित किए गए थे। वर्तमान में इस्लामनगर थाना के प्रभारी निरीक्षक हैं।

    इसके अलावा तत्कालीन उप निरीक्षक नीरज कुमार मुरादाबाद में तैनात बताए गए हैं जबकि अन्य नामजद पुलिसकर्मी जनपद में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आदेश की कापी नहीं मिलने के चलते अब तक बहजोई थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है। प्रभारी निरीक्षक संत कुमार ने बताया कि अभी तक न्यायालय के आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है केवल सूचना मिली है, आदेश की कापी मिलते ही नियमानुसार रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    यह था प्रकरण, 7 जुलाई 2022 को दर्ज हुई थी रिपोर्ट

    मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट चंदौसी की ओर से बहजोई पुलिस से संबंध में आख्या मांगी गई थी। जिस पर अपराध निरीक्षक बहजोई अजीत कुमार की ओर से भी आख्या दी गई थी, जिसमें बताया गया था कि ओमवीर न केवल बदायूं का मौजूदा हिस्ट्री सीटर है बल्कि पेशेवर अपराधी है।

    इसके अलावा बता दें कि सात जुलाई 2022 को बहजोई पुलिस के तत्कालीन वरिष्ठ उप निरीक्षक नरेश कुमार उप निरीक्षक नीरज कुमार मातोंडकर के अलावा उप निरीक्षक जमील अहमद और अन्य की ओर से तीन आरोपितों को गिरफ्तारी दिखाते हुए बहजोई कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें चेकिंग व्यवस्था के दौरान तीनों को पकड़ना बताया गया था।

    इसे नकदी भी बरामद हुई थी वह एक भी बरामद हुई थी और पूछताछ में ही इन्होंने अन्य घटनाओं के बारे में बताया था। जिसमें 25 अप्रैल 2022 को हुई लूट की वारदात को भी इन आरोपितों पर शामिल किया था, जिसमें ओमवीर ने स्वयं को इस दौरान बदायूं जेल में बंद होने का दावा करते हुए न्यायालय में अपना पक्ष रखा था।

    बोले तत्कालीन एसएसआइ- पुलिस को फंसाने का सुनियोजित षड्यंत्र

    तत्कालीन वरिष्ठ उप निरीक्षक और वर्तमान में इस्लामनगर थाना प्रभारी निरीक्षक नरेश कुमार सिंह ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जिस आरोपित को उस समय पकड़ा गया था उसी ने पुलिस के समक्ष घटना को अंजाम देने की बात स्वीकार की थी और यह भी बताया था कि वह पूर्व की घटनाओं में भी शामिल रहा है।

    उन्होंने कहा कि जिस तिथि को लेकर आरोपित जेल में होने का दावा कर रहा है, उस संबंध में उसने पुलिस के समक्ष कोई आपत्ति नहीं जताई थी और जब उसे न्यायालय में पेश किया गया तब भी पुलिस की कार्रवाई पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि यदि वह वास्तव में उस दिन जेल में निरुद्ध था तो उसे उसी समय न्यायालय के समक्ष आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी।

    उन्होंने इसे पुलिस को फंसाने का एक सुनियोजित षड्यंत्र बताया और कहा कि संबंधित आरोपित ओमवीर का आपराधिक इतिहास अत्यंत गंभीर है, उस पर अलग-अलग स्थानों पर कुल 19 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें बदायूं के इस्लामनगर में छह और संभल के बहजोई में 12 मामले शामिल हैं, ये मुकदमे लूट, चोरी, जानलेवा हमले और अवैध हथियार जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े हैं।

    उन्होंने यह भी कहा कि आरोपित के साथी धीरेंद्र पर बदायूं और संभल में 14 मुकदमे और एक अन्य साथी अवनीश कुमार पर बदायूं, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और संभल में पांच मुकदमे दर्ज हैं, ऐसे में पूरे मामले को पुलिस के खिलाफ साजिश के तौर पर पेश किया जा रहा है।


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