संभल हिंसा को लेकर हरियाणा के यू-ट्यूबर ने 'फर्जी' वीडियो किया अपलोड, पुलिस ने किया गिरफ्तार
संभल हिंसा की पोस्ट के साथ किसी अन्य मस्जिद में तोड़फोड़ का वीडियो अपलोड कर दिया गया। पुलिस ने इस मामले में नूंह (हरियाणा) के मोमिन को गिरफ्तार किया है। मोमिन ने यूट्यूब शॉर्ट्स पर संभल मस्जिद इस्लामिक प्राफर शीर्षक से वीडियो अपलोड किया था। पुलिस का कहना है कि वीडियो के कारण जनता में भ्रम और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
जागरण संवाददाता, संभल। जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा को लेकर रोज नए वीडियो सामने आ रहे हैं। एक फरवरी को पाकिस्तानी मौलाना से हिंसा में मारे गए युवाओं को शहीद कहने के बारे में पूछने वाले मोहम्मद आकिल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब हिंसा की पोस्ट के साथ किसी अन्य मस्जिद में तोड़फोड़ का वीडियो अपलोड कर दिया गया। पुलिस ने इस मामले में नूंह (हरियाणा) के मोमिन को गिरफ्तार किया है।
वीडियो के कारण जनता में भ्रम और तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई
मोमिन ने यूट्यूब शॉर्ट्स पर संभल मस्जिद इस्लामिक प्राफर शीर्षक से वीडियो अपलोड किया था। पुलिस का कहना है कि वीडियो के कारण जनता में भ्रम और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 और 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
सोशल मीडिया पर रखी जा रही नजर
एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के मुताबिक, सोशल मीडिया पर लगातार नजर रखी जा रही है। कुछ लोग अन्य स्थान के वीडियो और अनर्गल पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा।
संभल हिंसा में हुई थी चार लोगों की मौत
19 नवंबर, 2024 को सिविल जज(सीनियर डिवीजन) कोर्ट में जामा मस्जिद के मंदिर होने का वाद दायर किया गया था। जामा मस्जिद का सर्वे करने के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। 12 अलग-अलग प्राथमिकी में सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 37 लोगों के खिलाफ नामजद व 3750 अज्ञात आरोपित हैं। पुलिस जांच में हिंसा का मास्टरमाइंड दुबई में बैठा शाकिर साठा निकला है। उसके दो गुर्गे मुल्ला अफरोज और वारिस सहित 75 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
न्यायिक आयोग की जांच, फारेंसिक रिपोर्ट में सामने आ सकता है हिंसा का सच
बता दें, संभल हिंसा से संबंधित दर्ज सभी एफआईआर की जांच एक एसआईटी कर रही है, जिसमें सीओ क्राइम के नेतृत्व में अलग-अलग निरीक्षक जांच में जुटे हैं। इसके साथ ही तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग हिंसा की विस्तृत जांच कर रहा है। मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दिए गए थे, लेकिन अभी तक किसी ने अपने बयान दर्ज नहीं कराए हैं। न्यायिक आयोग की टीम गवाहों और स्थानीय नागरिकों से बयान और साक्ष्य के लिए पहले पहली दिसंबर को पहुंची थी, जिसमें कोई गवाह आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ था।
इसके बाद 21 जनवरी को पहुंची थी और 30 जनवरी को निर्धारित तिथि पर आयोग ने लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में बयान दर्ज किए। हिंसा के दौरान मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों एवं मौके पर मौजूद कुछ अधिकारी व पुलिसकर्मियों की भी बयान लिए जा चुके हैं। पुलिस की फोरेंसिक टीम ने भी मौके से काफी साक्ष्य एकत्रित किए थे, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है। जिनकी रिपोर्ट आने के बाद कुछ अन्य राज भी खुल सकते हैं।
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