PCS अफसर भानु प्रताप सिह का 'दहेज पर वार', नारियल लेकर जीवन संगिनी संग लिए सात फेरे; माता−पिता हुए भावुक
भानू प्रताप सिंह ने दहेज लेने से इनकार करते हुए मात्र एक रुपया लेकर अपनी जीवन संगिनी चुन लिया। दूल्हे के भाई सुभाष कुमार ने बताया कि उनके पिता दलबीर स ...और पढ़ें

संवाद सूत्र,जागरण, अंबेहटा/सहारनपुर। एक युवक ने रूढ़िवाद समाज व दहेज प्रथा से ऊपर उठ कर दहेज लेने से इनकार करते हुए मात्र एक रुपया लेकर अपनी जीवन संगिनी चुन लिया। दूल्हे के भाई सुभाष कुमार ने बताया कि उनके पिता दलबीर सिंह पीडब्ल्यूडी विभाग से रिटायर्ड हैं।
उनके छोटे भाई भानु प्रताप सिंह पीसीएस अधिकारी हैं। मुरादाबाद में एसजीएसटी अधिकारी पद पर तैनात हैं। भानु प्रताप की शुरुआती शिक्षा अंबेहटा में हुई, 2016 में भानु का पीसीएस में चयन हो गया। भानु शादी से पहले ही दहेज प्रथा के खिलाफ थे। इसीलिए बिना दहेज शादी की। ससुराल पक्ष से केवल एक रुपया और नारियल लेकर दुल्हन को विदा कराकर घर लाया। दूल्हे की इस फैसले की तारीफ हो रही है।

शादी के बंधन में बंधे दंपती।
27 दिसम्बर को थी शादी
भानु प्रताप सिंह की शादी उत्तराखंड बहादराबाद के गांव बेगमपुर के रहने वाले साधारण परिवार में 27 दिसंबर को हुई है दुल्हन शिवांशी ऐसे पति व परिवार को पाकर खुश है। पीसीएस अधिकारी भानु प्रताप सिंह ने महिला सशक्तिकरण को बल दिया है। वहीं समाज दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों पर वार कर शुभ संदेश दिया है।
माता और पिता बेटे के कदम से हुए प्रभावित
पिता दलबीर सिंह, मां निर्मला और आंगनबाड़ी विभाग में तैनात बड़े भाई सुभाष कुमार ने भी काफी प्रभावित हैं समाज के लिए एक अच्छी पहल बता रहे हैं। दो कदम सफलता की ओर सामाजिक संस्था की नगर अध्यक्ष मनीष मित्तल ने कहा है समाज के लिए एक अच्छी पहल है और युवाओं को इससे एक सीख लेनी चाहिए।
आगरा के भी एक अधिकारी ने पेश की थी मिसाल
आगरा के अरदाया के रहने वाले भूपेंद्र सिंह काे वर्ष 2020 में पीसीएस में चयन हुआ था। हिमाचल प्रदेश में उनका प्रशिक्षण हुआ था। क्षेत्रीय वन अधिकारी के पद पर हैं। भूपेंद्र सिंह का अधिकारी के रूप में चयन होने के बाद ही घर पर उनकी शादी के लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे। उनके पिता सेवानिवृत्त शिक्षक एवं मां गृहिणी हैं। भूपेंद्र ने बताया कि वह और उनके माता-पिता दहेज के खिलाफ हैं।
बिना दहेज की शादी करके समाज में एक संदेश देना चाहते थे। जिससे कि गरीब व सामान्य परिवार भी अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देने में रुपये खर्च करें, न कि बेटियों के होने पर उनके दहेज जुटाने की चिंता में लग जाएं। उन्होंने व परिवार के लोगों ने एक करोड़ रुपये तक दहेज में देने वाले रिश्तों को ठुकरा दिया था। अछनेरा के गांव कचोरा निवासी ग्राम रोजगार सेवक हरीशचंद की पुत्री पूजा से उनका विवाह हुआ था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।