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    Operation Sindoor: सीमा की तरफ कूच को निकले, लेकिन सरहद पार नहीं की; कहां गुम हुए ये पाकिस्तान नागरिक ? तलाश तेज

    Updated: Sun, 11 May 2025 08:03 AM (IST)

    India Pakistan Tension सहारनपुर में सीमा पर तनाव बढ़ने के साथ ही ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू हो गया है। वीजा अवधि खत्म होने के बाद लापता हुए पाकिस्तानी नागरिकों की तलाश तेज हो गई है। 90 के दशक से 2000 के दशक के बीच आए ये नागरिक वापस पाकिस्तान नहीं लौटे। पुलिस और खुफिया एजेंसियां इनकी तलाश में जुटी हैं।

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    रोहित सिंह सजवाण, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर।

    मनीष जसवंत, जागरण, सहारनपुर। सीमा पर तनाव के हालात में मंडल के तीनों जिलों में रिश्तेदारियों या अन्य कार्य दर्शाकर आए पाकिस्तानी नागरिकों के गुम होने की फाइल एक बार फिर पटल पर आ गई है। तीनों जिलों में करीब दस पाकिस्तानी नागरिक ऐसे हैं, जिन्होंने वीजा अवधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान के लिए वापसी की, लेकिन सीमा पार नहीं की। बीच रास्ते में ही वह लापता हो गए। सभी का आगमन 90 के दशक से 2000 के दशक में हुआ।

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    प्रकरण पुराने पड़ने और पता नहीं लगने पर कार्रवाई ढ़ीली पड़ गई। हालांकि बीच-बीच में इनका पता लगाने के लिए फाइलों की धूल झड़ती रही, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब भारत पाकिस्तान के बीच तनाव पाकिस्तानी नागरिकों की तलाश फिर शुरू हो गई।

    90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद चरम पर पहुंचा। इसी कालखंड में यानी 1991 के बाद कई पाकिस्तानी नागरिक रिश्तेदारी या कारोबार के सिलसिले से भारत में आए, लेकिन वापस नहीं लौटे। मंडल के सहारनपुर में तीन, मुजफ्फरनगर में पांच और शामली में दो पाकिस्तानी ऐसे रहे, जिन्होंने वीजा खत्म होने पर वतन वापसी को सीमा की ओर कूच की, लेकिन सरहद पार नहीं की। पता चलने पर इनकी तलाश शुरू हुई, लेकिन कुछ पता नहीं चला।

    रोहित सिंह सजवाण, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक

    पुलिस के साथ अब खुफिया विभाग भी जुटा

    इसी के बाद समझौता एक्सप्रेस शुरू हुई और पाकिस्तान ने एक बार 1999 में करगिल युद्ध का दंश दिया। करगिल युद्ध के बाद विलुप्त पाकिस्तानी नागरिकों की फाइल खुली, लेकिन समय के साथ-साथ कार्रवाई ढीली पड़ गई। अब सीमा पर तनाव बढ़ने पर दोबारा गायब पाकिस्तानियों की फाइल टेबल पर सबसे ऊपर पहुंची है।जिला पुलिस के साथ-साथ खुफिया इकाइयां भी इनकी तलाश में जुट गई हैं।

    दस बंग्लादेशी भी आकर हो गए गायब

    सहारनपुर में वर्ष 1984 से लेकर 2004 तक करीब दस बंग्लादेशी नागरिकों ने भी घुसपैठ की। यह सहारनपुर में आकर वापसी के बाद से गायब चल रहे हैं। हालांकि खुफिया विभाग के अनुसार इनकी उम्र 42 से 56 वर्ष रही। उम्र और आगमन के समय से अंदाजा लगाकर खुफिया इकाइयों ने इनमें से कई की मौत की संभावना भी जाहिर कर दी। बावजूद इसके इनकी भी कुंडली खंगाली जा रही है।

    जनपद में आए तीन पाकिस्तानी और 10 बंग्लादेशी नागरिक करीब 30 साल से लापता हैं। खुफिया इकाइयों के साथ पुलिस भी उनकी तलाश कर रही है। , लेकिन उनका कोई पता नहीं चल सका। - रोहित सिंह सजवाण, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक

    पाकिस्तानी संपर्क, शरणदाता और जमानतदारों की सुरागरशी

    जंग के आसार बनने से माहौल बदलने पर एक बार फिर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के तत्वाें से संपर्क रखने, शरण और जमानत देने वालों की सुरागरशी भी तेज हो गई है। पूर्व में सहारनपुर के आठ, मुजफ्फरनगर के 22 और शामली के 23 ऐसे लोग ट्रेस हुए, जिन्होंने ऐसे देशविरोधी तत्वों को शरण दी या जमानत ली। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इनमें कुछ की मृत्यु हो चुकी है, जबकि कुछ खेती-मजदूरी में लगे हैं। इन पर नजर रखी जा रही है।

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