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    कोहरे का 'कहर': दिनभर नहीं हुए सूर्यदेव के दर्शन, शून्य विजिबिलिटी से थमी हाईवे की रफ्तार!

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 06:53 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के रामपुर में कोहरे का कहर जारी है। दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए और विजिबिलिटी शून्य रहने से हाईवे पर वाहनों की रफ्तार थम गई। कोहरे क ...और पढ़ें

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    कोहरे के बीच गुजरते लोग

    जागरण संवाददाता, रामपुर। कोहरे का कहर गुरुवार को भी जारी रहा। बुधवार की रात से छाया घना कोहरा गुरुवार को भी पूरे दिन बना रहा। सुबह में कोहरा अधिक घना होने से धुंध में 20-25 मीटर फासले का साफ दिखाई भी नहीं दे रहा था। 10 बजे के बाद तक चालक लाइट जलाकर चार पहिया वाहन चलाते नजर आ रहे थे। इससे ठिठुरन भी बढ़ गई।

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    धूप नहीं निकलने से गलन महसूस हो रही है। हालांकि दोपहर में कोहरे की धुंध हल्की पड़ गई थी लेकिन शाम चार बजे से कोहरे फिर आ गया। रात में कोहरा और बढ़ने से हाईवे व मुख्य मार्गों पर वाहनों की रफ्तार फिर धीमी पड़ गई। दिसंबर में कोहरे व शीतलहर का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इससे आमजन ठिठुरने लगा है।

    बुधवार को दोपहर में हल्की धूप निकल आने पर कुछ राहत मिल गई थी लेकिन गुरुवार को पूरे दिन घने कोहरा का मौसम बना रहा। नाम को भी धूप नहीं चमकी। इससे ठिठुरन और बढ़ गई। लोग कंपकंपी महसूस करते रहे। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सर्दी अपने चरण पर महसूस होने लगी है। चूंकि पिछले कुछ दिनों से लगभग रोज ही सुबह शाम को घना कोहरा छा रहा था।

    अब दो दिन से स्थिति और जटिल हो गई। गुरुवार को दिन में नाम मात्र को भी धूप नहीं चमकी। रात होने से पहले ही कोहरे की धुंध छा गई। हाईवे व अन्य मुख्य मार्गों पर कोहरा छाने से वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लग गए। वाहन चालक कोहरे की धुंध में दिखाई नहीं देने के कारण वाहन धीमी गति से चलाने को मजबूर हो गए।

    तापमान के उतार-चढाव से फसल में कीट रोग के प्रकोप की संभावना

    जिला कृषि रक्षा अधिकारी कुलदीप सिंह राणा ने बताया कि वर्तमान में गेहूं, सरसों एवं आलू की फसल में तापमान के उतार-चढाव के कारण लगने वाले सामयिक कीट रोग के प्रकोप की संभावना भी रहती है। फसलवार विभिन्न सुझाव अपनाकर कीट रोगों की रोकथाम के बचाव किया जा सकता है।

    गेहूं बुवाई को रोग रहित बीज तथा रोग अवरोधी प्रजाति का चुनाव करना चाहिए। अनावृत्त कंडुआ एवं करनाल बंट के नियंत्रण को कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.5 ग्राम अथवा कार्बाेक्सिन 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन कर बुवाई करनी चाहिए।

    इसी तरह भूमि जनित रोगों से बचाव को ट्राइकोडर्मा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 60-75 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8-10 दिन छाया में रखने के बाद बुवाई से पूर्व आखिरी जुताई के समय खेत में मिलाकर भूमि शोधन करना चाहिए। खड़ी फसल में दीमक गुजिया के नियंत्रण को क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें।

    चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण को मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 प्रति डब्लूपी की 20 ग्राम मात्रा अथवा कारफैंट्राजान इथाइल 40 प्रति डीएफ की 50 ग्राम मात्रा प्रति० हे. 500 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 20-25 दिन के बाद छिडकाव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि तिलहन राई सरसों की फसलों में बीज जनित रोगों से सुरक्षा को 2.5 ग्राम थीरम 75 प्रतिशत किग्रा . बीज की दर से उपचारित करके बोएं।

    मेटालेक्सिल 2.0 ग्राम प्रति किग्रा. बीज शोधित करने से सफेद गेरूई एवं तुलसिता रोग की प्रारंभिक अवस्था में रोकथाम हो जाती है।उन्होंने बताया कि आलू में लगने वाले ब्लैक स्कर्फ से बचाव को स्वस्थ एवं रोग रोधी प्रजातियों तथा प्रमाणित बीज का चुनाव करना चाहिए।

     

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