रामपुर 2025: 56 दिन की 'आजादी' और फिर वही सलाखें... आजम खां की सियासत का सबसे कठिन साल!
रामपुर की राजनीति 2025 में आजम खां और जेल के इर्द-गिर्द घूमती रही। साल में सिर्फ 56 दिन जेल से बाहर रहे आजम खां की रिहाई और फिर गिरफ्तारी ने खूब सुर्ख ...और पढ़ें

आकाश सक्सेना और आजम खां
भास्कर सिंह, रामपुर। साल-2025 में जिले की सियासत शहर से लेकर जेल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। इस बीच राजनीति में कोई बड़ा बदलाव तो नहीं दिखा, लेकिन पूरे साल दो नाम ही चर्चा में रहे। इनमें एक नाम भारतीय जनता पार्टी से शहर विधायक आकाश सक्सेना का रहा, जिनकी बेटी की शादी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शामिल होकर उनके राजनीतिक कद को बढ़ाया।
दूसरा नाम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां का है। 56 दिन छोड़ दिए जाए तो उनका यह पूरा साल जेल के अंदर बीता। पहले सीतापुर जेल में रहे और अब रामपुर जेल में बंद हैं। इसके बावजूद पूरे साल वह चर्चा में रहे। पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी के बाद कई बार उनके दूसरी पार्टी में जाने की चर्चा ने खूब जोर पकड़ा तो उनकी 56 दिन की रिहाई में पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कई नेता उनसे घर आकर मिले।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के बाद उनके दूसरे दल में जाने की चर्चा पर विराम लगा। इसी साल उनके पांच मुकदमों में भी फैसला आया। इसमें चार मामलों में वह बरी हुए, जबकि एक मामले में सजा हुई। ये सभी मामले रामपुर की अदालत में चल रहे थे। इसके अलावा सात नवंबर को लखनऊ की कोर्ट से मानहानि के एक मामले में वह बरी हुए थे। बरी होने वाले मुकदमों में वह अपने अटैची वाले बयान को लेकर भी चर्चा में रहे थे।
वैसे तो आजम खां 18 अक्टूबर 2023 से जेल में बंद थे। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) ने आजम खां, उनकी पत्नी डा. तंजीम फात्मा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। 23 माह बाद इसी साल 23 सितंबर 2025 को वह जमानत पर रिहा हुए तो सीतापुर जेल से बड़े काफिले के साथ घर लौटे थे।
तब तक उनके दूसरे दल में जाने की चर्चाएं जोर पकड़ रही थीं। मीडिया कर्मियों ने उनसे इसे लेकर कई बार सवाल किए। लेकिन, उन्होंने भी सीधा जवाब नहीं दिया। यही कहते रहे कि बीमार हूं, पहले अपना इलाज कराऊंगा। आठ अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रामपुर आजम खां से मिलने उनके घर पहुंचे। यहां दोनों के बीच गिले शिकवे दूर हुए। इसके बाद उनके पार्टी छोड़ने की चर्चाएं भी रुक गईं।
17 नवंबर को दो पैन कार्ड मामले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल ने फैसला सुनाया। इसमें आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला को सात साल की सजा सुनाई गई। तब से आजम खां अपने बेटे के साथ रामपुर जेल में बंद हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि समय बदलेगा और आजम खां एक दिन आजाद होंगे।
बसपा और कांग्रेस को मिले नए जिलाध्यक्ष
साल-2025 में कांग्रेस और बसपा को नए जिलाध्यक्ष मिले। युवा कांग्रेस में लंबे समय तक रहे प्रमिल कुमार शर्मा उर्फ निक्कू पंडित को मार्च में जिलाध्यक्ष बनाया गया। इससे पहले धर्मेंद्र देव गुप्ता जिलाध्यक्ष थे। बसपा में जिलाध्यक्ष को लेकर विवाद रहा। प्रमोद कुमार और सुरेंद्र सागर पहले जिलाध्यक्ष रह चुके थे। दोनों के बीच विवाद की जानकारी बसपा सुप्रीमो मायावती तक पहुंची थी।
इसके बाद दोनों को पार्टी से निष्कासित दिया गया था। हालांकि सात दिन बाद ही प्रमोद कुमार को पार्टी ने वापस ले लिया। इसके बाद सुरेंद्र सागर बसपा छोड़कर सपा में चले गए। इस बीच कुछ दिन बाद ज्ञान प्रकाश बौद्ध को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन प्रमोद कुमार की पार्टी के प्रति निष्ठा देख उन्हें अप्रैल में तीसरी बार जिलाध्यक्ष का पद सौंपा गया।

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