सावधान! फास्ट फूड के नाम पर जहर परोसने वालों की खैर नहीं, प्रशासन ने जांचे लाइसेंस और तेल-मसाले
खाद्य विभाग ने रामपुर में फास्ट फूड विक्रेताओं पर अभियान चलाया। दैनिक जागरण की पहल पर जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया। अधिकारियों ने 20 खाद्य सामग्री के नम ...और पढ़ें

ठेले पर चाट खाते लोग
जागरण संवाददाता, रामपुर। ठेलों और स्टाल पर बिकने वाले फास्ट फूड में इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर दैनिक जागरण की ओर से चलाए अभियान का शुक्रवार को असर नजर आया। जिलाधिकारी ने इसका संज्ञान लिया। इसके बाद खाद्य विभाग के अधिकारी सड़कों पर उतर आए।
फास्ट फूड बेचने वाले विक्रेताओं के पंजीकरण प्रमाण पत्र चेक किए। घी, तेल, मसाले, सास (चटनी) आदि खाद्य सामग्रियों की सैंपलिंग की गई। एक दिन में 20 खाद्य सामग्रियों के सैंपल लिए गए। इससे ठेलों पर घटिया क्वालिटी का सामान इस्तेमाल करने वालों में हड़कंप मच गया। फास्ट फूड न खाने की सलाह डाक्टर हमेशा देते हैं, लेकिन स्वाद के शौकीन उनकी सलाह को नहीं मानते।
खासकर बच्चे और युवा फास्ट फूड को ज्यादा पसंद करते हैं। फास्ट फूड के इसी शौक ने एक सप्ताह पहले अमरोहा में छात्रा अहाना की जान ले ली। फास्ट फूड के कारण उसकी आंतों में संक्रमण फैल गया था। उसकी आंतें चिपक गई थीं और उनमें छेद हो गए थे। स्वजन ने दिल्ली के एम्स तक उसका इलाज कराया, लेकिन अहाना की जान नहीं बच सकी।
बेटी की मौत के बाद पिता ने इंटरनेट मीडिया पर लोगों से फास्ट फूड न खाने की अपील की थी। इस तरह की घटना दोबारा न हो जाए, इसे लेकर दैनिक जागरण ने अभियान शुरू किया। इसमें फास्ट फूड के ठेलों पर इस्तेमाल होने वाले तेल, टमाटर और मिर्च की सास, मियोनी, विनेगर आदि की गुणवत्ता पर सवार उठाए।
खाद्य विभाग की जिम्मेदारी को भी तय किया। दरअसल, खाद्य विभाग की ओर से ठेलों और स्टाल पर खाद्य सामग्री बेचने वालों को पंजीकरण प्रमाण पत्र तो जारी किए जाते हैं, लेकिन यहां से नमूने नहीं भरे जाते हैं। इसके चलते ठेलों पर अधोमानक खाद्य सामग्री खूब बिक रही है। इसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है।
दैनिक जागरण के अभियान का शुक्रवार को असर दिखाई दिया। जिलाधिकारी के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम शाम के समय फूड वैन लेकर शौकत मार्ग पहुंची। यहां ठेलों पर पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, गोलगप्पे वालों के पंजीकरण प्रमाण पत्र चेक किए। सभी को प्रमाण पत्र ठेले पर इस तरह लगाने के निर्देश दिए, जो ग्राहकों को नजर आए।
साथ ही इस्तेमाल होने वाले खाद्य तेल, घी, टमाटो सास अच्छी गुणवत्ता के रखने के निर्देश दिए। सहायक आयुक्त खाद्य सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि सभी ठेलों और स्टाल पर पंजीकरण प्रमाण पत्र पाए गए। ठेलों पर रखी 20 खाद्य सामग्रियों के सैंपल भी भरे गए। फूड वैन में स्थापित प्रयोगशाला के माध्यम से इनकी गुणवत्ता की जांच भी की गई। किसी तरह की कमी नहीं पाई गई। सभी को सख्ती से निर्देश दिए गए हैं कि वे गुणवत्ता और साफ सफाई का विशेष ख्याल रखेंगे।
अप्रैल से सितंबर तक भरे गए छह सैंपल, दो हुए फेल
खाद्य विभाग की ओर से अप्रैल से सितंबर तक छह सैंपल भरे गए। इनमें चार की रिपोर्ट आई थी। इनमें दो सैंपल फेल हो गए थे, जबकि दो सैंपल की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। सहायक आयुक्त खाद्य सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि 15 अप्रैल को टीम ने चार सैंपल भरे गए थे, जिसमें ग्रीन चिली सास, फ्रेश चटकारा सोया सास, कान्टिनेंटल सास और फूड कलर शामिल था। इसमें ग्रीन चिली सास और फूड कलर का नमूना फेल हुआ था। दुकानदार पर न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी है। इसके अतिरिक्त दो अगस्त को हरी चटनी और 22 सितंबर को चिली सास का नमूना भी भरा गया था, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
फास्ट फूड नुकसानदायक है। फास्ट फूड में कैलोरी अधिक होती है। वजन बढ़ता है। बच्चे इसे न खाएं। इसके लिए अभिभावक और स्कूल भी जिम्मेदार बनें। अभिभावक बच्चों को लंच में रोटी-सब्जी, पराठा, फल आदि दें। स्कूलों में भी बच्चों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
- अंजलि अग्रवाल, जिला विद्यालय निरीक्षक।
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