Rampur News: रामपुर में बुखार पीड़ितों की अस्पतालों में भरमार, बेड मिलना दुश्वार; 600 पहुंचा डेंगू के मरीजों का आंकड़ा
Dengue Cases In Rampur रामपुर में बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालत यह है कि सामान्य बुखार के मरीज लगभग हर घर में हैं। इसके अलावा मलेरिया और डेंगू भी फैल रहा है। डेंगू के मरीजों की संख्या 600 तक पहुंच चुकी है। सरकारी और प्राइवेट अस्पताल बुखार के मरीजों से भरे पड़े हैं। अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल हो गया है।
जागरण संवाददाता, रामपुर। Dengue Cases In Rampur: रामपुर में बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालत यह है कि सामान्य बुखार के मरीज लगभग हर घर में हैं। इसके अलावा मलेरिया और डेंगू भी फैल रहा है। डेंगू के मरीजों की संख्या 600 तक पहुंच चुकी है। सरकारी और प्राइवेट अस्पताल बुखार के मरीजों से भरे पड़े हैं। अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल हो गया है। बेड पाने के लिए लोगों को सिफारिश करानी पड़ रही है।
बुखार से निपटने को वैसे तो स्वास्थ्य विभाग काफी समय से प्रयास कर रहा है। वर्षा की शुरुआत से पहले गैर संचारी रोग के लिए अभियान चलाया गया था। इसके तहत दूसरे विभागों के सहयोग से गांवों में सफाई कराई गई, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। वर्तमान में हालात बेकाबू होने लगे हैं।
रोजाना डेंगू के इतने ज्यादा मरीज मिल रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग की टीमों का दम फूल चुका है। उन्हें रोजाना 20 से अधिक गांव और गली-मुहल्लों में मिलने वाले डेंगू मरीजों के क्षेत्रों में सर्वे करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की जांच से लेकर उपचार तक की मुफ्त सुविधा है।
जिला अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं। इनमें 75 बेड हैं, जिसमें 60 बेड डेंगू आशंकित मरीजों के लिए हैं, जबकि पुष्टि होने के बाद मरीजों को भर्ती करने के लिए 15 बेड का अलग वार्ड बना है। रोजाना 100 से अधिक जांच की जा रही है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसपी सिंह ने बताया कि डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला अस्पताल में 25 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। लोगों से अपील है कि वे मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। पूरी बांह के कपड़े पहनें। जूते मौजे पहनें।
डेंगू के 30 नए मरीज मिले, 599 हुई संख्या
जिले में डेंगू के मरीज मिलने का सिलसिला जारी है। गुरुवार को 135 लोगों की जांच की गई थी ,जिनकी रिपोर्ट शुक्रवार को मिली। इनमें 30 लोग की रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही डेंगू के मरीजों की संख्या 599 पहुंच गई है। शुक्रवार को मिले 30 डेंगू रोगियों में सबसे ज्यादा 11 शहरी क्षेत्र के हैं। इसके अलावा चमरौआ ब्लाक क्षेत्र में नौ, सैदनगर में चार, स्वार और टांडा में एक-एक डेंगू का मरीज मिला है। इन सभी के घरों पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने सर्वे किया।
जिला मलेरिया अधिकारी डा. केके चहल ने बताया कि इनमें एक मरीज बरेली के राममूर्ति मेडिकल कालेज में भर्ती है, जबकि एक शिवगढ़ में और 10 जिला अस्पताल में भर्ती हैं। बाकी मरीज घर पर ही चिकित्सक की देखरेख में उपचार ले रहे हैं।
टीम द्वारा चमरौआ ब्लाक के ककरौआ, लालूनगला, तुमड़िया, शहजादनगर, खौदपुरा, कल्यानपुर, मिलक ब्लाक के धर्मपुरा, कासिमगंज, सिरसा, सैदनगर ब्लाक के अजीमनगर, हरैटा, मुरसैना और नगलिया आकिल में लोगों को बुखार से बचाव के लिए जागरूक किया। यहां नालियों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव भी कराया गया। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में मुहल्ला बरेली गेट, राजद्वारा, मुहल्ला थाना कुंडा, कटकुइयां, विकास नगर, दोमहला, चौकी हजियानी और आवास विकास कालोनी में मिले डेंगू रोगियों के स्वजन से जानकारी की।
मिलक और ग्रामीण क्षेत्र में रोगियों की संख्या बढ़ी
मिलक स्थित सरकारी अस्पताल में ढाई सौ से अधिक की संख्या में बुखार पीड़ित दवाई लेने के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल के पर्चा बनाने वाले काउंटर पर लंबे इंतजार के बाद मरीजों के पर्चे बन पा रहे हैं। शुक्रवार को पर्चा बनवाने के लिए एक वृद्धा लाइन में लगी थी। काफी इंतजार के बाद भी उसका नंबर नहीं आया।
इसी दौरान उसे तेज बुखार आ गया और वह बेहोश होकर गिर गई। अस्पताल के कर्मचारी बेहोश वृद्धा को उठाकर ले गए। भर्ती कर उसका उपचार किया गया। सूचना मिलने पर वृद्धा के स्वजन भी अस्पताल जा पहुंचे। उपचार बाद वृद्धा को उसके स्वजन के साथ घर भेज दिया गया।
शहर हो या गांव घर-घर बुखार फैला हुआ है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बुखार पीड़ित नगर के सरकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही बरेली और मुरादाबाद के हायर सेंटरों में बुखार पीड़ित अपना इलाज कर रहे हैं। सबसे बुरा हाल गांव में देखने को मिल रहा है। बुखार आने पर लोग उसे दैवीय आपदा मानकर तांत्रिकों से झाड़ फूंक करवा रहे हैं।
इलाज के अभाव में हो रही मौतें
इलाज नहीं कराने के कारण बुखार पीड़ितों की या तो मौतें हो रही है या फिर उन्हें गंभीर अवस्था में ट्रामा सेंटरों में भर्ती करना पड़ रहा है। क्षेत्र में पहले बुखार को अपने लिए आपदा में अवसर मानकर दवाइयां बेचने वाले चांदी काट रहे हैं। मेडिकल पर मौजूद दवाइयों को नहीं होना बताकर उन दवाइयों को महंगे दामों पर बुखार पीड़ितों को बेच रहे हैं।
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मामूली से मामूली बुखार में बुखार पीड़ित को अस्पताल में भर्ती करके उसे ग्लूकोज की बोतल चढ़ा रहे हैं। आवश्यकता नहीं होने पर भी इंजेक्शन और तय मानक से अधिक एंटीबायोटिक दवाइयां खिला रहे हैं। एंटीबायोटिक दवाइयां बुखार पीड़ितों को देने पर उनके प्लेटलेट्स संख्या घट रही है। प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर मरीज को डराया जा रहा है।
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