Rampur News: पांच साल की बच्ची के दुष्कर्मी 72 वर्षीय अब्दुल को उम्रकैद, 50 हजार का जुर्माना भी लगाया
Rampur News रामपुर की अदालत ने 45 दिन में सुनाई दुष्कर्मी को सजा। अदालत ने टिप्पणी में कहा कि पीड़ित मासूम लड़की मानसिक रूप से कमजोरी थी। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। आरोपित पक्ष ने दलील दी थी कि उम्र 72 साल है और वो एक मजदूर है। उसकी पत्नी भी है। लेकिन अदालत ने दलील नहीं सुनी और कड़ी सजा दी।
जागरण संवाददाता, रामपुर। मानसिक रूप से कमजोर पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले 72 वर्षीय अब्दुल रहमान को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने 45 दिन के भीतर 14 तारीखों में दोषी को 20 साल कारावास की सजा सुनाई। दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में पुलिस ने एक सप्ताह में आरोप पत्र दाखिल किया।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त ने जो कृत्य किया है, उससे पीड़ित, मुकदमा दर्ज कराने वाली उसकी मां और अन्य स्वजन को सामाजिक दंश झेलना पड़ा है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 65 (2) में प्रविधान है कि जो कोई 12 साल से कम आयु की महिला से दुष्कर्म करता है तो उसे कठिन कारावास दिया जाए। कारावास की अवधि 20 वर्ष या आजीवन कारावास होनी चाहिए।
अब्दुल रहमान ने किया था दुष्कर्म
बरेली की महिला अपनी पुत्री के साथ किराये पर रहती थी। आरोप है कि उसकी पुत्री के साथ 24 अक्टूबर, 2024 को मकान मालिक 72 वर्षीय वृद्ध अब्दुल रहमान ने दुष्कर्म किया। पुलिस ने आरोपित अब्दुल रहमान को गिरफ्तार कर लिया। मुकदमे की विवेचना सात दिन में पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए थे। न्यायालय ने लगातार सुनवाई की। 14 तारीखों में चार लोग पीड़ित की मां, चिकित्सक, शिक्षक और स्वयं प्रभारी निरीक्षक ने गवाही दी।
20 साल की सजा और जुर्माना भी लगाया
न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) रामगोपाल सिंह ने शनिवार को अब्दुल रहमान को दोषी मानते हुए 20 साल कारावास और पचास हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक सुमित शर्मा का कहना था कि पीड़ित मंदबुद्धि बालिका है, उसके साथ अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है, इसलिए उसे अधिक से अधिक दंड से दंडित किया जाए।
न्यायालय की टिप्पणी
छह वर्ष की मानसिक रूप से कमजोर बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में सजा के प्रश्न पर अभियुक्त के अधिवक्ता का कहना था कि वह 70 वर्ष का गरीब मजदूर व्यक्ति है। यह उसका प्रथम अपराध है। उसके परिवार में उसकी पत्नी है। उसके अतिरिक्त पत्नी की देखभाल करने वाला कोई अन्य नहीं है। विशेष लोक अभियोजक सुमित शर्मा का कहना था कि पीड़ित मंदबुद्धि बालिका है, जो घटना के समय मात्र छह साल की थी। उसके साथ अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है, इसलिए उसे अधिक से अधिक दंड से दंडित किया जाए।
मां और अन्य स्वजन ने झेला सामाजिक दंश
दोनों पक्षों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट रामगोपाल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त ने जो कृत्य किया है, उसके कृत्य से पीड़ित, मुकदमा दर्ज कराने वाली उसकी मां और अन्य स्वजन को सामाजिक दंश झेलना पड़ा है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 65 (2) में प्रावधानित है कि जो कोई 12 साल से कम आयु की महिला से दुष्कर्म करता है तो उसे कठिन कारावास दिया जाए। कारावास की अवधि 20 वर्ष या आजीवन कारावास होनी चाहिए।
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पुलिस अधीक्षक की बात पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्र ने बताया कि यह गंभीर प्रकरण था। इसमें पुलिस ने गहनता से जांच की। अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए सभी साक्ष्य जुटाए गए। मजबूत तरीके से पैरवी की गई। पैरवी करने के लिए अतिरिक्त एक्सपर्ट भी लगाए गए थे।
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