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    Maha Kumbh 2025: पढ़े-लिखे युवा क्यों बन रहे संन्यासी? इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने शुरू किया शोध

    Updated: Sat, 18 Jan 2025 07:49 PM (IST)

    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान ने प्रोजेक्ट महाकुंभ शुरू किया है। यह प्रोजेक्ट महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं को समझने और युवाओं की मानसिकता को विश्लेषित करने का प्रयास है। उनके अनुभव विचार और जीवनशैली को समझने के लिए ग्राउंड जीरो रिपोर्ट तैयार की जा रही है। बता दें कि महाकुंभ एक ऐसा वैश्विक आयोजन है जिसका संयोजन और प्रबंधन आम सनातनी जनमानस करता है।

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    इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने "प्रोजेक्ट महाकुंभ" की शुरुआत की है। जागरण

    जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। Maha Kumbh 2025 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान ने "प्रोजेक्ट महाकुंभ" की शुरुआत की है। इस "प्रोजेक्ट महाकुंभ" में आयोजन के विभिन्न पहलुओं को समझने और विशेष रूप से युवाओं की मानसिकता, प्रवृत्तियों और उनके आध्यात्मिक झुकाव को विश्लेषित करने का प्रयास होगा।

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    इस प्रोजेक्ट के तहत शिक्षकों और शोधार्थियों का दल महाकुंभ के दार्शनिक, ऐतिहासिक और आस्था संबंधी पहलुओं का अध्ययन भी शुरू कर दिया है। शोधकर्ता मानते हैं कि यह शोध धार्मिकता, दर्शन और आधुनिकता के बीच संतुलन पर एक नई बहस शुरू करेगा, जो न केवल महाकुंभ बल्कि आधुनिक समाज में आध्यात्मिकता की भूमिका को भी नए सिरे से परिभाषित करने में मददगार होगा।

    विशेष रूप से यह प्रोजेक्ट युवाओं की भागीदारी और उनके मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण को केंद्र में रखकर किया जा रहा है। गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान के समन्वयक डा. अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि महाकुंभ एक ऐसा वैश्विक आयोजन है, जिसका संयोजन और प्रबंधन आम सनातनी जनमानस करता है।

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    यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि इसके पीछे दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक और आर्थिक कारक भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। वर्तमान युग में जब पूरी दुनिया डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रही है, तब ऐसे धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में युवाओं की बढ़ती भागीदारी एक शोध का विषय बन जाती है। इसमें युवाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।

    यह प्रोजेक्ट विशेष रूप से यह समझने का प्रयास करेगा कि आधुनिक युग के युवा, जो अत्याधुनिक तकनीक और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के युग में पले-बढ़े हैं, वे किस मानसिकता, दार्शनिकता और ऊर्जा के वशीभूत होकर इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।

    केंद्रीय विचारों में से एक यह भी है कि ऐसे युवा, जो उच्च वेतन वाले आकर्षक करियर में थे, उन्होंने संन्यास का मार्ग क्यों चुना। यह विषय अध्ययन और विश्लेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि यह जीवन के मूल्यों और आध्यात्मिक जागरूकता की दिशा में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

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    ग्राउंड जीरो पर अध्ययन और साक्षात्कार

    प्रोजेक्ट की कार्यप्रणाली के तहत शनिवार को संस्थान के शिक्षकों और शोधार्थियों की एक टीम ने महाकुंभ मेला क्षेत्र का भ्रमण किया। उन्होंने कल्पवासियों, संन्यासियों और विशेष रूप से युवा श्रद्धालुओं से संवाद स्थापित किया। उनके अनुभव, विचार और जीवनशैली को समझने के लिए ग्राउंड जीरो रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

    इस अध्ययन दल का नेतृत्व संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश सिंह एवं समन्वयक डा. अविनाश कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं। इनके साथ डा. सुरेंद्र कुमार, डा. तोषी आनंद, शोधार्थी दिल्याश सिंह और विनोद सिंह शामिल है।

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