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    Maha Kumbh 2025: संगमनगरी में आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का भी हुआ संगम, बढ़ेगी देश की GDP

    Updated: Sat, 18 Jan 2025 06:07 PM (IST)

    Maha Kumbh Mela 2025 में संगमनगरी प्रयागराज में आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का भी संगम हुआ है। डेढ़ महीने के इस आयोजन में 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने का अनुमान है। इससे करीब 2 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है। साथ ही देश की जीडीपी में भी इसका बड़ा योगदान होगा। महाकुंभ के दौरान रोजगार के भी अवसर बढ़ रहे हैं।

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    Maha Kumbh 2025 के त्रिवेणी मार्ग स्थित जूना अखाड़ा में आशीर्वाद देते नागा संन्यासी। -मुकेश कनौजिया

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। कारोबार और रोजगार एक दूसरे के पूरक हैं। अगर कारोबार होगा तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसमें से कुछ रोजगार अस्थायी तो कुछ स्थायी भी होंगे, पर इससे संबंधित लोगों का जीवन पहले से खुशहाल हो जाएगा। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ भी इसका अपवाद नहीं है।

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कह चुके हैं कि पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक करीब डेढ़ महीने के इस आयोजन में करीब 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु व पर्यटक आएंगे। अगर औसतन एक पर्यटक अपनी बुनियादी जरुरतों पर लगभग पांच हजार खर्च करे तो इस दौरान करीब दो लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा।

    विशेषज्ञों के अनुसार करीब डेढ़ महीने का यह कारोबार संबंधित लोगों के लिए आठ महीने के कारोबार के बराबर होगा। इसका बड़ा हिस्सा करीब (25 हजार करोड़ रुपये) टैक्स के रूप में सरकार को मिलेगा। साथ ही देश की जीडीपी में भी इसका बड़ा योगदान होगा।

    Maha Kumbh 2025: नगर के जूना अखाड़ा में कनाडा से पहुंच श्रद्वालु । -मुकेश कनौजिया


    महाकुंभ के दौरान कारोबार के साथ रोजगार के भी अवसर बढ़ रहे हैं। विभिन्न एजेंसियों के रुझान भी आने लगे हैं। महाकुंभ के दौरान छह से लाख लेकर 10 लाख अस्थायी रोजगार सृजित हो रहे हैं। इसमें कुंभ की बसावट और बुनियादी ढांचा संबंधी अन्य काम, लाजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्टेशन, डेटा एनालिस्ट, डिजिटल सुरक्षा, ब्रांडिंग, मार्केटिंग के लिए बैनर, पोस्टर और फ्लेक्स, सोशल इन्फ्लूएंसर, हास्पिटैलिटी, इवेंट्स मैनेजमेंट आदि के क्षेत्र शामिल हैं।

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    स्थानीय कारोबारियों को भी लाभ

    इस मेले से स्थानीय स्तर पर प्रसाद (लाचीदाना, लइया, फूल, माला, दूध से लेकर मिठाई) बेचने वालों, नाई, पुरोहित, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, फूल-मला आदि बेचने वाले सबके हिस्से में कुछ न कुछ आना है। यकीनन यह औसत दिनों से कई गुना होगा। यही स्थिति कमोवेश स्थायी दुकानदारों की भी होगी।

    महाकुंभनगर के संगम तट पर स्नान के दौरान इस तरह नजर आएं श्रद्वालु।-हृदेश चंदेल


    काशी और अयोध्या की अर्थव्यवस्था में भी बूम

    कारोबार और रोजगार यह क्रम विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ तक ही सीमित नहीं है। अगर तीनों लोको से न्यारी शिव की काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर बनने के बाद वहां 2023 में करीब 10 लाख पर्यटक आए तो तो यकीनन उन्होंने काशी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    यही स्थिति अयोध्या की भी है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां पर्यटकों, श्रद्धालुओं के आने का सारा रिकार्ड टूट गया। मौजूदा समय में हर रोज आने वाले पर्यटकों-श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से देश के प्रमुख धर्मस्थलों में नंबर एक पर है। जिस अयोध्या में 2016 से पहले हर साल औसतन 2.83 लाख पर्यटकों-श्रद्धालुओं का आगमन होता था। अब वहां रोज लगभग एक से डेढ़ लाख लोग आ रहे हैं।

    Maha Kumbh 2025: महाकुंभनगर के संगम तट पर स्नान के दौरान इस तरह नजर आएं श्रद्वालु।-हृदेश चंदेल


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    सितंबर 2024 तक अयोध्या में करीब 13.50 करोड़ पर्यटक एवं श्रद्धालु आ चुके थे। अनुमान है कि साल के अंत तक यह संख्या 16 करोड़ के आसपास रही होगी। अयोध्या के कारोबारी खुद कहते हैं कि अब हम महीने में हजार की जगह लाख कमा ले रहे हैं। किसी खास अवसर पर होटल पहले से बुक हो जाते हैं।

    कुछ नए होटल भी खुले हैं। ताज सहित कई नामचीन ब्रांड वहां होटल बनाने जा रहे हैं। यही नहीं एक जगह की प्रगति का लाभ दूसरी जगह को भी मिल रहा है। महाकुंभ इसका उदाहरण हैं। संगम में डुबकी लगाने के बाद इनमें से कइयों का गंतव्य काशी, अयोध्या के साथ कुछ हद तक विंध्याचल भी है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

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