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    Maha Kumbh 2025 में आम आदमी से लेकर नागा साधु, अघोरियों का संगम, प्रयागराज की इन तस्वीरों देखें अद्भुत संसार

    Updated: Sat, 18 Jan 2025 01:58 PM (IST)

    Maha Kumbh Mela 2025 के दौरान एक अद्भुत संसार का निर्माण हो गया है। नागा साधुओं अघोरियोंसंतों का जमावड़ा है। घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। गंगा मईया पूरी तरह निर्मल हो गई हैं। विदेशी पर्यटक भी गंगा की एक झलक पाने के लिए आ रहे हैं। अखाड़ों के भ्रमण के पश्चात-शोभा बरनि न जाए जैसी अनुभूति। क्या गंवई मनई-क्या शहरी बाबू सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र नागा साधु।

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    Maha Kumbh Mela 2025: संगमनगरी में एक अलग ही संसार बस गया है। जागरण

     मदन मोहन सिंह, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025 बादलों के बीच से भगवान भास्कर अभी प्रकट हुए हैं। शरद ऋतु का प्रभाव थोड़ा कम हुआ है। जन-ज्वार भी आंशिक मंद है। पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के पवित्र स्नान के बाद अब पुण्यार्थियों का प्रवाह उन क्षेत्रों में व्यापक हुआ है, जहां अखाड़े हैं। सेक्टर एक-दो से आगे पांटून पुलों की शृंखला। उस पार सेक्टर-17 से 21 तक अखाड़ों का संसार, जहां है सनातन सत्ता के प्रहरियों का प्रवास।

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    भव्य मंदिर, विशाल भवन, देश-विदेश से आए नागा साधु, संत-महंत के दर्शन के लिए प्रवाहमान जनसमूह। अखाड़ों के भ्रमण के पश्चात-शोभा बरनि न जाए, जैसी अनुभूति। क्या गंवई मनई-क्या शहरी बाबू, सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र नागा साधु। इनके विविध रंग के समक्ष कोई नतमस्तक होता है तो कोई बिहसता है। सेक्टर 20 में नागा साधु मनमौजी का प्रखर संबोधन चल रहा है।

    Maha Kumbh 2025: मेला में अखाड़े के बाहर श्रद्धालुओ को सनातन धर्म की शिक्षा देते नागा बाबा कुशपुरी।-गिरीश श्रीवास्तव


    सनातन धर्म-संस्कृति की बातें, बीच-बीच में राहुल गांधी और इटली का भी उल्लेख। टेंट के आगे भीड़ में देसी-विदेशी शामिल। मोबाइल फोन के साथ बड़े-बड़े के केंद्र में बाबा मनमौजी। अचानक बम-बम करते निकलती अघोरियों की टोली। भभूत लपेटे एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में खप्पर। द्रुत गति से इस अखाड़े से उस अखाड़े में प्रवेश।

    Maha Kumbh 2025: भोलेनाथ के स्वरूप के साथ सेल्फी लेता बालक।-उत्तम राय चौधरी


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    जिसके जी में आया, दिया या न दिया। बिना प्रतीक्षा कदम आगे। पूछने पर लोगों ने बताया-ये अघोरी हैं। इनका कोई अखाड़ा नहीं होता। श्मशान में रहते हैं। कम ही दर्शन देते हैं। सेक्टर-20 में ही जूना अखाड़ा के सामने साधु वेश में मिलते हैं कनाडा के मैसर। मूल रूप से मांट्रियल के रहने वाले हैं। वह काशी में बंगाली टोला में रह रहे हैं। शिवरात्रि तक के लिए कुंभ आए हुए हैं। उनके साथ एक युवक भी है, जो दुभाषिए का कार्य करता है। हमसे बात करेंगे? जवाब में दुभाषिए की ओर इशारा करते हैं।

    Maha Kumbh 2025 श्रद्धालुओं को आर्शीवाद देता साधु।- उत्तम राय चौधरी


    46 वर्ष के मैसर की जटा 31 साल की है। लंबाई पूछने पर बताते हैं-लगभग आठ फीट। भारत के बारे में कहते हैं-आइ लव इंडिया। कहते हैं कि हिन्दुइज्म दुनिया का सबसे बेहतर धर्म है। इसमें तमाम देवी-देवता हैं। तमाम किस्से, कहानियां हैं। किसी के भी किस्से, कहानी सुनकर लोग प्रभावित हो सकते हैं। किसके उपासक हैं, इस प्रश्न को वह पलट देते हैं-एंड यूं?

    Maha Kumbh 2025: महाकुंभनगर के जूना अखाड़े के समीप काली मां टैटू दिखाता कनाडा से पहुंचे मैसर। मुकेश कनौजिया


    मैं बताता हूं-मां काली की पूजा करता हूं। ओह, गाडेस काली? इसके साथ ही मैसर अपनी जैकेट की आस्तीन समेटते हैं और कंधे पर बना मां काली का टैटू दिखाते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले जस्टिन ट्रुडो भारत के साथ शत्रुता का भाव रखते हैं। उनके बारे में पूछे जाने पर मुंह बिचकाते हैं-बैड मैन, हैज गान। अन्य प्रश्न से पहले छोटा सा कार्ड देते हैं- विजिट माय यूट्यूब चैनल फार कंप्लीट स्टोरी।

    Maha Kumbh 2025: डुबकी लगाने के बाद नृत्य करती राजस्थान से आयी महिलाएं- उत्तम राय चौधरी


    दूसरी ओर बटुकों की पंक्तिबद्ध टोली निकलती है। राष्ट्र प्रेम सनातन संस्कृति में निहित है, इससे परिचय कराते बटुक स्वस्ति वाचन करते हैं और भारत माता की जय का उच्चघोष करते हैं। साथ चल रहे आचार्य बताते हैं कि ये बटुक स्वामी परमहंस संस्कृत विद्यालय टीकरमाफी, अमेठी के हैं। सात-आठ बालिकाओं की टीम न्याय मांगने की यात्रा पर निकली प्रतीत होती है। उनके हाथों में ‘लक्ष्मी विश्वकर्मा को न्याय दो’ लिखी तख्ती है।

    Maha Kumbh Mela 2025 में स्कॉर्पियो वाले बाबा। जागरण


    टोली की अगुआई कर रही हैं रीता विश्वकर्मा। रीता बताती हैं- वह फूलपुर से आई हैं। भदोही में लक्ष्मी के साथ हैवानियत की गई और हत्या कर शव फेंक दिया गया। हम लक्ष्मी के लिए गंगा मईया से न्याय की मांग कर रहे हैं। घाटों पर लगी दुकानों में धूप-दीप, फूल-माला और चंदन-टीके की अपनी अलग आर्थिकी है।

    फूलों की दुकान लगाने वाली किसलावती बताती हैं- पांच साल पहले वाले कुंभ की तुलना में घाट पर दुकानें 20 गुना बढ़ी हैं। इससे कमाई में कोई फर्क नहीं पड़ा। लोग पहले की तुलना में दो गुणा अधिक कमाई कर रहे हैं।

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    Maha Kumbh 2025 मेला क्षेत्र में ऊंट की सवारी करते लोग।-जागरण


    स्नान घाट के निकट पंडित लवकुश मिश्रा तख्त पर बैठे आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते रहते हैं। जो निकट आता है, टीका लगा देते हैं। इस बार महाकुंभ की भीड़ से बेहद उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि योगी सरकार में सभी का भला हो रहा। संगम किनारे एक नया संसार ही बस गया। गंगा मईया पूरी तरह निर्मल हो गईं। भीड़ बढ़ी है, लेकिन व्यवस्था कई गुणा बढ़ी है। आज तमाम देशों के लोग गंगा की एक झलक पाने के लिए लालायित हैं।

    पोलैंड, फ्रांस, कनाडा तक के लोग यहां आकर गंगा मईया का वैभव देख रहे हैं। महाकुंभ में करोड़ों लोगों की उपस्थिति लवकुश मिश्रा की बातों का समर्थन करती है। लोगों को बुलाती है-सारे तीरथ भले एक बार, तीरथराज बार-बार।

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