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    Maha Kumbh 2025: एक तरफ तेजस तो दूसरी और तिरुपति बालाजी व सोमनाथ, विज्ञान और अध्यात्म का हो रहा संगम

    Maha Kumbh Mela 2025 कुंभ मेला केवल आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र नहीं है बल्कि विज्ञान और अध्यात्म के संगम का पवित्र स्थल है। एक तरफ तेजस लड़ाकू विमान की प्रतिकृति आत्मनिर्भर भारत का संदेश देती है तो दूसरी ओर सोमनाथ और तिरुपति बालाजी मंदिरों की हूबहू प्रतिकृतियां श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं। यह रामानंदाचार्य शिविर मठ द्वारा ही बनवाया गया है।

    By Jagran NewsEdited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 17 Jan 2025 01:35 PM (IST)
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    Maha Kumbh 2025 के ओल्ड जीटी मार्ग रामानंदाचार्य मठ शिविर के मुख्य द्वार तेजस लड़ाकू विमान। मुकेश कनौजिया

    मृत्युंजय मिश्र, महाकुंभ नगर। महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) केवल आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र नहीं रह गया, बल्कि अध्यात्म और विज्ञान दोनों के संयोजन का एक पवित्र और दिव्य स्थल बन गया है। जहां एक तरफ भारत की सांस्कृतिक विविधिता की झलक दिखाई देती है तो दूसरी तरफ विज्ञान की ओर बढ़ते कदम और मेक इन इंडिया की छवि प्रकाशमान होती है।

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    एक तरफ नागर शैली में बने सोमनाथ मंदिर का आभायुक्त भव्य शिविर है, तो दूसरी तरफ तिरुपति बालाजी मंदिर की हूबहू प्रतिकृति वाले द्वार महाकुंभ की शोभा में मुक्ता मणि की तरह विभूषित हैं। देवालयों जैसे शिविरों के साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में छलांग लगाते भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए लड़ाकू विमान तेजस की प्रतिकृति आत्मनिर्भर भारत का संदेश देती है।

    Maha Kumbh Mela 2025के ओल्ड जीटी मार्ग रामानंदाचार्य मठ शिविर के मुख्य द्वार तेजस लड़ाकू विमान के मॉडल पर बनाया गया है। मुकेश कनौजिया


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    सेक्टर पांच में विज्ञान का आभा दर्शाता विशालकाय तेजस लड़ाकू विमान आसमान की ओर बढ़ता दिखाई देता है। यह रामानंदाचार्य शिविर मठ द्वारा ही बनवाया गया है जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन गया है। सेक्टर 18 में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज के शिविर की भव्यता देखते ही बनती है।

    Maha Kumbh Mela 2025 नगर में जगमगाता तंबुओं का नगर। शरद मालवीय


    नागर शैली में बने इस विशाल और नयनाभिराम शिविर में सोमनाथ और द्वारिकाधीश मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। नागर शैली में बने इस शिविर को निर्माण प्रभारी मालिनी दोषी ने डिजाइन किया है। इसमें शिविर के सामने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा विभूषित होती है।

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    अंदर राजराजेश्वरी, सिद्धिविनायक और दक्षिणामूर्ति की प्रतिमाएं हैं। पास में ही मुक्तिमार्ग पर शास्त्री ब्रिज के नीचे अखिल भारतीय धर्मसंघ के शिविर के ठीक सामने विशाल काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाई गई है। मुक्ति मार्ग पर थोड़ा आगे बढ़ते ही ऐसा लगता है कि मानों तिरुपति बालाजी का मंदिर महाकुंभ की पवित्र धरती पर उतर आया है। वैष्णो भाग्यनगर खालसा ने यह प्रतिरूप बनवाया है। विशाल चंद्रोदय मंदिर महाकुंभ में प्रवेश करने वाले लोगों को देवलोक की यात्रा का अनुभव दे रहे हैं।