Supreme Court: 'बहुत सख्त है उत्तर प्रदेश का गुंडा एक्ट', सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट को बहुत सख्त बताया है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया था कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में जिला अदालत में उसके खिलाफ लंबित कार्यवाही को रद कर दिया जाए।

प्रेट्रे, (नई दिल्ली)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम बहुत कठोर प्रतीत होता है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के मई 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है।
इस व्यक्ति ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया था कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में कासगंज की जिला अदालत में उसके खिलाफ लंबित कार्यवाही को रद कर दिया जाए। लेकिन, हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि यह अधिनियम कठोर प्रतीत होता है। हम इस पर विचार करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था और कहा था कि अस्थाई अंतरिम आदेश के माध्यम से गैंगस्टर एक्ट के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।
बुधवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गंगा नदी में अवैध खनन के आरोप में 1986 के अधिनियम के प्रविधानों के तहत उस पर मामला दर्ज किया गया है। वकील ने तर्क दिया कि इससे पहले कथित अवैध खनन से संबंधित एक अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एक ही आरोप के लिए दो बार दर्ज किया गया मामला
वकील ने तर्क दिया कि एक ही आरोप के लिए याचिकाकर्ता पर दो बार मामला दर्ज किया गया है। इस पर राज्य की ओर से पेश वकील ने अधिनियम के प्रविधानों का हवाला दिया।
पीठ ने कहा, इस पर विचार करने की आवश्यकता है। अधिनियम के कुछ प्रविधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका भी उसके समक्ष लंबित है। याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि उसे गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में झूठा फंसाया गया है। यह मामला एक अन्य मामले के आधार पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम नहीं है।
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