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    'जरूरी मीटिंग में हूं, तुरंत रुपये भेजो...', इस तरह यूपी के मंत्री संग हो गई 2.08 करोड़ की ठगी; पुलिस टीमें गठित

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 01:14 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी (Nand Gopal Gupta Nandi) के अकाउंटेंट रितेश श्रीवास्तव से 2.08 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में पुलिस की दो टीमें जांच में जुटी हैं। साइबर अपराधियों ने वाट्सएप डीपी पर मंत्री के बेटे की फोटो लगाकर और जरूरी मीटिंग का हवाला देकर रितेश को ठगा। बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी के अकाउंटेंट रितेश श्रीवास्तव से 2.08 करोड़ रुपये की ठगी मामले में साइबर थाने की दो टीमों को लगाया गया है। साथ ही क्राइम ब्रांच भी जांच पड़ताल में जुट गई है। जिन बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर कराए गए हैं, उसके बारे में भी जानकारी एकत्र की जा रही है। अभी इस बारे में कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ भी साफ तौर पर नहीं बोल रहा है।

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    रितेश श्रीवास्तव मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता के अकाउंटेंट हैं। दो दिन पहले साइबर अपराधियों ने वाट्सएप डीपी पर मंत्री नन्दी के बेटे की फोटो लगाई। इसके बाद उसी वाट्सएप से रितेश के मोबाइल पर संदेश भेजा। इसमें लिखा था कि मैं जरूरी बिजनेस मीटिंग में हूं। यह मेरा नया नंबर है, तुरंत रुपये भेजो। यह मीटिंग अभी काफी देर तक चलेगी। मुझे कुछ रुपये की तत्काल जरूरत है। इसके बाद साइबर ठगों ने बैंक खातों के तीन नंबर भेजे। कहा, इसी पर रुपये ट्रांसफर कर दो।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी (फाइल फोटो)

    मैसेज देखने के बाद अकाउंटेंट ने तीन बार में 2.08 करोड़ रुपये बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसकी जानकारी उसने किसी और को नहीं दी, लेकिन कुछ ही देर में उसे पता चला कि मंत्री के बेटे ने ऐसा कोई संदेश उसे नहीं मिला था। इसका पता चलते ही रितेश घबरा गया। जानकारी मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी को मिली तो पुलिस अफसरों को खबर दी गई।

    अधिकारियों में खलबली मची और फिर साइबर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। साइबर थाने की दो टीमों के साथ ही क्राइम ब्रांच को लगाया गया। जिन बैंकों के खातों में रकम ट्रांसफर की गई, उसकी जानकारी जुटानी शुरू की गई।

    यह खाते किन लोगों के नाम पर हैं, इसकी भी जानकारी बैंक अधिकारियों से मांगने के साथ ही संबंधित खाते को फ्रीज कराने के लिए ई मेल किया गया। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को साइबर अपराधियों के बारे में कुछ जानकारी मिल गई है। साथ ही बैंक खातों के बारे में भी पता चल गया है। हालांकि, कोई अधिकारी इस बारे में कुछ बोलने को तेयार नहीं है।

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