इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव बहाली को लेकर आंदोलन का ऐलान, छात्रों की महापंचायत में जुटे कई संगठनों के लोग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की बहाली के लिए छात्र संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन का ऐलान किया है। एनएसयूआइ, समाजवादी छात्र सभा, एसएफआई और ...और पढ़ें

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ भवन पर छात्र महापंचायत करते विभिन्न संगठनों के लोग व छात्र। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की बहाली को लेकर विभिन्न छात्र संगठन एकजुट हो गए हैं। शुक्रवार को छात्रों की एक बड़ी महापंचायत आयोजित की गई, जिसमें एनएसयूआइ, समाजवादी छात्र सभा, एसएफआइ और दिशा छात्र संगठन से जुड़े कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी संगठनों ने एक स्वर में छात्र संघ चुनाव की बहाली की मांग करते हुए बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी।
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेताओं ने दिया समर्थन
इस दौरान विश्वविद्यालय का गेट के बाहर महापंचायत में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभा को विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेताओं ने भी संबोधित किया। पूर्व अध्यक्ष अजीत यादव, पूर्व अध्यक्ष अवनीश यादव, पूर्व प्रत्याशी डीपी यादव तथा छात्र नेता विवेकानंद पाठक ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया और छात्रों से लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्षरत रहने का आह्वान किया।
आंदोलन को चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने की रणनीति
छात्र नेताओं ने कहा कि छात्र संघ विश्वविद्यालय की रीढ़ है, इसके बिना छात्र हितों की आवाज कमजोर पड़ जाती है। लंबे समय से छात्र संघ चुनाव न कराए जाने से छात्रों में रोष व्याप्त है। आंदोलन को चरणबद्ध रूप से आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई जा रही है।
आंदोलन से जुड़ा संयुक्त ज्ञापन व रणनीति पत्र जारी करेंगे
महापंचायत के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि सभी छात्र संगठन मिलकर शुक्रवार की शाम को आंदोलन से संबंधित संयुक्त ज्ञापन व रणनीति पत्र जारी करेंगे, जिसमें आगामी कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। छात्र नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक छात्र संघ चुनाव बहाल नहीं होते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। छात्र आंदोलन की आवाज फिर से उठने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
आंदोलन का असर परीक्षाओं पर पड़ सकता है
उधर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं शुरू हो गई हैं, ऐसे में आंदोलन का असर विश्वविद्यालय की परीक्षाओं पर पड़ना तय है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन रास्ता खोजने में जुटा है। इस दौरान आदर्श भदौरिया और प्रियांशु विद्रोही सहित तमाम छात्र नेताओं ने इस आंदोलन को निर्णायक करने के लिए छात्रों का समर्थन भी मांगा।

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