इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मुखर हो रही छात्रसंघ बहाली की मांग, भविष्य में राजनीति का मुख्य केंद्र बन सकता है यह मुद्दा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली की मांग तेज हो गई है। प्रशासनिक खींचातानी के बीच छात्र संगठन सक्रिय हो गए हैं और छात्रसंघ चुनाव की तारीख घोष ...और पढ़ें

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली की मांग जोर पकड़ रही है, छात्र संगठन रणनीति बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इवि) वर्तमान में एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा है। दबाव में चार छात्रों की निलंबन वापसी और चीफ प्राक्टर के त्यागपत्र के घटनाक्रम के बाद इवि प्रशासन कमजोर स्थिति में पहुंचता जा रहा है। चीफ प्राक्टर प्रो. राकेश सिंह द्वारा दिए गए त्यागपत्र पर अब तक कोई निर्णय न लेना इस अनिर्णय की स्थिति को और गहरा करता है। त्यागपत्र न स्वीकार किया गया है और न अस्वीकार।
विश्वविद्यालय नेतृत्व फैसले लेने की स्थिति में नहीं
इससे यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय नेतृत्व फिलहाल फैसले लेने की स्थिति में नहीं है। शीर्ष नेतृत्व में अनिश्चितता, प्रशासनिक निर्णयों में देरी और छात्रों का लगातार बढ़ता दबाव यह सब मिलकर विश्वविद्यालय में व्यापक लोकतांत्रिक बहाली के लिए नए समीकरण तैयार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में छात्रसंघ चुनाव का मुद्दा विश्वविद्यालय राजनीति का मुख्य केंद्र बनने की ओर है।
छात्रों ने उठाई आवाज, सौंपा ज्ञापन
शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली, छात्रसंघ चुनाव पुनः शुरू कराने तथा लाइब्रेरी को हमेशा खोले रखने की मांग को लेकर जोरदार तरीके से आवाज उठाई। छात्रनेता अमन मिश्र के नेतृत्व में छात्रों ने कुलसचिव और डीएसडब्ल्यू को ज्ञापन सौंपा।
छात्रों की क्या है मांगें
ज्ञापन में कहा गया कि वर्षों से छात्रसंघ चुनाव स्थगित हैं, जिससे लोकतांत्रिक वातावरण प्रभावित हुआ है। छात्रों की समस्याओं के समाधान का पारंपरिक माध्यम समाप्त होने से असंतोष भी बढ़ा है। लाइब्रेरी को चौबीसों घंटे खोलने की मांग पर छात्रों ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह अत्यंत जरूरी है।
कुलपति का कार्यकाल पूरा
इसी बीच एक और बड़ा मोड़ यह है कि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव का पांच वर्ष का कार्यकाल 29 नवंबर को पूरा हो रहा है। हालांकि 29 तारीख को शनिवार होने के कारण विश्वविद्यालय बंद है, इसलिए अब वे अग्रिम आदेशों तक एक्सटेंशन पर काम संभालेंगी। दूसरी ओर चीफ प्राक्टर की अस्थिर स्थिति के बीच विश्वविद्यालय एक संक्रमण काल से गुजर रहा है।
छात्र संगठन बना रहे रणनीति
ऐसे समय में छात्र संगठन इस स्थिति को अपने पक्ष में अवसर के रूप में देख रहे हैं और छात्रसंघ चुनाव की मांग अब पहले से अधिक जोर पकड़ चुकी है। छात्र संगठन अंदरखाने में रणनीति बना रहे हैं ताकि संक्रमण काल के दौरान विश्वविद्यालय पर दबाव बनाकर छात्रसंघ चुनाव की तारीख तय कराई जा सके।
प्रशासन की कमजोरी उजागर, छात्र संगठनों ने बदली रणनीति
हाल के घटनाक्रम से स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय कई स्तरों पर निर्णय लेने को लेकर संशय की स्थिति में है। चीफ प्राक्टर के त्यागपत्र में पुलिस आयुक्त की टिप्पणी का उल्लेख भी किया गया था, जिससे पुलिस-प्रशासन के बीच मतभेद की आशंका और बढ़ गई है। विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के दोनों गुट भी चीफ प्राक्टर प्रकरण पर एक राय बनाने में असमर्थ दिख रहे हैं, जिससे इवि की परिस्थितियां संवेदनशील होती जा रही है।
छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर बढ़ रही मुखरता
इस पूरी अस्थिरता का फायदा छात्र संगठन उठाते दिख रहे हैं। वे जानते हैं कि जब प्रशासन दबाव में होता है, वही समय अपने प्रमुख मुद्दों को आगे बढ़ाने का होता है। छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर बढ़ती मुखरता इसी रणनीति का संकेत है।

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