एलीफेंटा की गुफा और सिंधु घाटी सभ्यता में मिले अवशेष प्रयागराज में नजर आएंगे, आनंद भवन के बाल भवन में बन रहा लघु संग्रहालय
प्रयागराज में आनंद भवन के बाल भवन में एक लघु संग्रहालय बन रहा है, जहाँ एलीफेंटा की गुफाएँ और सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष दिखेंगे। इस संग्रहालय में उमा- ...और पढ़ें

प्रयागराज में आनंद भवन स्थित बाल भवन के संग्रहालय में सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न भी देखने को मिलेंगे। जागरण
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। यदि आप एलीफेंटा की गुफा और कौशांबी के खुदाई में मिले अवशेष को देखने नहीं पहुंच पाए हैं तो कहीं जाने की जरूरत नहीं। जल्द ही इन कृतियों की अनुकृति आपको आनंद भवन के बाल भवन में तैयार हो रहे लघु संग्रहालय में देखने को मिलेगी। खासकर कौशांबी में खुदाई से मिली उमा-महेश्वर, अंबिका देवी की प्रतिमा, एलिफेंटा गुफा की त्रिमूर्ति, पद्मपाणी बोधिसत्व, मरणासन्न रजकुमारी जैसी कृतियों के साथ सिंधु घाटी सभ्यता में मिले अवशेष वाल म्यूरल स्टाइल में नजर आएंगे।
गैलरी में करीब 15 कृतियों की अनुकृतियां बनाई जा रही
बाल भवन में छह से 17 साल तक के बच्चों को क्ले माडलिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी विभाग की ओर से लघु संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। 25 बाई 12 की गैलरी में करीब 15 कृतियों की अनुकृतियां बनाई जा रही है। इन्हें बनाने में कागज, गत्ते, फेविकोल और पुनर्चक्रित सामग्री का प्रयोग हो रहा हे। ये पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं। सभी कृतियां पारंपरिक पद्धति से बन रही हैं।
कलाकार पूरे मनाेयोग से लगे हैं
जिस तरह से प्राचीन काल में भित्ति चित्र, टेम्परा, फ्रेस्को सेको, फ्रेस्को बुओन तकनीकों से एलीफेंटा व अजंता एलोरा की कृतियां हैं उसी तरह इन्हें भी बनाया जा रहा है। गीले पेपर का प्रयोग कर रिलीफ वर्क (वाल म्यूरल स्टाइल) में मूर्तियों का वास्तविक टेक्सचर उभरकर आएं इसके लिए कलाकार पूरे मनाेयोग से लगे हैं।
छात्राएं भी दे रहीं अंतिम रूप
खास यह कि इन कृतियों को बनाने में कक्षा 10 की छात्रा अदिति त्रिपाठी व उनकी सहयोगी छात्रा शीतल कुमारी व कलश धूरिया जुटी हैं। ये सभी करीब दो वर्ष से बाल भवन में क्ले माडलिंग का प्रशिक्षण ले रही हैं। इस लघु संग्रहालय के बहाने इन्हें प्रतिभा प्रदर्शन का भी अवसर मिल रहा है। इनके कार्यों में सहयोग अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट अजय गुप्ता कर रहे हैं। वे आवश्यकता के अनुसार सुझाव आदि दे रहे हैं।
संग्रहालय सांस्कृतिक धरोहर को जीवंतता देगा
अजय गुप्ता बताते हैं कि इस संग्रहालय में लगने वाली एक अनुकृति को तैयार करने में करीब पांच हजार रुपये का खर्च आ रहा है। जब यह तैयार हो जाएगा तो यहां प्रकाश आदि की भी व्यवस्था की जाएगी। बाल भवन की एजुकेटर स्मिता श्रीवास्तव कहती हैं कि यह संग्रहालय भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को जीवंतता देने में सहायक होगा। यहां आने वालों को नया अनुभव मिलेगा।
10 वर्ष तक नहीं खराब होंगी कृतियां
अनुकृतियों को बनाने में जुटीं सेंटएंथोनी की छात्रा अदिति त्रिपाठी कहती हैं कि 15 अक्टूबर से कार्य शुरू किया है। प्रतिदिन स्कूल से लौटने के बाद दाेपहर 3.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक कार्य करते हैं। उम्मीद है कि 30 जनवरी तक अनुकृतियों को पूर्ण कर लेंगे। इन्हें बनाने में थिनर से स्प्रे करते हैं जिससे कीड़े आदि नहीं लगेंगे। डीको कलर का प्रयोग होता है जिससे अनुकृतियों पर पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ये करीब 10 वर्ष तक खराब नहीं होंगी।

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