प्रयागराज में झूंसी के अभय की बिना चायपत्ती वाली चाय का स्वाद निराला, 10 रुपये की ‘सनातनी चाय’ की चुस्की एक बार अवश्य लें
बिना चाय पत्ती की सनातनी चाय एक अनोखी खोज है। प्रयागराज के रमेश कुमार मिश्र द्वारा बनाई गई इस चाय में अश्वगंधा तुलसी इलायची दालचीनी सोंठ गिलोय गुण हल्दी और लेमन ग्रास का मिश्रण होता है। इसे बनाने के लिए दूध में मसाले की निर्धारित मात्रा डालकर उबालें और छानकर पिएं। झूंसी पुलिस चौकी के पास मिलने वाली यह चाय 10 रुपये में मिलती है।

अवधेश पांडेय, प्रयगाराज। हर किसी की तरह विश्वास तो आपको भी नहीं होगा, लेकिन जब पीएंगे तो अहसास भी हो जाएगा और विश्वास भी, कि बिना चायपत्ती के भी चाय बनती है। वह भी ऐसी कि एक बार पिएंगे तो बार-बार पीने का मन करेगा। यह अनोखी चाय तैयार करने वाले रमेश कुमार मिश्र ने इसे नाम दिया है ‘सनातनी चाय’।
पैकेट घर ले आएं और बनाकर स्वाद लें
इसे अगर घर में बनाकर पीने का मन करे तो पैकेट खरीदकर ले भी जा सकते हैं। घर में भगोने में दूध गरम कीजिए और पैकेट में से निर्धारित मात्रा में सामग्री चम्मच से निकालकर दूध में डालिए। उबलने के बाद छानकर पीजिए। इसमें और कुछ भी अलग से नहीं डालना पड़ता। पीते ही जुबान पर आ जाएगा कि वाह, क्या अद्भुत चाय है।
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सुबह पांच से रात साढ़े नौ बजे तक खुली रहती है दुकान
दुकान पर तीन लोग बारी-बारी से बैठते हैं। जिस गाड़ी में पीतल का भगोना रखकर चाय बनाते हैं, वह ई-रिक्शा में डिजायन की हुई है। सुबह पांच बजे से रात साढ़े नौ बजे तक दुकान खुली रहती है। झूंसी पुलिस चौकी चौराहा से हवेलिया की ओर करीब सौ मीटर चलेंगे तो डिवाइडर किनारे दुकान दिखाई देगी। डिवाइडर पर बैठकर चाय पीने के लिए बोरियां बिछी मिलेंगी।
अभय की चाय क्यों प्रसिद्ध है, क्या-क्या मिलाते हैं
दुकान संभाले मिले अभय तिवारी ने बताया कि सनातनी चाय तैयार करने में अश्वगंधा, तुलसी, छोटी व बड़ी इलायची, दालचीनी, सोंठ, गिलोय, गुण, हल्दी व लेमन ग्रास का प्रयोग किया जाता है। इन सभी को पहले अलग-अलग पिसवाया जाता है। उसके बाद घर लाकर मिक्सर में इसे मिलाकर चाय मसाला तैयार करते हैं। इसकी पैकिंग करने के लिए घर में मशीन लगा रखी है।
सनातनी चाय सबकी पसंद बनी
घर में यह मसाला ले जाकर कोई भी सनातनी चाय बना सकता है। 10 रुपये की चाय मिलती है और सुबह-शाम चाय पीने वालों की भीड़ रहती है। चाय को ‘सनातनी चाय’ नाम देने वाले रमेश मिश्रा, अभय के मौसा हैं, जो कोविड के पहले गुजरात के सूरत में कुल्फी बनाते थे। लाकडाउन लगने पर यहां आए और ‘सनातनी चाय’ बनानी शुरू की, जो सबकी पसंद बन गई।
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