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    RSS की 16 हजार टोलियां प्रयागराज में घर-घर पहुंचा रहीं साहित्य, लोगों में राष्ट्रीयता की भावना सशक्त करने का प्रयास

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 05:49 PM (IST)

    प्रयागराज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 16 हजार टोलियां घर-घर जाकर साहित्य पहुंचा रही हैं। काशी प्रांत के 15,000 गांवों और 115 नगरों के 40 लाख परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य है। स्वयंसेवक लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को सशक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। यह अभियान 30 नवंबर तक चलेगा, जिसके तहत संघ की विचारधारा से लोगों को जोड़ा जा रहा है और भारत माता का चित्र दिया जा रहा है।

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    प्रयागराज में घर-घर पहुंचकर साहित्य के माध्यम से राष्ट्रवाद को आरएसएस मजबूत कर रहा है।

    अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस आयोजन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। घर घर संपर्क अभियान में स्वयंसेवक और संगठन के पदाधिकारी लगे हैं। यह अभियान 30 नवंबर तक चलेगा। इसके तहत स्वयंसेवक संघ साहित्य का थैला लेकर टोलियों में प्रत्येक गांव और गली तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ घर घर दस्तक दे रहे हैं।

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    वे संघ की विचारधारा से लोगों को जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। लोगों में राष्ट्रीयता के भाव को भी सशक्त करने का प्रयास है। इस अभियान के तहत काशी प्रांत के 15,000 गांव तथा 115 नगरों के 40 लाख परिवारों तक पहुंचना है। अभियान में 16,000 टोलियां सक्रिय हैं। करीब 64,000 स्वयंसेवक जगह-जगह संपर्क कर रहे हैं।

    काशी प्रांत के प्रचार प्रमुख डा. मुरारजी त्रिपाठी कहते हैं कि संघ शताब्दी वर्ष के दूसरे चरण में लोगों को भारत माता का चित्र दिया जा रहा है। इसमें लिखा है, 'तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहे ना रहे। एक फोल्डर भी दिया जा रहा है इसमें संगठित हिंदू समर्थ भारत का संदेश है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष को राष्ट्र पुनर्निर्माण के 100वर्ष के रूप में रेखांकित किया गया है।

    पत्रक के दोनों तरफ संघ के बारे में जानकारी अंकित है। पंच परिवर्तन जिसे संघ वर्तमान में अपने कार्य के सूत्र के रूप में लेकर चल रहा है, उसे भी बताया गया है। इसके अतिरिक्त 64 पृष्ठ की पुस्तक जिसका शीर्षक संघ शताब्दी वर्ष है लोगाें को दिया जा रहा है। इसकी प्रस्तावना संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होशबाले ने लिखी है।

    यह संपूर्ण साहित्य जनमानस में राष्ट्रीयता के बोध को जागृत करते हुए सामाजिक सरोकारों के प्रति भी सजग करने वाला है। इससे पूर्व संगठन की ओर से प्रांत भर में 107527 स्वयंसेवकों ने गणवेश में पथ संचलन किया। इसमें तरुण वर्ग के 90580 व बाल वर्ग के 16947 स्वयंसेवक शामिल रहे। कुल 1259 स्थानों पर स्वयंसेवकों ने संचलन किया। इसमें घोष के साथ संचालन कांशी प्रांत में 314 स्थानों पर हुआ। विजयदशमी पर 1351 मंडल, 860 बस्ती में कार्यक्रम आयोजित किए गए।

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