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    UPRTOU के स्नातक व स्नातकोत्तर में RSS की गौरवगाथा पढ़ेंगे विद्यार्थी, जनवरी 2026 से लागू होना नया पाठ्यक्रम

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 05:27 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU) ने स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का इतिहास शामिल करने का निर्णय लिया है। पाठ्यक्रम जनवरी 2026 से लागू होगा। इसमें आरएसएस की स्थापना संगठनात्मक ढांचा विचारधारा और राष्ट्र निर्माण में योगदान जैसे विषय शामिल होंगे। इस पहल का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करना है।

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    उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में नए सत्र से विद्यार्थियों को आरएसएस का इतिहास पढ़ाया जाएगा।

    जागरण संवददाता, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का इतिहास शामिल करने का अहम निर्णय लिया है। यह घोषणा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यकाम ने की।

    कुलपति ने पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए पाठ्यक्रम समिति बनाई है। बोर्ड आफ स्टडीज, फैकल्टी बोर्ड, विद्वत परिषद और कार्यपरिषद के अनुमोदन के बाद पाठ्यक्रम जनवरी-2026 के नए सत्र से लागू किया जाएगा।

    प्रो. सत्यकाम ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्र निर्माण में योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। भारतीय इतिहास केवल राजाओं और युद्धों की गाथा नहीं है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों की भी अहम भूमिका रही है। आरएसएस का इतिहास इन्हीं आंदोलनों की निरंतरता है, जिसे समझना और पढ़ना आवश्यक है।

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    पाठ्यक्रम में संघ की स्थापना के साथ उसकी संगठनात्मक ढांचा शामिल होगा। इसमें शाखा, प्रार्थना, अनुशासन और संघ शिक्षा वर्ग की परंपरा अहम है। राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा, विचारधारा और दर्शन, समकालीन राजनीति और प्रभाव भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे।

    कुलपति के अनुसार भारतीय ज्ञान परंपरा केवल धार्मिक या दार्शनिक विमर्श तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मूल्य भी निहित हैं। आरएसएस की दृष्टि में यह परंपरा विश्व कल्याण, सहिष्णुता, विविधता और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ जैसे आदर्शों को आत्मसात करती है। इसी क्रम में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी विचारधारा को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

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    उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का यह प्रयास स्थानीय उत्पादों और स्वदेशी विचारों को बढ़ावा देने के साथ भारतीय समाज को एकजुट और सशक्त करने की दिशा में है। पाठ्यक्रम परंपरागत मूल्यों, सामाजिक समरसता, परस्पर स्नेह और आत्मीयता पर आधारित होगा और मानवता के आदर्शों के उन्नयन में सहायक बनेगा। इस पहल से युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना और भारतीयता के प्रति गर्व की चेतना जागृत होगी।