प्रयागराज में सिमटेगा कछुआ सेंच्युरी का इको सेंसिटिव जोन, अभी 10 किमी का है दायरा, यहां दुर्लभ प्रजाति के हैं कछुए
प्रयागराज कछुआ सेंच्युरी के इको सेंसिटिव जोन का सीमांकन फिर से होगा, जिससे सीमाएं तय होंगी और 10 किमी का दायरा घट जाएगा। इससे प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर खनन के रास्ते खुलेंगे और सरकारी खजाने को मजबूती मिलेगी। प्रयागराज, भदोही और मीरजापुर के गांवों में सर्वे होगा और तीन महीने में सीमांकन पूरा किया जाएगा। यहाँ कछुओं की दुर्लभ प्रजातियाँ पायी जाती हैं।

प्रयागराज की कछुआ सेंच्युरी के इको सेंसिटिव जोन का नए सिरे से होगा सीमांकन, इससे सेंसिटिव जोन की सीमाएं तय होंगी।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रयागराज की कछुआ सेंच्युरी के इको सेंसिटिव जोन का नए सिरे से सीमांकन होने जा रहा है। इससे सेंसिटिव जोन की सीमाएं तय हो जाएंगी। इस सीमांकन के बाद 10 किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले इस सेंसिटिव जोन का दायरा और घट जाएगा। ऐसे में प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर आने वाले इलाके में खनन के रास्ते खुले सकेंगे, जिससे सरकारी खजाने को मजबूती मिलेगी।
गंगा नदी में कुल कछआ सेंच्युरी का 30 किमी है दायरा
गंगा नदी की इस कछुआ सेंच्युरी का दायरा 30 किलोमीटर का है। यह प्रयागराज से एक तरफ भदोही तो दूसरी तरफ मीरजापुर तक फैला है। प्रयागराज में इसका क्षेत्रफल 10 किलोमीटर का है। जबकि, शेष 20 किलोमीटर का हिस्सा अन्य दोनों जनपदों में है।
सेसिटिव जोन में खनन प्रतिबंधित
कछुओं के संरक्षण की नीति को मजबूती देने के लिए ही सेंच्युरी के आसपास के 10 किमी के दायरे को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है। इस सेंसिटिव जोन में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अब इस सेंसिटिव जोन का नए सिरे से सीमांकन कराया जाएगा। इसमें जोन का दायरा फिर से तय किया जाएगा। संबंधित क्षेत्र का चिन्हांकन होगा। इसके अलावा सेंसिटिव जोन में चल रही गतिविधियों की भी मैपिंग होगी।
तीन माह में पूरा होगा सीमांकन कार्य : डीएफओ
अफसरों का कहना है कि इस सीमांकन के बाद सेंसिटिव जोन का दायरा घटना लगभग तय है। ऐसे में जो इलाका सेंसिटिव जोन से बाहर आएगा, वहां फिर से खनन के पट्टे हो सकेंगे। डीएफओ अरविंद कुमार ने बताया कि तीन महीने के अंदर सीमांकन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।
तीनों जिलों के 85 गांवों का होगा सर्वे
यह सीमांकन तीनों जनपदों में वहां का प्रशासन कराएगा। प्रयागराज के 20, भदोही के 40 और मीरजापुर के करीब 25 गांवों में सर्वे होगा। राजस्व विभाग संबंधित तहसीलों की टीम से सर्वे कराएगा। प्रयागराज में मुख्य राजस्व अधिकारी को सीमांकन का नोडल बनाया गया है। प्रयागराज में इसके लिए मुख्य राजस्व अधिकारी को नोडल बनाया गया है।
यहां पाई जाती हैं कछुओं की दुर्लभ प्रजातियां
इस सेंच्युरी में कछुओं को सुरक्षित माहौल मिल रहा है। इसकी वजह से इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। खास बात यह है कि थ्री स्ट्रिप्ड रूफ्ड, ब्लैक स्पाटेड, साफ्ट शेल, रेड व ब्राउन रूफ्ड प्रजाति के कछुए भी यहां पाए जाते हैं, जो बेहद दुर्लभ हैं।

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