भारत-जापान की वास्तुकला का प्रयागराज में होगा अनूठा प्रदर्शन, जापानीज गार्डेन के फूल संगम क्षेत्र को महकाएंगे
प्रयागराज में भारत-जापान की वास्तुकला का संगम होगा। अरैल के पब्लिक प्लाजा में जापानी गार्डन के फूल संगम क्षेत्र को महकाएंगे। यह प्रोजेक्ट जापान के शिंटो सौंदर्यशास्त्र और भारत की सनातन भावना का मिश्रण होगा। लगभग 124 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह पार्क, दोनों देशों की संस्कृति और मूल्यों को प्रदर्शित करेगा। इसमें जापानी चाय समारोह, इकेबाना, भारतीय कला, संगीत और योग जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी।

प्रयागराज पब्लिक प्लाजा में भारत-जापान वास्तुकला का संगम प्रदर्शित होगा, वहां के फूल यहां खुशबू देंगे।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। पवित्र त्रिवेणी के तट पर यमुना के किनारे अरैल क्षेत्र में स्वीकृत पब्लिक प्लाजा में जापानी और भारतीय वास्तुकला की धरोहरें भी साझा होंगी। जापान की पारंपरिक शिंटो सौंदर्यशास्त्र व भारत की सनातन भावना का संगम होगा। पब्लिक प्लाजा में जापानीज गार्डेन के फूल पावन संगम का क्षेत्र को महकाएंगे।
अरैल में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने को प्रोजेक्ट स्वीकृत
अरैल क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं। साहित्य तीर्थ की आधारशिला रखी जा चुकी है जबकि पब्लिक प्लाजा का जल्द ही शिलान्यास होगा। माघ मेला की तैयारियों की समीक्षा करने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही प्रयागराज आने वाले हैं, उसी समय इस प्लाजा की आधारशिला मुख्यमंत्री के हाथों से रखवाने की तैयारी चल रही है। यह परियोजना नगर विकास विभाग द्वारा लगभग 124 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर कार्यान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य जापान की पारंपरिक शिंटो सौंदर्यशास्त्र को भारत की प्राचीन सनातन भावना के साथ मिलाना है।
यह पार्क अरैल में शिवालय पार्क के पास होगा
कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस के परियोजना प्रबंधक रोहित कुमार राना ने बताया कि यह पार्क अरैल में शिवालय पार्क के पास लगभग पांच हेक्टेयर में फैला होगा। इसमें दोनों संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वास्तु प्रतीक शामिल होंगे, जिसमें एक तोरी गेट भी होगा, जो भौतिक से आध्यात्मिक दुनिया में शिंटो विश्वास को दर्शाता है। यह पार्क पांच क्षेत्रों में विभाजित होगा, जिसमें शांति, ध्यान और आत्म-चिंतन के विषयों से प्रेरित एक ज़ापानी गार्डन और एक मियावाकी वन जैसे प्रमुख आकर्षण शामिल होंगे।
'वसुधैव कुटुंबकम' व 'वा' के सिद्धांतों को दर्शाएगा
परियोजना प्रबंधक ने बताया कि यह पहल शहर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पार्कों के केंद्र के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा का हिस्सा है, जो महाकुंभ की तैयारियों के दौरान शिवालय और साहित्य पार्क के विकास के बाद आई है। शांति, अनुशासन और सामंजस्य के साझा मूल्यों को समाहित करने के लिए डिजाइन किया गया यह पार्क जापानी परंपराओं जैसे चाय समारोह और इकेबाना के साथ-साथ भारतीय कला, संगीत, योग और मंदिर वास्तुकला को भी शामिल करेगा। 'वसुधैव कुटुंबकम' (संसार एक परिवार है) और जापान के 'वा' (सामंजस्य) के सिद्धांतों को दर्शाते हुए, यह पार्क दोनों प्राचीन सभ्यताओं के बीच गहरे सांस्कृतिक बंधन का प्रतीक बनेगा।

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